टीचर ने सालों तक बीएड की फर्जी डिग्री से की नौकरी, 3 साल की मिली कड़ी सजा
19 मई 2025 को न्यायालय ने सुरेन्द्र चन्द को भारतीय दण्ड संहिता की धारा 420 के तहत तीन वर्ष का कठोर कारावास एवं 10,000 रुपये जुर्माने तथा धारा 471 के तहत दो वर्ष का कठोर कारावास एवं 5,000 जुर्माने की सजा सुनाई।

शिक्षा विभाग में बीएड की फर्जी डिग्री के आधार पर नौकरी करने वालों के विरुद्ध चल रही कार्रवाई को लेकर जनपद रुद्रप्रयाग में एक और फर्जी शिक्षक को सजा सुनाई गई है। न्यायालय ने दोषी पाए गए शिक्षक सुरेन्द्र चन्द पुत्र मदन लाल को तीन वर्ष के कठोर कारावास और 15,000 रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई है।
रुद्रप्रयाग जिले में कोर्ट ने अब तक 26 में से 25 फर्जी शिक्षकों को सजा सुना दी है। रुद्रप्रयाग जिले के रहने वाले फर्जी शिक्षक सुरेन्द्र चन्द ने वर्ष 1999 की बीएड की फर्जी डिग्री के आधार पर शिक्षा विभाग में नौकरी प्राप्त की थी। विभागीय एवं एसआईटी जांच के दौरान जब चौधरी चरण सिंह विवि, मेरठ से सत्यापन कराया गया तो पाया गया कि वर्ष 1999 में विश्वविद्यालय द्वारा सुरेन्द्र चन्द नामक किसी भी व्यक्ति को बीएड की डिग्री जारी नहीं की गई थी।
इस खुलासे के बाद शासन स्तर पर एसआईटी जांच कराई गई और शिक्षक के विरुद्ध मुकदमा दर्ज कराया गया। उसे तत्काल प्रभाव से निलंबित कर बर्खास्त कर दिया गया। मामला मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट, रुद्रप्रयाग की अदालत में विचाराधीन रहा। 19 मई 2025 को न्यायालय ने सुरेन्द्र चन्द को भारतीय दण्ड संहिता की धारा 420 के तहत तीन वर्ष का कठोर कारावास एवं 10,000 रुपये जुर्माने तथा धारा 471 के तहत दो वर्ष का कठोर कारावास एवं 5,000 जुर्माने की सजा सुनाई।
चूंकि दोषी बीमारी एवं डायलिसिस पर है, इसलिए न्यायालय ने उसे कुल तीन वर्ष की सजा एवं जुर्माना देकर दण्डित किया। राज्य सरकार की ओर से इस मामले में प्रभावी पैरवी अभियोजन अधिकारी प्रमोद चन्द्र आर्य द्वारा की गई। बताते चलें कि जनपद रुद्रप्रयाग में इस प्रकार के कुल 26 मामलों में से अब तक 25 का निस्तारण हो चुका है।
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