ससुरालवालों पर दबाव बनाने को परिवार के पुरुषों पर रेप केस करने का चलन बढ़ा : दिल्ली कोर्ट
दिल्ली के पटियाला हाउस कोर्ट ने 68 साल बुजुर्ग सहित 3 आरोपियों को रेप के आरोपों से बरी कर दिया। कोर्ट ने माना कि शिकायतकर्ता महिला द्वारा अपने ससुर के खिलाफ लगाए गए आरोप के झूठे थे।

दिल्ली के पटियाला हाउस की स्पेशल कोर्ट ने 68 साल बुजुर्ग सहित 3 आरोपियों को बलात्कार के आरोपों से बरी कर दिया। कोर्ट ने माना कि शिकायतकर्ता महिला द्वारा अपने ससुर के खिलाफ लगाए गए आरोप के झूठे थे। कोर्ट ने कहा कि वैवाहिक झगड़ों के मामलों में ससुरालवालों पर दबाव डालने के लिए परिवार के पुरुषों के खिलाफ रेप केस दर्ज कराने का चलन बढ़ रहा है।
यह मामला एक बहू द्वारा अपने 68 वर्षीय के खिलाफ लगाए गए आरोपों पर आधारित था। कथित तौर पर अपने शादीशुदा जीवन से निराश महिला ने अपने ससुर पर दुष्कर्म करने का आरोप लगाया था। साथ ही यह भी दावा किया था कि उसे जान से मारने के प्रयास में ससुर ने उसे जबरन ‘ऑल आउट’ नाम का केमिकल पिला दिया था।
कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि तथ्यों और साक्ष्यों की गहनता से जांच करने पर महिला की गवाही विरोधाभासों और विसंगतियों से भरी हुई पाई गई। जांच और मुकदमे के दौरान उसके बयानों में अंतर रहे, जिससे उसकी विश्वसनीयता कम हुई है। वर्तमान हालातों में सिर्फ महिला की अपुष्ट गवाही के आधार पर आरोपियों को दोषी ठहराना ठीक नहीं होगा।
मुकदमे की सुनवाई के दौरान आरोपी के वाली रवि द्राल ने अदालत में तर्क दिया कि शिकायतकर्ता महिला द्वारा वैवाहिक झगड़े को बढ़ा-चढ़ाकर एक जघन्य अपराध का रूप दिया गया है। वकील ने कहा कि यह सोच से परे है कि शारीरिक रूप से अक्षम एक 68 साल का व्यक्ति खुद से 40 साल छोटी महिला के साथ ऐसा काम कर सकता है।
वकील ने महिला के बयानों में कई विरोधाभासों को भी उजागर किया। वकील ने कहा कि पढ़ी-लिखी होने के बावजूद, शिकायतकर्ता कथित घटना की सही तारीख याद करने में असमर्थ थी। हालांकि उसने उसी समय की अन्य घटनाओं के बारे में डिटेल में जानकारी दी। इस असंगति ने उसके दावों की विश्वसनीयता पर संदेह पैदा किया।
जहर दिए जाने के आरोपों को भी वैज्ञानिक साक्ष्यों से भी खारिज किया गया। महिला की मेडिकल जांच के दौरान जांच अधिकारी ने "गैस्ट्रिक लीव्ज" जब्त की थी और उसे एफएसएल भेजा था। एफएसएल की रिपोर्ट के अनुसार, उसमें कोई जहर, एथिल अल्कोहल और कीटनाशक नहीं पाया गया।
कोर्ट ने पेश किए गए सबूतों और तर्कों की गहनता से जांच करने के बाद तीनों आरोपियों को बरी कर दिया।
कोर्ट ने आरोपियों को बरी करते हुए कहा, ''इस मामले में जांच बहुत ही लापरवाही और असावधानी से की गई। कॉल डिटेल रिकॉर्ड और मोबाइल नंबरों की लोकेशन अहम हो सकती है। सुनवाई में मामले के जांच अधिकारी ने कहा कि उसने आरोपी के मोबाइल नंबर की सीडीआर के लिए रिक्वेस्ट भेजी थी, लेकिन उसे एकत्र नहीं किया गया। कोर्ट ने आगे कहा कि वैवाहिक झगड़ों के मामलों में पूरे परिवार पर दबाव डालने के लिए ससुरालवालों या पति के परिवार के किसी अन्य पुरुष के खिलाफ आईपीसी की धारा 376 के तहत शिकायत दर्ज करने का चलन बढ़ रहा है।''