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बोले हरिद्वार : कटहरा बाजार में शौचालय नहीं होने से व्यापारी-ग्राहक परेशान

हरिद्वार के कटहरा, सर्राफा और चौक बाजार में सार्वजनिक शौचालय की मांग वर्षों से की जा रही है। यहां 30,000 लोगों की दैनिक आवाजाही होती है, लेकिन एक भी शौचालय उपलब्ध नहीं है। महिलाओं और बुजुर्गों को सबसे...

Newswrap हिन्दुस्तान, हरिद्वारFri, 16 May 2025 09:44 PM
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बोले हरिद्वार : कटहरा बाजार में शौचालय नहीं होने से व्यापारी-ग्राहक परेशान

हरिद्वार के कटहरा बाजार, सर्राफा बाजार और चौक बाजार में सार्वजनिक शौचालय निर्माण की मांग वर्षों पुरानी है। श्रीराम चौक से पुल जटवाड़ा क्षेत्र तक व्यापारियों और ग्राहकों के लिए शौचालय की कोई सुविधा नहीं है। जबकि यहां करीब 1000 से अधिक दुकानें और शोरूम हैं। यहां के बाजार में रोजाना करीब 30 हजार लोगों की आवाजाही रहती है। शौचालय नहीं होने के कारण सबसे ज्यादा परेशानी महिलाओं और बुजुर्गों को उठानी पड़ती है। मजबूरी में ग्राहकों को लोगों के घरों में शौचालय के लिए जाना पड़ता है। दो किलोमीटर की दूरी में एक भी शौचालय नहीं है। व्यापारियों का आरोप है कि उन्होंने कई बार प्रशासन से शौचालय निर्माण की मांग की, लेकिन आज तक सार्वजनिक शौचालय नहीं बन पाया। हरिद्वार से सचिन कुमार की रिपोर्ट...

हरिद्वार की पहचान धार्मिक नगरी और पर्यटन स्थल के तौर पर होती है। लेकिन इसके सबसे प्रमुख व व्यस्ततम बाजारों में बुनियादी सुविधाओं का अभाव अब स्थानीय जनता और व्यापारियों के लिए बड़ी परेशानी का कारण बन गया है। शहर के मुख्य व्यापारिक केंद्रों में गिने जाने वाले सर्राफा बाजार, चौक बाजार और कटहरा बाजार में एक भी सार्वजनिक शौचालय नहीं बनाया गया है। श्रीराम चौक से लेकर जटवाड़ा पुल तक दो किलोमीटर की सड़क के दोनों तरफ बना बाजार व्यापार की दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है। लेकिन यहां कहीं भी शौचालय की सुविधा नहीं है। यही कारण है कि यहां आने वाले हजारों लोगों को विशेष रूप से महिलाओं और बुजुर्गों को असुविधा का सामना करना पड़ता है।

यह इलाका व्यापारिक दृष्टि से इतना व्यस्ततम है कि यहां प्रतिदिन करीब 30 हजार लोगों की आवाजाही होती है। सैकड़ों दुकानों और शोरूमों में काम करने वाले कर्मचारी, खरीदारी को आने वाले ग्राहक, पैदल यात्री और छोटे व्यापारियों को जब भी शौचालय की जरूरत महसूस होती है तो उनके पास कोई विकल्प नहीं बचता। मजबूरीवश उन्हें या तो अपने घर लौटना पड़ता है या फिर आसपास के घरों में शौचालय उपयोग करने की गुहार लगानी पड़ती है। व्यापारियों ने बताया कि बाजार में महिलाओं की संख्या ज्यादा होती है। त्योहारी सीजन हो या आम दिनों की खरीदारी, बड़ी संख्या में महिलाएं इस बाजार में आती हैं, लेकिन जब उन्हें शौचालय की जरूरत होती है तो कोई सार्वजनिक शौचलय नहीं होता। यही कारण है कि महिलाएं या तो जल्दी बाजार से लौट जाती हैं या फिर कई बार अत्यंत असहज स्थिति का सामना करना पड़ता है। बाजारों में सार्वजनिक शौचालय न होने प्रशासन की व्यवस्था पर भी सवाल खड़ा करती है।

