बोले गढ़वाल : ज्योतिर्मठ के रविग्राम में खराब ड्रेनेज सिस्टम ने बढ़ाई मुश्किल
ज्योतिर्मठ में नगरपालिका की लापरवाही से स्थानीय लोगों को गंभीर समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। ड्रेनेज सिस्टम खराब होने, सफाई व्यवस्था की कमी और पेयजल संकट ने जनजीवन को प्रभावित किया है। स्थानीय...
सामरिक, सांस्कृतिक और धार्मिक दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण और बदरीनाथ धाम यात्रामार्ग के महत्वपूर्ण पड़ाव ज्योतिर्मठ में नगरपालिका की लापरवाही आम जनता पर भारी पड़ रही है। इसका उदाहरण देखने को मिलता है रविग्राम मोहल्ले में जहां नगरपालिका द्वारा कुछ समय पूर्व बनाया गया ड्रेनेज सिस्टम अब लोगों के लिए राहत की बजाय आफत बन गया है। अंडरग्राउंड नालियों के निर्माण में मानकों और आवश्यक पहलुओं की अनदेखी के कारण वह बार-बार चोक हो रही हैं। इतना ही नहीं नालियों के निर्माण के दौरान आबादी के घनत्व और क्षेत्र से निकलते गंदे पानी की मात्रा को ध्यान में नहीं रखने के कारण ज्यादा पानी के दबाव को वो झेल ही नहीं पा रही हैं और फिर ओवरफ्लो होने के साथ उनका पानी या तो रास्तों पर बह रहा है या फिर लोगों के घरों में घुस रहा है। इससे स्थानीय लोग खासा परेशान हैं। ज्योतिर्मठ से पूरन भिलंगवाल की रिपोर्ट...
सनातन संस्कृति के महत्वपूर्ण केन्द्र और चारधाम में अंतिम धाम श्री बदरीनाथ से पहले पड़ने वाला सबसे बड़ा कस्बाई क्षेत्र ज्योतिर्मठ में अनियोजित विकास क्षेत्रवासियों के लिये मुसीबत बन गया है। बोलने को नगर के विकास की जिम्मेदारी नगरपालिका के पास है लेकिन वो किस तरह अपनी जिम्मेदारियों से बेपरवाह है उसका ज्वलंत उदाहरण देखने को मिलता है वार्ड संख्या 7 में लगभग 2000 की आबादी वाले रविग्राम मोहल्ले में। दरअसल वर्ष 2021 में गंदे व बरसाती पानी की निकासी के लिये पालिका द्वारा ड्रेनेज सस्टिम के नाम पर लाखों रुपये की लागत से रास्तों के बीच 500 मीटर लंबी और छह इंच मोटी पाइपलाइन के जरिये भूमिगत नालियां बनाई गईं जिनपर साफ सफाई के लिए कई स्थानों पर 35 चैम्बर भी बना दिए गए, लेकिन अब जल निकासी का यही ड्रेनेज सस्टिम लोगों की सरदर्दी बढ़ा रहा है। स्थिति ये है कि इस सिस्टम को कम क्षमता का बना दिये जाने के बाद वो सामान्य परिस्थितियों में ही बस्ती से निकलते गंदे पानी को बर्दाश्त ही नहीं कर पा रहा है तो बरसात में तो स्थितियों की कल्पना ही की जा सकती है।
ऐसे में नालियों में बहते कचरे को चैम्बरों को खोलकर सफाई नहीं होने पर वो नालियों को चोक कर जालीदार चैम्बरों से बाहर निकलकर उन्हीं क्षेत्रवासियों के लिये मुसीबत बन रहा है जिनकी मुसीबत को कम करने के लिए उन्हें बनाया गया है। इतना ही नहीं क्षेत्र में सफाई व्यवस्था के हाल भी बेहद बुरे हैं। सार्वजनिक स्थानों पर बिखरे कचरे के ढेर जहां पालिका के स्वच्छता के दावों की पोल खोलने के लिए काफी हैं वहीं रास्तों के किनारे उगी झाड़ियों की सफाई नहीं होने के कारण उनमें सांपों का तो खतरा है ही लेकिन उनमें जंगली जानवरों के छुपे होने का डर भी बना रहता है जो आवाजाही के दौरान लोगों की जान पर आफत बन सकते हैं।
