Dwijapriya Sankashti Chaturthi 2025:द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी कब है? जानें तिथि, शुभ मुहूर्त और पूजाविधि
- Dwijapriya Sankashti Chaturthi 2025: हर साल फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी मनाई जाती है। इस दिन दुख-बाधाओं से छुटकारा पाने के लिए गणेशजी की पूजा-अर्चना की जाती है।

Dwijapriya Sankashti Chaturthi 2025: हिंदू धर्म में गणेशजी को प्रथम पूजनीय देवता माना गया है। किसी भी धार्मिक कार्यों की शुरुआत गणेशजी की पूजा-अर्चना के साथ की जाती है। धार्मिक मान्यता है कि गणेश जी की पूजा करने से कार्यों की विघ्न-बाधाएं दूर होती है और सभी कार्य बिना किसी अड़चन के सफल होते हैं। गणेशजी की कृपा से कष्टों से छुटकारा पाने के लिए भी हर माह में आने वाली चतुर्थी तिथि को व्रत और पूजन किया जाता है। हर साल फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी मनाई जाती है। ऐसा कहा जाता है कि इस दिन गणेशजी की पूजा करने से सभी दुख-बाधाओं से मुक्ति मिलती है और जीवन में सुख-शांति बनी रहती है। आइए जानते हैं द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी की सही तिथि, शुभ मुहूर्त और पूजाविधि...
कब है द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी?
द्रिक पंचांग के अनुसार, फाल्गुन माह कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि की शुरुआत 15 फरवरी 2025 को रात 11 बजकर 52 मिनट पर होगी और 17 फरवरी को प्रातः काल 02 बजकर 15 मिनट पर शुरू होगी। ऐसे में उदयातिथि के अनुसार, 16 फरवरी 2025 को द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी मनाई जाएगी।
द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी 2025: शुभ मुहूर्त
ब्रह्म मुहूर्त:05:16 ए एम से 06:07 ए एम
अभिजित मुहूर्त:12:13 पी एम से 12:58 पी एम
गोधूलि मुहूर्त:06:10 पी एम से 06:35 पी एम
अमृत काल :09:48 पी एम से 11:36 पी एम
विजय मुहूर्त :02:28 पी एम से 03:12 पी एम
द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी 2025: गणेशजी की पूजाविधि
द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी के दिन सुबह जल्दी उठें। स्नानादि के बाद स्वच्छ कपड़े धारण करें। घर के मंदिर की साफ-सफाई करें। एक छोटी चौकी पर लाल या पीला वस्त्र बिछाएं। इस पर गणेशजी और शिव परिवार की प्रतिमा स्थापित करें। अब गणेशजी को फल, फूल,दूर्वा, अक्षत ,धूप-दीप और नैवेद्य अर्पित करें। गणेशजी को सिंदूर अर्पित करें। उनके समक्ष घी का दीपक जलाएं। गणेशजी के मंत्रों का जाप करें। इसके बाद गणेशजी को मोदक ,फल और मिठाई का भोग लगाएं। अंत में गणेशजी के साथ सभी देवी-देवताओं की आरती उतारें और खुशहाल जीवन की कामना करते हुए पूजा समाप्त करें।