Baisakhi: कल से वैशाख माह शुरू, जानें 13 या 14 अप्रैल कब मनेगी बैसाखी
- Baisakhi 2025, Vaishakh: सिख समुदाय में बैसाखी का त्योहार खास महत्व रखता है। नववर्ष के रूप में ये त्योहार बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। बैसाखी के दिन सिख धर्म के लोग पारंपरिक तरीके से वस्त्र पहनते हैं और भांगड़ा करते हैं।

Baisakhi 2025, Vaishakh, कल से वैशाख माह शुरू: पंचांग अनुसार, 13 अप्रैल से वैशाख माह की शुरुआत होगी। हिन्दू पंचांग के अनुसार, 13 अप्रैल की सुबह 5 बजकर 52 मिनट से वैशाख कृष्ण पक्ष यानी प्रतिपदा तिथि का आरंभ हो रहा है। सिख समुदाय में बैसाखी का त्योहार खास महत्व रखता है। नववर्ष के रूप में ये त्योहार बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। बैसाखी के दिन सिख धर्म के लोग पारंपरिक तरीके से वस्त्र पहनते हैं और भांगड़ा करते हैं। इसके साथ ही घी व आटे से बने प्रसाद का सेवन करते हैं। यह रबी की फसल के पकने की खुशी का प्रतीक है। बैसाखी वाले दिन से ही वसंत ऋतु का आगमन माना जाता है और सिख लोग इसे नववर्ष के तौर पर भी मनाते हैं।
जानें 13 या 14 अप्रैल कब मनेगी बैसाखी: पंडित प्रभात मिश्र के अनुसार, 13 अप्रैल को वैशाखी मनाई जाएगी। सिख समुदाय के द्वारा रविवार को 326वां वैशाखी पर्व हर्षोल्लास एवं श्रद्धा के साथ मनाया जाएगा।
बैसाखी का महत्व: मान्यताओं के अनुसार, इसी दिन सन् 1699 में सिख के दसवें गुरु गुरु गोविन्द सिंह ने आनंदपुर साहिब में खालसा पंथ की स्थापना की थी। धर्म की रक्षा करना और समाज की भलाई करने के लिए खालसा पंथ की स्थापना की गई थी। इस कारण बैसाखी का खास महत्व है। तभी से प्रत्येक वर्ष अप्रैल माह में वैशाखी पर्व को मनाने की परंपरा शुरू हुई। हर साल यह त्योहार उत्तर भारत सहित पंजाब, हरियाणा व दिल्ली सहित अन्य कई जगहों में 14 या 15 अप्रैल को मनाया जाता है। नई फसल आ जाने की खुशी में विशेषकर सिख समुदाय इसे धूमधाम से मनाते हैं। यह पर्व सिर्फ पंजाब और हरियाणा में ही नहीं बल्कि देश के अलग-अलग हिस्सों में भी इसे अलग-अलग नामों से जाना जाता है। बंगाल में पीला बैसाख तो दक्षिण में बिशु के नाम से जाना जाता हैं। केरल, तमिलनाडु, असम आदि राज्यों में बिहू के नाम से वैशाखी पर्व मनाया जाता है।
मेष संक्रांति: बैसाखी के दिन ही मेष संक्रांति मनाई जाती है। इस दिन सूर्य देव मीन राशि से मेष राशि में प्रवेश करते हैं। ज्योतिष अशोक वार्ष्णेय के अनुसार, 14 अप्रैल को सूर्य के राशि परिवर्तन के साथ हिन्दू नववर्ष की पहली संक्रांति मेष संक्रांति मनाई जाएगी। साल 2025 में 13 तारीख की मध्यरात्रि 3 बजकर 21 मिनट पर सूर्य गोचर होगा। सूर्य के मेष राशि में जाने पर पुण्यकाल व स्नान-दान किया जाएगा। इसलिए 14 अप्रैल को स्नान-दान किया जाएगा। सूर्य के मीन से मेष राशि में गोचर करते ही खरमास समाप्त हो जाएगा। इस दिन व्रत, दान, स्नान, सूर्य उपासना करने से अक्षय फल की प्राप्ति होती है। यह शुभ समय सनातन पंचांग के अनुसार वर्ष के दूसरे माह बैसाख से भी जुड़ा है, जिसे माधव मास कहा जाता है।
डिस्क्लेमर: इस आलेख में दी गई जानकारियों पर हम यह दावा नहीं करते कि ये पूर्णतया सत्य एवं सटीक हैं। विस्तृत और अधिक जानकारी के लिए संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।