बेहद तंग रास्तों पर सामान्य आवागमन भी किसी समस्या से कम नहीं है तो तुर्रा ये कि उनपर बिछे पेयजल लाइनों का मकड़जाल जरा सी सावधानी हटने पर दुर्घटनाओं को न्योता देते दिखाई देते हैं। पैदल रास्तों पर पालिका द्वारा संवेदनहीनता का एक उदाहरण उनपर बनाई गई मानकविहीन ऊंची सीढ़ियों से पता चलता है। बुजुर्ग और बच्चों को उनपर चढ़ना ही किसी आफत से कम नहीं है लेकिन शिकायतों के बावजूद भी आज तक उन्हें ठीक नहीं किया जा सका है। सार्वजनिक पार्किंग सुविधा नहीं होने के कारण मजबूरी में लोगों को रास्तों पर वाहनों को पार्क करना पड़ता है, जिससे सामान्य आवाजाही में भी लोगों को दिक्कतें उठानी पड़ती हैं। पूरे मोहल्लाक्षेत्र में ना तो कोई सार्वजनिक शौचालय है और ना ही पेयजल सुविधा के नाम पर कोई व्यवस्था जिससे आम जनता को परेशानियों से दो चार होना पड़ता है। इससे लोगों में नाराजगी भी है।
सुझाव
1. क्षेत्र को सीवरलाइन व्यवस्था से जोड़ा जाए। अधूरे खेल स्टेडियम के निर्माणकार्य में आए तेजी।
2. अंडरग्राउंड चोक नालियों को खोलकर गंदे पानी की निकासी की जाय। बरसाती पानी की निकासी की हो व्यवस्था। पर्याप्त पेयजल आपूर्ति हो।
3. संकरे रास्तों को चौड़ाकर उनसे पेयजल लाइनों का मकड़जाल हटे। मानकविहीन सीढ़ियों को ठीक किया जाए।
4. पर्याप्त कूड़ेदानों की व्यवस्था के साथ नियमित सफाईकर्मी की व्यवस्था हो जिससे स्वच्छता बनी रहे।
5. सार्वजनिक पार्किंग, शौचालय व पेयजल सुविधा की व्यवस्था हो। क्षतिग्रस्त सम्पर्कमार्गों की हो मरम्मत और रेलिंग लगाई जाएं।
शिकायतें
1. क्षेत्र में सीवरलाइन नहीं होने से कई स्थानों पर खुले में बहते सीवर से होती है परेशानी। अधूरे खेल स्टेडियम से भी दिक्कतें।
2. चोक होती नालियों की वजह से गंदा पानी सड़कों पर बह रहा है और बरसात में घरों में घुसता है। अपर्याप्त पेयजल आपूर्ति से भी मुश्किलें।
3. संकरे रास्तों पर पेयजल लाइनों के मकड़जाल और मानकविहीन ऊंची सीढ़ियों से आवाजाही में परेशानी।
4. न तो पर्याप्त कूड़ेदान हैं और ना ही नियमित तौर पर सफाईकर्मी की कोई व्यवस्था है। बिखरी गदंगी से दक्कितें।
5. सार्वजनिक पार्किंग, शौचालय और पेयजल सुविधा नहीं होने व खस्ताहाल संपर्कमार्गों की अनदेखी से परेशानियां।
एक भी सार्वजनिक शौचालय नहीं होने से होती है दिक्कत
