आप पर कैसे बरसेगी कृपा
आप चाहे खाना खाएं या पानी पिएं या सांस लें, ये सब कृपा ही है। हाइड्रोजन के दो भाग ऑक्सीजन के एक भाग के साथ मिल कर जीवन देने वाला पानी बनाते है। यह भी कृपा ही है।

Sadguru pravchan: कृपा कोई अमूर्त, गैरहाजिर विचार या कल्पना नहीं है पर ये एक जीवित शक्ति है, जिसे हम अपने जीवन में आमंत्रित कर सकते हैं। हम अपनी शक्ति, बुद्धि और जानकारी से जो कुछ भी कर सकते हैं, वह सब बहुत सीमित है। अगर आप कृपा की खिड़की को खोल सकें तो जीवन ऐसे अद्भुत तरीके से चलेगा, जो संभव होने की आपने कल्पना भी नहीं की होगी। आपके सामने हर जगह यह सवाल है, ‘मैं ऐसा कैसे कर सकता हूं?’ पर, यह कोई करने वाली चीज नहीं है। आपके अंदर, अगर कोई खाली जगह है, जहां आपके विचार और पूर्वाग्रह, आपकी भावनाएं और विचारधाराएं अंदर न आ सकें, तो आपके जीवन में कृपा एक प्रबल शक्ति की तरह होगी।
अगर आप अपने ही विचारों, अपनी ही भावनाओं और कल्पनाओं आदि से भरे हुए हैं तो कृपा आपके आसपास बहते हुए भी, आपके अंदर कुछ नहीं होगा। ज्यादातर लोगों के जीवन के साथ यही त्रासदी है कि उनके आसपास एक जबर्दस्त संभावना हमेशा बनी रहने के बावजूद वे उसे पूरी होने नहीं देते। सभी आध्यात्मिक प्रक्रियाओं के लिए विचार, फोकस और करने के तरीके यही हैं कि आपके व्यक्तित्व को खत्म कर दिया जाए, जिससे आपके अंदर कोई खाली उपस्थिति बने और वह आपके लिए कृपा और संभावना का ऐसा प्रवेश द्वार बने, जिसके बनने की संभावना के बारे में आपने कभी सोचा ही नहीं होगा।
सवाल यह नहीं है कि आप पर कृपा काम कर रही है या नहीं? वह तो कर ही रही है, वरना आपका अस्तित्व ही संभव नहीं। सवाल सिर्फ यह है कि क्या कृपा आपमें से रिसकर बह रही है (यानी, क्या आप दूसरों के लिए सहायक हैं, भलाई का काम कर रहे हैं) या फिर आप इसे किसी खराब चीज में बदल रहे हैं और दूसरों के साथ दुष्टता का व्यवहार कर रहे हैं?
आप चाहे खाना खाएं या पानी पिएं या सांस लें, ये सब कृपा ही है। हाइड्रोजन के दो भाग ऑक्सीजन के एक भाग के साथ मिल कर जीवन देने वाला पानी बनाते है। यह भी कृपा ही है। आप इसको समझा सकते हैं पर आप यह नहीं जानते कि ऐसा क्यों होना चाहिए? यह सब जो कुछ भी हो रहा है, वह कृपा ही है। तो अगर आप खाना खा रहे हैं, पानी पी रहे हैं और सांस ले रहे हैं तो आपमें से भी कृपा पसीजनी ही चाहिए, है कि नहीं? पर दुर्भाग्यवश लोग अपने अंदर बहुत अच्छी, अद्भुत चीजें ले तो लेते हैं पर वे इनसे दुष्टतापूर्ण चीजें बनाते हैं और उन्हें दूसरों पर खराब चीजों के रूप में डालते हैं। पर, आप पेड़ को देखिए। आप उसमें कचरा डालते हैं लेकिन वो आपको सुगंध देता है, छाया, फल और फूल देता है। अगर आप पेड़ का तरीका सीख लें तो आपमें से भी कृपा ही बरसेगी, पसीजेगी।