देहरादून में तराजू से नापा जाएगा बैग का वजन,ज्यादा निकला तो स्कूल की मान्यता जाएगी
। जिन स्कूलों में वजन का मानक का उल्लंघन पाया जाता है,उनकी एनओसी और मान्यता भी निरस्त की जा सकती है। डॉ.सती ने हिन्दुस्तान को बताया कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के तहत केंद्र सरकार ने कक्षा के अनुसार बस्ते के वजन की सीमा तय की है।

छात्र-छात्राओं पर भारी बस्ते का बोझ लाद रहे स्कूलों के खिलाफ जांच के लिए शिक्षा अफसर तराजू लेकर अभियान चलाएंगे। बुधवार को माध्यमिक शिक्षा निदेशक डॉ. मुकुल कुमार सती ने सभी सीईओ को सभी स्कूलों में बस्ते का वजन का मानक शतप्रतिशत रूप में लागू करने को अभियान चलाने के आदेश दिए हैं। जिन स्कूलों में वजन का मानक का उल्लंघन पाया जाता है,उनकी एनओसी और मान्यता भी निरस्त की जा सकती है। डॉ.सती ने हिन्दुस्तान को बताया कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के तहत केंद्र सरकार ने कक्षा के अनुसार बस्ते के वजन की सीमा तय की है।
इसके तहत कक्षा एक से 12 वीं तक के छात्रों के लिए 1.6 किलो से अधिकतम पांच किलो तक ही बस्ते का वजन हो सकता है। लेकिन शिकायत मिल रही है कि कई स्कूलों में इसका पालन नहीं हो रहा है। यह गलत है। हर जिले में टीम गठित कर समय समय पर निजी स्कूलों का औचक निरीक्षण किया जाए।
यह टीम वजन तौलने वाली मशीन से छात्र की कक्षा के अनुसार बस्ते के भार का वजन करेगी। यदि मानक का उल्लंघन होता पाया जाए तो स्कूलों को नेाटिस जारी किया जाए। डॉ. सती ने कहा कि यदि स्कूल का जवाब संतोषजनक नहीं होता तो उसकी मान्यता और एनओसी को निरस्त किया जाए। माध्यमिक शिक्षा निदेशक डॉ.मुकुल कुमार सती ने कहा कि सभी स्कूलों को महीने में एक दिन बस्ता रहित दिवस भी मनाना है। इससे बोझ मानने के बजाए व्यवस्था का अंग बनाया जाए। इस दिन विभिन्न प्रकार की गतिविधियां कराई जाएं। यह बच्चों के व्यक्तित्व विकास में भी सहयोगी साबित होगा।
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