बुजुर्गों और बीमार लोगों के लिए यह स्थिति और भी ज्यादा गंभीर हो जाती है। व्यापारियों का कहना है कि उन्होंने कई बार नगर निगम और प्रशासन को लिखित में शिकायत की है। स्थानीय व्यापार संगठनों ने भी इस मुद्दे को कई मंचों पर उठाया, लेकिन अब तक न तो कोई स्थायी शौचालय बनाया गया और न ही किसी अस्थायी समाधान की व्यवस्था की गई। दुकानदारों का यह भी आरोप है कि प्रशासन केवल टैक्स वसूली और लाइसेंस शुल्क लेने तक ही सीमित है, लेकिन जब बाजार में सुविधा देने की आती है तो प्रशासन आंखें मूंद लेता है। व्यापारियों का कहना है कि प्रशासन तत्काल इस दिशा में ठोस कदम उठाए। यदि ऐसा नहीं किया गया तो व्यापारी एकजुट होकर आंदोलन करेंगे।

सुझाव

1. श्रीराम चौक से जटवाड़ा पुल के बीच कम से कम दो स्थानों पर सार्वजनिक शौचालय बनाए जाएं।

2. जब तक स्थायी शौचालय न बनें, तब तक निगम को मोबाइल टॉयलेट वैन की व्यवस्था करनी चाहिए

3. सीवरेज और सफाई व्यवस्था मजबूत हो। जहां भी शौचालय बने वहां सीवर और नियमित सफाई की पुख्ता व्यवस्था सुनिश्चित की जाए।

4. नगर निगम व्यापारी संगठनों के साथ मिलकर सार्वजनिक शौचालय निर्माण की योजना बनाए।

5. निर्माण के पश्चात शौचालयों की सफाई, देखरेख और रखरखाव के लिए जिम्मेदारी तय की जाए और समय-समय पर निगरानी भी हो।

शिकायतें

1. इतने बड़े और व्यस्ततम व्यापारिक क्षेत्र में शौचालय न होना नगर निगम की घोर लापरवाही को दर्शाता है।

2. व्यापारियों द्वारा कई बार ज्ञापन और शिकायतें देने के बावजूद प्रशासन ने कोई संज्ञान नहीं लिया।

3. व्यापारियों का आरोप है कि प्रशासन केवल टैक्स वसूलने में विश्वास रखता है, लेकिन सुविधा देने में कोई दिलचस्पी नहीं दिखा रहा है।

4. महिलाओं और बुजुर्गों की अनदेखी। इससे सबसे ज्यादा परेशान महिलाएं और बुजुर्ग होते हैं।

5. स्वच्छ भारत अभियान का प्रचार तो होता है लेकिन प्रशासन जमीनी स्तर पर स्वच्छता की सबसे बुनियादी सुविधा तक उपलब्ध नहीं करा सका।

शौचालय नहीं होने पर ग्राहकों को आसपास के घरों में जाना पड़ता है

सरकारी या सार्वजनिक शौचालय न होने की वजह से बाजार में आने वाली महिलाओं, बुजुर्गों और मरीजों को मजबूरी में आसपास के घरों में जाकर शौचालय की अनुमति मांगनी पड़ती है। कई बार लोगों के इनकार करने पर उन्हें उपेक्षा का सामना करना पड़ता है। यह स्थिति केवल असुविधाजनक ही नहीं बल्कि महिलाओं के सम्मान और सुरक्षा से भी जुड़ी हुई है। हालांकि अक्सर लोग अपने घर के शौचालय इस्तेमाल करने की इजाजत दे देते हैं। व्यापारियों ने बताया कि ज्वालापुर में कटहरा और सर्राफा बाजार जिले का सबसे बड़ा बाजार है। यहां सबसे ज्यादा टैक्स सरकार को जाता है। वैसे तो सरकार महिलाओं को तमाम सुविधाएं देने का दावा करती है, लेकिन अधिकारियों की लापरवाही से सभी दावे फैल होते नजर आ रहे हैं। वर्षों पुराने बाजार में शौचालय सबसे महत्वपूर्ण आवश्यकता है। महिलाओं की मजबूरी भी प्रशासन समझ नहीं पा रहा है। अधिकारियों-जनप्रतिनिधियों को तत्काल निरीक्षण करना चाहिए और शौचालय निर्माण की दिशा में उचित कदम उठाना चाहिए।

