टिहरी में खेती-किसानी पर बढ़ते संकट पर चर्चा की
अखिल भारतीय किसान सभा (एआईकेएस) ने अपने स्थापना दिवस पर ग्राम कमेटी किरगणी में संगठन के इतिहास और खेती के संकटों पर चर्चा की। जिलाध्यक्ष भगवान सिंह राणा ने झंडा फहराया। 89वीं वर्षगांठ पर संगठन के...
अखिल भारतीय किसान सभा (एआईकेएस) की जनपद टिहरी इकाई ने स्थापना दिवस के मौके पर ग्राम कमेटी किरगणी में विभिन्न मसलों पर चर्चा करते हुए संगठन के इतिहास, भविष्य के कार्यभार और खेती-किसानी के उत्तरोत्तर बढ़ते संकट पर चर्चा की। संगठन के कैम्प कार्यालय नई टिहरी में जिलाध्यक्ष भगवान सिंह राणा ने संगठन का झंडा फहराया। अखिल भारतीय किसान सभा के जिला सचिव कृपाल सिंह कठैत के नेतृत्व में संगठन और किसानों की समस्याओं पर चर्चा हुई। चर्चा में बताया कि किसानसभा स्थापना की 89वीं वर्षगांठ मना रहा है। अखिल भारतीय किसान सभा का पहला अधिवेशन, देश की आजादी के 11 वर्ष पूर्व 11 अप्रैल 1936 को लखनऊ में संपन्न हुआ था। और स्वामी सहजानंद सरस्वती पहले अध्यक्ष चुने गए थे। अखिल भारतीय किसान सभा के नेतृत्व में देश के अलग-अलग सूबों में, किसानों की मांगों को लेकर बहुत सारे नतीजापरक संघर्ष लड़े गए और कुछ जीतें भी हासिल की गई। किसान सभा ने नारा दिया था कि 'जमीन जोतने वाले की' और इसी नारे की तपिश से देश की आजादी के बाद तत्कालीन सरकारों को भूमि सुधार को ऐजेण्डे में लेने के लिए विवश होना पड़ा। इसका अधिकतम अमल केरल की ईएमएस नंबूदरीपाद के नेतृत्व वाली कम्युनिस्ट सरकार ने किया, जो 1957 में चुनकर आई थी। कोरोना काल में मोदी सरकार जो तीन कृषि कानून लायी थी। उसके खिलाफ साझे आंदोलन को उभारने में अखिल भारतीय किसान सभा की केन्द्रीय भूमिका रही है।
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