गरुड़ में कत्यूर महोत्सव में कवियों ने जमाया रंग
कत्यूर महोत्सव में स्थानीय कवियों ने अपनी रचनाओं से दर्शकों का दिल जीत लिया। वरिष्ठ साहित्यकार गोपाल दत्त भट्ट ने कार्यक्रम की शुरुआत की और मोहन जोशी, माया गोस्वामी, मनोज खोलिया जैसे कवियों ने अपनी...
कत्यूर महोत्सव में स्थानीय कवियों ने अपनी रचनाओं से धमाल मचाया। उन्होंने पृकृति के सौंदर्य को कविताओं में उतारा। साथ ही व्यवस्था पर भी व्यंग किया। देर रात तक कार्यक्रम सुनने के लिए दर्शक भी जमे रहे। कवियों के गुरु माने जाने वाले वरिष्ठ साहित्यकार गोपाल दत्त भट्ट ने काव्य गोष्ठी का शुभारंभ किया। उन्होंने दगड़िया मुछ्याव जगाओ गीत गाकर कार्यक्रम में जोश भर दिया। मोहन जोशी ने उत्तराखंड की सुंदरता पर रचना सुनाकर किया। अपनी मशहूर कविता हुक धे रे मणि हुक कुकरा। सुनाकर व्यवस्था पर प्रहार किया। नवोदित कवयित्री माया गोस्वामी ने ठंडो हाव ठंडो पाणि हमार पहाड़ में, सुनाकर सबका मन मोह लिया। युवा कवि मनोज खोलिया ने अहा कस जमान ए गो सुनाकर परंपरा को याद किया।
नए जमाने के बदलाव को प्रस्तुत किया। वरिष्ठ कवि जीवन सिंह दोसाद ने सुनाया हमरी मिट गई पन्यारा। सुन सुन भोजी चनारा, बदलते पहाड़ की पीढ़ा को व्यक्त किया। डॉ. गिरीश अधिकारी ने सुनाया अहा कतु भल लगी य कत्यूर की सारी गीत सुनाकर मंच में खूब तालियां बटोरीं। इसके अलावा डॉ. हेम चंद्र दूबे, प्रेमा भट्ट, आशा बुटोला, सुरेन्द्र वर्मा ने भी जमकर तालियां बटोरीं।
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