ज्वालापुर रेल अंडरपास के पास बना है शौचालय

सर्राफा और कटहरा बाजार की दो किलोमीटर की दूरी में एक भी सार्वजनिक शौचालय नहीं है। एक शौचालय ज्वालापुर रेल अंडरपास के पास बनाया गया था, लेकिन बाजार से दूर होने के कारण लोगों को उसका कोई फायदा नहीं मिलता है। स्थानीय दुकानदारों का कहना है कि ज्वालापुर फाटक के आसपास भी बड़ा बाजार और वो अत्यंत भीड़भाड़ वाला क्षेत्र है। वहां पर भी लंबे संघर्ष के बाद शौचालय का निर्माण कराया गया था। सर्राफा और कटहरा बाजार से दूर होने के कारण वहां जाना संभव नहीं होता। इसके अतिरिक्त इसके दो किलोमीटर दूर फिर जटवाड़ा पुल के पास एक शौचालय बना है। दोनों बाजारों में कई संकीर्ण गालियां हैं। सभी गलियों में रोजाना भीड़ उमड़ती है। भीड़ के हिसाब से अंडरपास और जटवाड़ा पुल के दोनों ही शौचालय बाजारों से दूर हैं। ऐसी स्थिति में बीच बाजार में कम से कम दो शौचालय बनने चाहिए।

खुले में शौच करने के लिए मजबूर हैं लोग

बाजार में मौजूद दुकानों में काम करने वाले कर्मचारी, ठेला विक्रेता और ग्राहक जब शौचालय नहीं पाते है तो मजबूरन संकरी गलियों, बंद दुकानों के पीछे या खाली प्लॉट्स में जाकर खुले में शौच करते हैं। यह स्थिति न केवल गंभीर स्वच्छता संकट पैदा करती है, बल्कि सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए भी एक बड़ा खतरा बनती जा रही है। आरोप है कि इतने बड़े बाजार में एक भी सार्वजनिक शौचालय सरकार के स्वच्छ भारत अभियान को ठेंगा दिखाने जैसा बन गया है। वैसे तो घर घर शौचालय के लिए योजनाएं चलाई गई है ताकि गंदगी न हो। पर्यावरण सुरक्षा के साथ साथ लोगों के स्वास्थ्य को भी ध्यान में रखना चाहिए। बाजारों में शौचालय की व्यवस्था करनी चाहिए। इसलिए व्यापारियों की मांग है कि बाजार के बीच में कम से कम दो सार्वजनिक शौचालय बनने चाहिए। वो पैसा देने को भी तैयार हैं और इसके लिए संचालन की व्यवस्था भी नगर निगम को करनी चाहिए।

व्यापार मंडल ने आंदोलन की चेतावनी दी

व्यापारियों ने बताया कि वह कई सालों से बाजारों में शौचालय की मांग करते चले आ रहे हैं। उन्होंने कई बार लिखित पत्र दिए। अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों से भी ज्ञापन देकर शौचालय निर्माण की मांग की, लेकिन आज तक उनकी मांग पूरी नहीं की जा रही है। ऐसी स्थिति में वो खुद को उपेक्षित महसूस करते हैं। शहर व्यापार मंडल ज्वालापुर के अध्यक्ष विपिन गुप्ता ने सार्वजनिक रूप से प्रशासन को चेतावनी दी है कि यदि शीघ्र इस गंभीर समस्या का स्थायी समाधान नहीं किया गया, तो व्यापारी वर्ग आंदोलन के लिए बाध्य होगा। व्यापारियों का कहना है कि वे वर्षों से टैक्स भरते आ रहे हैं लेकिन सुविधाओं के नाम पर उन्हें कुछ नहीं मिला। अब मामला केवल सुविधा का नहीं, बल्कि स्वाभिमान, गरिमा और स्वास्थ्य से जुड़ा हुआ है। जिसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। आंदोलन करना पड़ा तो इसकी जिम्मेदारी भी प्रशासन की होगी।

तमाम स्वच्छता अभियान की जमीनी हकीकत

सर्राफा बाजार और आसपास के क्षेत्र में स्वच्छ भारत मिशन के अंतर्गत होर्डिंग, पोस्टर और पेंटिंग्स लगाए जाते हैं। इनमें स्वच्छता, शौचालय उपयोग और सफाई का संदेश तो जोर-शोर से दिया गया है। लेकिन हकीकत में खुद इन इलाकों में एक भी चालू सार्वजनिक शौचालय नहीं है। यह स्थिति सरकार की योजनाओं और जमीनी हकीकत के बीच की खाई को स्पष्ट करती है। स्थानीय व्यापारियों का कहना है कि सिर्फ स्लोगन और पोस्टर से काम नहीं चलेगा जब तक बुनियादी सुविधाएं न दी जाएं। इसके अलावा विभिन्न दिवसों पर स्वच्छता अभियान चलाए जाते हैं और स्वच्छ भारत के नारे दिए जाते हैं लेकिन ज्वालापुर के बाजारों में हकीकत कुछ और है।

