आतंकियों को मारकर हमने वही किया जो संयुक्त राष्ट्र कहता है, भारत का दुनिया को साफ संदेश
भारत ने साफ कहा है कि वह अपनी सीमाओं की सुरक्षा, नागरिकों की रक्षा और क्षेत्र में सामान्य स्थिति बनाए रखने के लिए हर आवश्यक कदम उठाएगा। ऑपरेशन सिंदूर इसी दिशा में एक ठोस कदम है।

पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत द्वारा की गई सैन्य कार्रवाई को लेकर सरकार ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय को स्पष्ट संदेश दिया है। भारत सरकार का कहना है कि हमने आतंकियों को मारकर वही किया जो खुद संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद कहता है। भारत ने कहा कि यह कार्रवाई न केवल न्याय सुनिश्चित करने के लिए की गई, बल्कि पाकिस्तान-आधारित आतंकी मॉड्यूल्स द्वारा भविष्य में भारत में हमलों को रोकने के उद्देश्य से भी की गई है।
विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने मीडिया को जानकारी देते हुए कहा था कि ऑपरेशन सिंदूर पूरी तरह से संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) के हालिया बयान के अनुरूप था, जिसमें इस "अत्यधिक बर्बर" हमले के अपराधियों और उनके समर्थकों को न्याय के कठघरे में लाने की आवश्यकता पर जोर दिया गया था। भारतीय सशस्त्र बलों ने पहलगाम आतंकी हमले का बदला लेते हुए कठोर जवाबी कार्रवाई में मंगलवार देर रात पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) में नौ आतंकी ठिकानों पर मिसाइल और ड्रोन हमले किए, जिनमें आतंकवादी समूहों लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद के गढ़ भी शामिल हैं। भारत की ‘‘नपी-तुली, टकराव को नहीं बढ़ाने वाली, संतुलित और जिम्मेदाराना’’ कार्रवाई 25 मिनट तक चली।
भारत ने प्रमुख वैश्विक शक्तियों को ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के कारणों से अवगत कराया
भारत ने बुधवार को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) के सदस्यों सहित प्रमुख वैश्विक शक्तियों को अपने सैन्य हमलों के पीछे के कारणों से अवगत कराया। सूत्रों ने बताया कि भारत ने विभिन्न देशों को यह भी बताया कि यदि पाकिस्तान तनावपूर्ण स्थिति को और बढ़ाता है तो वह जवाबी कार्रवाई करेगा। ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत किए गए सैन्य हमलों के कुछ घंटों बाद विदेश मंत्री एस जयशंकर ने जर्मनी, जापान, फ्रांस और स्पेन के अपने समकक्षों से बात की और उन्हें पाकिस्तान और पीओके में आतंकवादी ठिकानों के खिलाफ कार्रवाई के बारे में जानकारी दी। राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोभाल ने अमेरिका, चीन, ब्रिटेन, रूस और सऊदी अरब के अपने समकक्षों से बात की। डोभाल ने इन देशों के अपने समकक्षों से कहा कि भारत का तनाव बढ़ाने का कोई इरादा नहीं है, लेकिन अगर पाकिस्तान ऐसा करता है तो वह ‘‘दृढ़ता से जवाब देने’’ के लिए तैयार है।
"जवाबदेही तय करना और अगली साजिशें रोकना जरूरी"
