जंगलों को आग से बचाने को विभागों का समन्वय जरूरी
गढ़वाल वन प्रभाग ने जंगलों को आग से बचाने के लिए विभिन्न विभागों के अधिकारियों के साथ समंवय बैठक का आयोजन किया। बैठक में वनाग्नि नियंत्रण की रणनीतियों, संसाधनों के समुचित उपयोग, और आग लगने की स्थिति...

जंगलों को आग से बचाने के लिए गढ़वाल वन प्रभाग द्वारा विभिन्न विभागों के अफसरों के साथ समंवय बैठक का आयोजन किया गया। बैठक में वनाग्नि नियंत्रण की रणनीतियों, संसाधनों के समुचित उपयोग, विभागीय समंवयय को मजबूत करने पर चर्चा की गई। बैठक में डीएफओ गढ़वाल स्वप्निल अनिरुद्ध ने कहा कि गढ़वाल जनपद अपने घने वनों और जैव विविधता के लिए प्रसिद्ध होने के साथ-साथ वनाग्नि की दृष्टि से अत्यंत संवेदनशील है। वनाग्नि न केवल पर्यावरण को क्षति पहुंचाती है, बल्कि वन्यजीवों, मानव बस्तियों व जल स्रोतों को भी गंभीर रूप से प्रभावित करती है। आपदा प्रबंधन अधिनियम 2005 के तहत वनाग्नि को आपदा की श्रेणी में रखा गया है। कहा कि वनाग्नि काल शुरू हो गया है। कहा कि वन विभाग व अग्निशमन विभाग के बीच प्रभावी समंवय स्थापित करने से वनाग्नि की घटनाओं को कम किया जा सकता है।
बैठक में वनाग्नि रोकथाम के तहत, वनाग्नि नियंत्रण कर्मियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने, त्वरित अग्निशमन उपायों को अपनाने तथा जागरूकता अभियानों को सशक्त बनाने पर बल दिया गया। बैठक में आग लगने की स्थिति में सूचना संचार प्रणाली को मजबूत करने, रैपिड रिस्पांस टीमों की तैनाती व संसाधनों का अधिकतम उपयोग करने की रणनीति भी तय की गई। साथ ही वनों में आग लगाने जैसी आपराधिक गतिविधियों में संलिप्त व्यक्तियों के विरुद्ध कठोर कानूनी कार्रवाई करने के निर्देश भी दिए गए। बैठक में मुख्य अग्निशमन अधिकारी राजेंद्र सिंह खाती, एसडीओ आईशा बिष्ट, रमेश गौतम, दिनेश चंद्र नौटियाल, भूपेंद्र सिंह रावत, सुनीत दत्त तिवाडी आदि शामिल रहे।
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