fariadabad former indian army soldiers narrates story of india pakistan 1971 war when they fought wearing kurta lungi कुर्ता-लुंगी पहन किया था PAK से मुकाबला,फरीदाबाद के पूर्व सैनिकों ने सुनाया वो किस्सा, Ncr Hindi News - Hindustan
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कुर्ता-लुंगी पहन किया था PAK से मुकाबला,फरीदाबाद के पूर्व सैनिकों ने सुनाया वो किस्सा

ऑपरेशन सिंदूर के सफल होने के बाद सेना के पूर्व अधिकारी वर्ष 1971 के युद्ध की यादों को ताजा कर रहे हैं। अधिकारियों का कहना है कि तब युद्ध के दौरान भारतीय सैनिक कुर्ता-लुंगी पहनकर पाकिस्तानी सेना पर टूट पड़े थे। पाकिस्तानी सैनिकों की नजर से बचने के लिए उन्होंने वर्दी उतारकर कुर्ता-लुंगी पहनी थी।

Utkarsh Gaharwar हिन्दुस्तान, केशव भारद्वाज | फरीदाबादThu, 8 May 2025 07:17 AM
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कुर्ता-लुंगी पहन किया था PAK से मुकाबला,फरीदाबाद के पूर्व सैनिकों ने सुनाया वो किस्सा

ऑपरेशन सिंदूर के सफल होने के बाद सेना के पूर्व अधिकारी वर्ष 1971 के युद्ध की यादों को ताजा कर रहे हैं। अधिकारियों का कहना है कि तब युद्ध के दौरान भारतीय सैनिक कुर्ता-लुंगी पहनकर पाकिस्तानी सेना पर टूट पड़े थे। पाकिस्तानी सैनिकों की नजर से बचने के लिए उन्होंने वर्दी उतारकर कुर्ता-लुंगी पहनी थी। सेक्टर-16 निवासी कर्नल प्रेम सूद बताते हैं कि 1971 में वे सेना में कैप्टन थे।

उन्हें सेना की ओर से उन्हें भी 1971 के युद्ध में भाग लेने के लिए भेजा गया था। भारतीय सैनिक बांग्लादेश की मुक्ति वाहिनी की मदद कर रहे थे। उन्होंने बताया कि बांग्लादेश के जैशोर इलाके में उनकी ड्यूटी थी। पाकिस्तानी सेना के आत्मसमर्पण करने से एक दिन पहले 15 दिसंबर 1971 को उनके उनके पैर में गोली लग गई थी। वायरलैस ऑपरेटर मदनलाल की मौत हो गई थी। उन्हें फोटो का बड़ा शौक था। वे युद्ध के मैदान में भी कैमरा साथ लेकर गए थे। वहां उन्होंने बांग्लादेशी मुक्ति वाहिनी के साथ अपने साथियों की फोटो खिंचवाए थे।

सेक्टर-15ए निवासी कर्नल ऋषिपाल ने भी 1971 के युद्ध में हिस्सा लिया था। बांग्लादेश के जैसोर में बनाए जा रहे निर्माणाधीन हवाईअड्डे के पास उनकी ड्यूटी थी। वहां उन्होंने अपने साथियों के साथ एक स्टोर का निर्माण किया था। पाकिस्तानी सेना द्वारा आत्मसमर्पण करने के बाद इस स्टोर में हथियारों को जमा करना शुरू कर दिया था। उन्होंने बताया कि यहां पर इतनी बड़ी संख्या में हथियार आ रहे थे कि ऐसे लग रहा था कि ये हथियार न होकर लकड़ियां हैं। काफी संख्या में यहां राशन पकड़ा गया था। 1971 का युद्ध हमारी ऐतिहासिक जीत थी। इस जीत से हमारी सेना का मनोबल आज तक ऊंचा है।