इससे पहले विदेश सचिव मिस्री ने भारत की सैन्य कार्रवाई को "गैर-उकसावे वाली, जिम्मेदार, संतुलित और अनुपातिक" बताया था। उन्होंने कहा कि भारत के पास इस बात के ठोस प्रमाण हैं कि पहलगाम हमले के पीछे पाकिस्तान का हाथ था, जिसमें आतंकी समूहों की संचार प्रणाली भी शामिल है, जो पाकिस्तान के भीतर और उससे जुड़ी थी। उन्होंने बताया कि जिस संगठन "द रेजिस्टेंस फ्रंट (TRF)" ने हमले की जिम्मेदारी ली थी, वह वास्तव में पाकिस्तानी आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा (LeT) का ही एक मुखौटा संगठन है। भारत की खुफिया एजेंसियों ने इस नेटवर्क के योजनाकारों और मददगारों की पहचान कर ली है।
"हमारा उद्देश्य आतंकी ढांचे को ध्वस्त करना था"
विदेश सचिव ने कहा, "भारत ने यह कार्रवाई न केवल जवाब देने के लिए, बल्कि आगे ऐसी घटनाओं को रोकने और सीमापार से आने वाले आतंकियों को रोकने के लिए भी की। हमारा लक्ष्य था पाकिस्तान में मौजूद आतंकी ढांचे को खत्म करना और उन आतंकियों को निष्क्रिय करना, जिन्हें भारत भेजा जाना था।"
पाकिस्तान की चुप्पी और TRF की भूमिका
उन्होंने कहा कि हमले के दो सप्ताह बाद भी पाकिस्तान ने अपने क्षेत्र या कब्जे वाले कश्मीर (PoK) में मौजूद आतंकी ढांचे के खिलाफ कोई कदम नहीं उठाया। इसके विपरीत, भारत की खुफिया एजेंसियों को संकेत मिले थे कि और हमले की योजना बनाई जा रही है। इसलिए यह आवश्यक हो गया था कि भारत न केवल उन्हें रोके, बल्कि उनकी योजना को विफल भी करे। भारत ने संयुक्त राष्ट्र की 1267 प्रतिबंध समिति को पहले भी यह जानकारी दी थी कि LeT और जैश-ए-मोहम्मद जैसे आतंकी संगठन TRF जैसे छोटे समूहों के जरिए काम कर रहे हैं। दिसंबर 2023 में भी भारत ने इसकी जानकारी साझा की थी।
पाक-चीन की मिलीभगत से संयुक्त राष्ट्र बयान को कमजोर किया गया
मिस्री ने यह भी बताया कि 25 अप्रैल को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के बयान से TRF का जिक्र हटाने के लिए पाकिस्तान ने चीन के साथ मिलकर दबाव डाला था। उन्होंने कहा कि TRF द्वारा हमले की जिम्मेदारी लेना और लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े सोशल मीडिया हैंडल्स पर उस दावे का प्रचार अपने-आप में बहुत कुछ बयां करता है।
कश्मीर में सामान्य स्थिति बिगाड़ने की कोशिश
भारत सरकार का मानना है कि इस हमले का उद्देश्य कश्मीर में लौट रही सामान्य स्थिति और पर्यटन को बाधित करना था, ताकि क्षेत्र के विकास में रुकावट डाली जा सके और आतंक के लिए उपजाऊ जमीन बनाई जा सके। मिस्री ने कहा, “हमले का तरीका ऐसा था जिससे देश में साम्प्रदायिक तनाव भड़काया जा सके, लेकिन सरकार और देश की जनता ने मिलकर इन मंसूबों को नाकाम कर दिया।”
FATF और पाकिस्तान की चालबाजी
विदेश सचिव ने पाकिस्तान की दोहरी भूमिका की ओर भी इशारा किया। उन्होंने बताया कि कैसे पाकिस्तान ने FATF को धोखा देकर ग्रे लिस्ट से बाहर निकलने की कोशिश की, और मुंबई हमलों के आरोपी साजिद मीर को पहले मृत घोषित किया, लेकिन अंतरराष्ट्रीय दबाव के बाद उसे ज़िंदा पाया गया और फिर गिरफ्तार किया गया। उन्होंने कहा, “पाकिस्तान की पहचान एक ऐसे देश के रूप में है जहां दुनिया भर के आतंकवादियों को पनाह मिलती है। वहां अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिबंधित आतंकी खुलेआम घूमते हैं और सरकार उन्हें सुरक्षा देती है।”