जन्म प्रमाण पत्र के लिए ऑनलाइन आवेदन में आ रही दिक्कत
रुद्रपुर में जन्म प्रमाण पत्र बनाने के लिए ऑनलाइन सुविधा होने के बावजूद लोग समस्याओं का सामना कर रहे हैं। सप्ताह में कई बार सर्वर डाउन रहने के कारण आवेदन प्रक्रिया बाधित हो रही है। नगर निगम में केवल...

रुद्रपुर, संवाददाता। जन्म प्रमाण पत्र बनाने के लिए ऑनलाइन सुविधा होने के बाद भी लोग घर बैठे जन्म प्रमाण पत्र नहीं बनवा पा रहे हैं। हफ्ते में दो से तीन बार साइड का सर्वर डाउन रहता है। इससे लोगों को तो दिक्कत हो ही रही है, कर्मचारी भी परेशान हैं। वहीं दूसरी तरफ दो ही कर्मी होने से काम का लोड भी बढ़ रहा है। नगर निगम में जन्म-मृत्यु प्रमाण पत्र बनाने के लिए केवल दो ही कर्मचारी मौजूद हैं। इसमें से एक के जोनल कार्यालय जाने से दूसरे पर काम का भार पड़ जाता है और काम में भी देरी हो जाती है।
निगम के 40 वार्डों के लिए सिर्फ दो ही कर्मचारी तैनात हैं। नागरिक के ऑनलाइन सुविधा बहुत हैं लेकिन जब तकनीकी ढांचे ही चरमरा जाएं तो यह सुविधा आम जनता के लिए मुसीबत का सबब बन जाती है। नगर निगम में जन्म प्रमाण पत्र के ऑनलाइन आवेदन में आम लोग और निगम के कर्मचारी दोनों ही भारी परेशानियों का सामना कर रहे हैं। दरअसल, जन्म प्रमाण पत्र के लिए नगर निगम में हफ्ते में दो से तीन बार ऑनलाइन पोर्टल का सर्वर डाउन हो रहा है। इससे ऑनलाइन आवेदन प्रक्रिया बाधित हो रही है। वहीं कर्मचारियों को भी अपने नियमित कार्यों को पूरा करने में दिक्कत हो रही है। नगर निगम क्षेत्र के 40 वार्डों की जन्म-मृत्यु प्रमाण पत्र बनाने की जिम्मेदारी केवल दो कर्मचारियों पर है। इसमें से जब एक कर्मचारी को जोनल कार्यालय भेजा जाता है, तो सारा भार एक ही कर्मचारी पर आ जाता है। नगर निगम की जन्म-मृत्यु लिपिक अमिता रानी ने कहा कि जल्द ही ट्रांजिट कैंप में एक नया जोनल कार्यालय खुलने वाला है, जहां यहां से ही एक कर्मचारी को भेजा जाएगा। इससे मुख्य कार्यालय में स्टाफ की और कमी हो जाएगी और कामकाज पर और ज्यादा असर पड़ेगा। उन्होंने कहा की कम से कम तीन कर्मचारी तो केवल एक कार्यालय के लिए होने चाहिए। हर महीने 1000 से ज्यादा जन्म प्रमाण पत्र बनाए जाते हैं। कहा कि पुरानी वेबसाइट को सरकार ने बंद कर दिया था। उस पोर्टल के जरिए फर्जी जन्म प्रमाण पत्र बन रहे थे। इसके बाद जून 2024 में सरकार ने नई वेबसाइट लॉन्च की लेकिन नई वेबसाइड में भी तकनीकी खामियां हैं। जिसका सर्वर हफ्ते में कई बार डाउन हो जाता है। कई लोगों को कई बार खाली हाथ जाना पड़ता है। वहीं जन्म प्रमाण पत्र बनवाने की प्रक्रिया में दस्तावेजों का महत्व भी कम नहीं है। जो माता-पिता बच्चे का प्रमाण पत्र 21 दिनों के भीतर बनवाते हैं, तो उन्हें केवल अस्पताल का बर्थ लेटर देना होता है, लेकिन अगर यह अवधि पार हो जाती है, तो एक एफिडेविट की जरूरत होती है। 30 दिन से अधिक समय बीत जाने पर विलंब शुल्क के साथ-साथ उच्च प्राधिकारी की लिखित अनुमति या शपथ पत्र देना भी जरूरी हो जाता है। कई बार अभिभावकों के पास अस्पताल का प्रमाण पत्र नहीं होता, ऐसे में उन्हें पुराने दस्तावेज जैसे बिजली का बिल, राशन कार्ड, वोटर आईडी आदि देने पड़ते हैं। यह प्रक्रिया पहले से ही लंबी है, ऊपर से जब वेबसाइट ठीक से काम न करे तो लोगों को बार-बार नगर निगम के चक्कर लगाने पड़ते हैं। सरकार द्वारा डिजिटल सेवाओं के विस्तार का उद्देश्य जनता को सुगम और पारदर्शी सेवाएं देना था, लेकिन जब तकनीकी अवरोध और कर्मचारियों की कमी इसमें आड़े आ जाए तो डिजिटल सेवा भी आमजन के लिए एक बोझ बन जाती है।
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