पूरे क्षेत्र में नागरिक सुविधाओं के प्रति नगरपालिका कितना फिक्रमंद हैं उसका पता इस बात से चलता है कि बड़े आबादीक्षेत्र में एक भी ना तो सार्वजनिक शौचालय है और ना ही कोई पेयजल सुविधा का इंतजाम, जिस कारण आम जनता को आवाजाही के दौरान मुश्किलें उठानी पड़ती हैं। इलाके में सीवरेज व्यवस्था नहीं होने के कारण भी लोगों को परेशानियां उठानी पड़ रही हैं। दरअसल सीवरलाइन नहीं होने व शौचालयों के पिटों की वजह से क्षेत्र में भूधंसाव की समस्या लगातार गहराती जा रही है। सीवरलाइन नहीं होने व पूरे क्षेत्र में ड्रेनेज व्यवस्था बदहाल होने के कारण जमीन में समाता पानी न केवल मिट्टी की पकड़ को ढीला कर रहा है बल्कि और भी दिक्कतें हो रही हैं।
पेयजल टैंक होने के बावजूद पानी नहीं आने से नाराजगी
इलाके में 28 लाख रुपये की लागत से बने पेयजल टैंक और बिछाई गई पेयजल लाइन के बावजूद बने पेयजल संकट ने भी लोगों को परेशान किया हुआ है। अनियमित और अपर्याप्त पेयजल आपूर्ति के कारण उनकी दिनचर्या भी प्रभावित हो रही है। बताते चलें कि वर्ष 2022 में नगरपालिका ने लगभग 22 लाख रुपयेे जल संस्थान को दिए थे, जिसके तहत विभाग ने गैस गोदाम के ऊपरी भाग के रोगड़ तोक में 1.25 लाख लीटर क्षमता का एक पेयजल स्टोरेज टैंक बनाकर तैयार किया था। इसके साथ टैंक तक पानी की आपूर्ति के लिए पाइपलाइन बिछाने को जल संस्थान को पुनः नगरपालिका ने छह लाख रुपये दिए, लेकिन आज तक स्टोरेज टैंक में स्रोत से पानी नही पहुंच पाया है।
लोगों ने रखी अपनी बात
पालिका द्वारा पांच माह पूर्व निर्मित रास्ते पर एक फीट ऊंची सीढ़ियों पर आवाजाही में मुश्किलें हो रही हैं। शिकायत के बावजूद उन्हें ठीक नहीं किया जा रहा है। घर के पास बने 20 मीटर गहरे गड्ढे में बरसाती पानी जाने से आवासीय भवनों को खतरा बना है। इससे सब लोगों में डर है। -जमुना नेगी
बरसाती पानी और घरों के गंदे पानी को एक ही ड्रेनेज सिस्टम में डालने से गांव के 10 से अधिक मकानों पर ढहने का खतरा बढ़ गया है। बारिश होते ही ड्रेनेज चोक हो रहे हैं और पानी इनके चैंबरों से बाहर आकर घरों में घुस रहा है। इससे सब लोगों को बहुत ज्यादा परेशानी हो रही है।-कुंती देवी
हमने पालिका से कहा था कि बस्ती के गंदे पानी की निकासी के लिए दो-तीन ड्रेनेज सिस्टम बना लेकिन पालिका ने सिर्फ एक ही बनाया है। अब कुछ और आवासीय भवनों को इससे जोड़ने के बाद तो स्थिति और खराब होनी तय है। नगर पालिका को मुसीबत नहीं बढ़ानी चाहिए। -जगतराम नंम्बूरी
क्षेत्र में सफाई व्यवस्था बदहाल है, पालिका मात्र खानापूर्ति के लिए सफाई कर्मचारी भेज रही है। सफाई कर्मियों की संख्या बढ़ाये बिना इलाके को गंदगी मुक्त नहीं किया जा सकता है। रास्तों से झाड़ियों की सफाई नहीं हो रही है। इससे जानवरों को डर बना रहता है। -लक्ष्मीप्रसाद डिमरी
अधिकांश लोगों के पास चौपहिया या दुपहिया वाहन हैं लेकिन बाजार में एक भी पार्किंग की सुविधा नहीं होने से 200 मीटर दूर हाईवे पर ही वाहनों को खड़ा करना पडता है। कई बार तो लावारिस पशुओं और शरारती तत्वों द्वारा वाहनों को नुकसान तक पहुंचाया जाता है। -गौरव कुमार