बोले लोग-

हम लोग सालों से दुकान चला रहे हैं लेकिन आज तक किसी ने इस इलाके में शौचालय बनाने की सुध नहीं ली। जिसके चलते खासकर महिला ग्राहक बहुत परेशान होती हैं। कई बार हमें भी अच्छा नहीं लगता। -नरेंद्र अग्रवाल

प्रशासन सिर्फ टैक्स लेने आता है। हमने कई बार ज्ञापन दिए और अधिकारियों से मिलकर गुहार भी लगाई, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। आ भी शौचालय निर्माण की समस्या जस की तस है। -प्रदीप अग्रवाल

बाजार में सबसे ज्यादा भीड़ शाम के वक्त होती है। महिलाएं कई बार हमसे पूछती हैं कि शौचालय कहां है, तो जवाब नहीं बन पाता। आसपास कोई प्राइवेट शौचालय भी नहीं है। जिससे दिक्कत होती है। -सतीश छाबड़ा

त्योहारी सीजन में हालत और भी बुरी हो जाती है। बाजार में पैर रखने की जगह नहीं होती और उस वक्त शौचालय की जरूरत सबसे ज्यादा महसूस होती है। प्रशासन को इस ओर ध्यान देना चाहिए। -लोकेश वर्मा

सबसे ज्यादा कॉमर्शियल टैक्स देते हैं। नगर निगम सफाई टैक्स से लेकर व्यापार लाइसेंस तक सब वसूलता है। लेकिन बदले में एक शौचालय तक नहीं दे सका। ये हमारे साथ सरासर अन्याय है। -आशीष सापड़ा

बाजार में दुकानों पर काम करने वाले कर्मचारी भी पूरे दिन काम पर होते हैं। उन्हें कहीं जाने की जगह नहीं होती। कई बार कर्मियों को दोपहर में घर भेजना पड़ता है। इससे व्यापार पर असर पड़ता है। -विशाल ननकानी

महिलाएं जब दुकान पर आती हैं और शौचालय की बात करती हैं तो हमें बहुत असहज स्थिति का सामना करना पड़ता है। ऐसी स्थिति में वह बिना समान खरीदे ही निकल जाती हैं और दोबारा नहीं लौटती । -गौरव छाबड़ा

शहर में स्वच्छ भारत के पोस्टर तो लग जाते हैं, लेकिन असली स्वच्छता की सुविधा यहां नहीं है। दो किलोमीटर तक एक भी शौचालय न होना समझ से बाहर है। इससे दिक्कतें होती हैं। -मनोज गोयल

हमने कई बार शौचालय बनाने के लिए जमीन चिन्हीकरण के लिए प्रशासन को पत्र लिखे, लेकिन अधिकारियों ने सिर्फ आश्वासन दिया और कार्रवाई आज तक नहीं की। -योगेश सचदेवा

बाजार की छवि पर भी फर्क पड़ता है। बाहर से आने वाले लोग जब पूछते हैं कि यहां शौचालय कहां है और हम जवाब नहीं दे पाते तो शर्मिंदगी होती है। प्रशासन तो बस दफ्तरों में रहता है। -शेखर अरोड़ा

अगर प्रशासन ने जल्द इस समस्या के समाधान को कदम नहीं उठाया तो हम सब व्यापारी मिलकर आंदोलन करेंगे। यह केवल लोगों की सुविधा का नहीं बल्कि एक बहुत ही गंभीर मुद्दा है। इस पर ध्यान दिया जाए। -गौरव

हम चाहते हैं कि बाजार में कम से कम दो स्थानों पर महिला-पुरुष दोनों के लिए साफ-सुथरे और सुरक्षित शौचालय बनाए जाएं। प्रशासन को हमारी इस मांग पर जल्द विचार करना पड़ेगा। -अभिषेक अग्रवाल

बोले जिम्मेदार

व्यापारियों की समस्या का समाधान प्रशासन प्राथमिकता से करता है। व्यापारियों की शौचालय की समस्या का भी समाधान किया जाएगा। मौके पर जाकर व्यापारियों से वार्ता की जाएगी। शौचालय निर्माण के लिए नगर निगम से बाजार में भूमि चिह्नित करने को कहा जाएगा। एचआरडीए स्तर पर भी शौचालय निर्माण के प्रयास किए जाएंगे। -मनीष सिंह, सचिव एचआरडीए

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