रास्तों पर रेलिंग नहीं होने से लावारिस पशु खेतों में फसल बर्बाद कर रहे हैं। नगर पालिका द्वारा गंदे पानी को यूंही छोड़ देने से ज्योतिर्मठ में भू कटाव का खतरा है। इसे मुख्य सड़क की नाली से पेट्रोल पंप के निकट जोड़ा जाना चाहिए ताक पानी खेतों को और घरों को नुकसान न पहुंचाये। -मोहन लाल
क्षेत्र में लगातार पेयजल संकट बना रहता है। जल संस्थान द्वारा 28 लाख की लागत से पेयजल टैंक निर्माण और लाइनें बिछाई गई लेकिन 3 वर्षों बाद भी टैंक तक पानी नहीं पहुंचा है। जीजीआईसी के पास 70 वर्ष पुराना टैंक भी खस्ताहाल है जिससे पेयजल समस्या है। -समीर डिमरी
कोठेला तोक में आपदा के बाद से मकानों में दरारों का सिलसिला जारी है। नगर पालिका द्वारा निर्मित संकरे रास्तों पर चलना या सामान ले जाना परेशानीभरा है। चोक नालियों से गंदे पानी की निकासी नहीं होने से बदरीनाथ हाईवे का गंदा पानी बरसात में घरों में घुस जाता है। -आशीष भुजवाण
22 वर्ष पूर्व नगर पालिका द्वारा शिवालय सड़क का निर्माण किया गया था लेकिन तब से अभी तक इसका चौड़ीकरण और सुधारीकरण नहीं हुआ है इससे तंग मोड़ों पर वाहनों को मोड़ने में परेशानी आती है। पार्किंग सुविधा नहीं होने से भी लोगों को बेहद परेशान होती है। -हर्षवर्द्धन भट्ट
ज्योर्तियठ नगर विद्युत सब स्टेशन से रविग्राम, सुनील, परसारी और पर्यटन केन्द्र औली के लिए एक ही विद्युत लाइन होने से तूफान, बर्फबारी और बरसात में लाइनें टूटती रहती हैं जिससे परेशानियां होती हैं। औली के लिये अलग बिजली लाइन होनी चाहिए। -गुड्डी देवी
बहुउद्देश्यीय हॉल के लिये गैस गोदाम के निकट 80 नाली से अधिक वन पंचायत भूमि का प्रस्ताव दिया था लेकिन जिला प्रशासन की अनदेखी के कारण इस भूमि पर कुछ लोग अतिक्रमण कर रहे हैं। कई जगह तो लोगों ने अतक्रिमण कर पक्के मकान तक बना दिए हैं। -विरेन्द्र सिंह नेगी
वर्ष 2013-14 में पिटकुल की 70 नाली भूमि ज्योतिर्मठ खेल मैदान के निर्माण हेतु युवा कल्याण विभाग को हस्तांतरित हुई लेकिन आज तक सरकार इस भूमि में खेल स्टेडियम तैयार नहीं कर पाई है जिस कारण खिलाडि़यों को परेशानियों का सामाना करना पड़ रहा है। -महेन्द्र नंबूरी
लिंक सड़क और पैदल मार्ग बहुत संकरे हैं
रवग्रिाम में जीजीआईसी के निकट से रामलीला मैदान तक व वन विभाग चेक पोस्ट के पास से पार्किंग तक डेढ़ दशक पहले बनी लिंक सड़क के अतिरक्ति पूरे बस्तीक्षेत्र के पैदल सम्पर्कमार्ग इस कदर संकरे व तंग हैं कि उनपर सामान्य आवाजाही भी जी का जंजाल बनी हुई है। सम्पर्क मार्ग के किनारे नालियां नहीं होने के कारण उनसे बहने वाला पानी सीधे आवासीय व कृषि क्षेत्र में पहुंचकर बरसात में लोगों के लिये आफत बन जाता है। ऐसा नहीं है कि तंग संकरे रास्तों को चौड़ा नहीं किया जा सकता लेकिन नगरपालिका प्रशासन इस ओर ध्यान देने की बजाय लोगों को उनके हाल पर छोड़कर ही शायद खुश नजर आ रहा है। बेहद तंग रास्तों पर लोगों की आवाजाही किस कदर मुश्किल है, उसे इस बात से समझा जा सकता है कि उनपर एक वक्त पर ही आमने सामने से दो व्यक्तियों के लिए गुजरना भी आसान नहीं है। तंग रास्तों से लोगों को बहुत मुश्किल होती है।
खस्ताहाल सड़कों के कारण लोग परेशान
दूसरी तरफ क्षेत्र में क्षतिग्रस्त और खस्ताहाल सड़कों और सम्पर्क मार्गों ने भी लोगों की सरदर्दी बढ़ाई हुई है। 22 वर्ष पूर्व नगरपालिका द्वारा शिवालय सड़क का निर्माण किया गया था लेकिन तब से आज तक सड़क के चौड़ीकरण व सुधारीकरण नहीं होने से उसके कई स्थानों पर मौजूद तंग मोड़ों पर वाहनों को मोड़ना भी टेढ़ी खीर साबित होता है। होसी जाने वाला मार्ग भी एनटीपीसी टाउनशिप के निकट 5 वर्ष से क्षतिग्रस्त है और उस पर बनी पुलिया के बहने के कारण भूकटाव हो रहा है। पीडब्ल्यूडी से कई बार क्षेत्रवासियों की शिकायतों के बावजूद इस गंभीर मुद्दे पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है। पूरे क्षेत्र में कूड़ेदानों की कमी और सफाईकर्मी के कभीकभार पहुंचने के कारण फैली गदंगी व कचरे से लोगों को दिक्कतें झेलनी पड़ रही हैं। दूसरी तरफ जोशीमठ खेल मैदान के निर्माण हेतु युवा कल्याण विभाग को हस्तान्तरित की गई थी लेकिन आज तक खेल स्टेडियम नहीं बना।
बोले जिम्मेदार
ज्योतिर्मठ नगर पालिका की अध्यक्ष देवेश्वरी शाह का कहना है कि रविग्राम में सफाई व आवागमन मार्गों की व्यवस्था ठीक हो इसके लिए सभासद के साथ राय मशवरा कर योजना तैयार की जा रही है। पूर्व में बने ड्रेनेज में क्या समस्या आ रही है उसे देखने के लिए मैंने पालिका जेई को कह दिया है। रविग्राम खेल मैदान, होसी नाले में पुलिया, कोठेला आदि में कुछ और मकानों में आ रही दरार और भूधंसाव के सम्बन्ध में जनभावना के अनुरूप शासन प्रशासन से पत्राचार किया जाएगा। सभासद प्रवेश डिमरी कहते हैं कि सड़क से लगी हुई 70 नाली भूमि को सरकार ने कुछ वर्ष पूर्व खेल स्टेडियम हेतु युवा कल्याण विभाग को स्थानान्तरित किया है जिसपर स्टेडियम निर्माण बड़ी चुनौती है। अन्य सभी समस्याओ को पालिका बोर्ड बैठकों में रख कर उनके निस्तारण की कोशिशें कर रहा हूं। जल संस्थान गोपेश्वर के एई अरुण गुप्ता का कहना है कि रांगड़ में बने पानी के टैंक को सुचारु करने के लिए मेरे द्वारा ज्योतिर्मठ जल संस्थान कार्यालय को पूर्व में कह दिया गया था। यदि इस टैंक से पेयजल आपूर्ति सुचारु नहीं की गई है तो इसे मैं अविलंब सुचारु करवाने के निर्देश दे रहा हूं। जीजीआईसी गेट के निकट हमारे पुराने टैंक के आसपास अतिक्रमण होने से वहां पर घेरबाड़ संभव नहीं है, लेकिन टैंक के पास कूड़ा न रहे इसका ध्यान रखेंगे।
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