Shani Jayanti : शनि जयंती पर ऐसे करें शनिदेव को प्रसन्न, भूलकर भी न करें ये गलतियां
Shani Jayanti : 27 मई मंगलवार को शनि जयंती का पर्व मनाया जाएगा। यह पर्व प्रत्येक वर्ष ज्येष्ठ माह की अमावस्या तिथि को शनिदेव के जन्मोत्सव के रूप में श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया जाता है। शनिदेव को न्याय का देवता माना गया है।

Shani Jayanti : 27 मई मंगलवार को शनि जयंती का पर्व मनाया जाएगा। यह पर्व प्रत्येक वर्ष ज्येष्ठ माह की अमावस्या तिथि को शनिदेव के जन्मोत्सव के रूप में श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया जाता है। शनिदेव को न्याय का देवता माना गया है, जो मनुष्यों को उनके कर्मों के अनुरूप फल प्रदान करते हैं। ऐसी मान्यता है कि शनि जयंती के दिन विधि-विधान से शनिदेव की पूजा-अर्चना करने से शनि दोष, शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या जैसे विभिन्न कष्टों से राहत मिलती है तथा जीवन में शुभ फलों की प्राप्ति होती है।
शनिदेव का ज्योतिषीय महत्व: आचार्य पप्पू पांडेय के अनुसार, शनिदेव भगवान सूर्य और उनकी पत्नी छाया के पुत्र हैं। नवग्रहों में उनकी चाल सबसे धीमी मानी जाती है, किंतु वे अत्यंत प्रभावशाली ग्रह हैं। लेकिन शनिदेव की दृष्टि को कुछ कठोर माना गया है, परंतु वे परम न्यायप्रिय और धर्म के रक्षक हैं। जो व्यक्ति अपने जीवन में अनुशासन, संयम और परिश्रम का पालन करते हैं, उन पर शनिदेव की विशेष कृपा बरसती है। उनकी आराधना जीवन में स्थिरता और अनुशासन लाती है।
शनि जयंती पर विशेष पूजन एवं दान: शनि जयंती के दिन शनि मंदिरों में जाकर दर्शन और पूजन करने का विशेष महत्व होता है। श्रद्धालु भक्तगण शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए सरसों का तेल, नीले रंग के पुष्प, काली उड़द, तिल और काले वस्त्र जैसी वस्तुएं अर्पित करते हैं। इस दिन "ॐ शं शनैश्चराय नमः" मंत्र का 108 बार जाप करना तथा शनि चालीसा और दशरथ कृत शनि स्तोत्र का पाठ करना अत्यंत फलदायी माना गया है। इसके अतिरिक्त, गरीबों, असहायों और जरूरतमंदों को काले वस्त्र, अन्न (जैसे काली दाल, तिल) और लोहे से बनी वस्तुओं का दान करना भी बहुत शुभ माना जाता है।
पूजा के लाभ एवं बरतें ये सावधानियां: विधिपूर्वक शनिदेव की उपासना करने से शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या के नकारात्मक प्रभावों में कमी आती है। जीवन में आ रही विभिन्न बाधाएं और मानसिक तनाव दूर होते हैं तथा व्यक्ति को मानसिक शांति का अनुभव होता है। यह भी माना जाता है कि शनिदेव की कृपा से आकस्मिक दुर्घटनाओं और गंभीर बीमारियों से रक्षा होती है। हालांकि, इस पवित्र दिन कुछ विशेष सावधानियां बरतनी चाहिए; जैसे कि शराब और मांसाहार का सेवन करने से बचें तथा किसी के साथ अन्यायपूर्ण व्यवहार या अपशब्दों का प्रयोग न करें, क्योंकि शनिदेव कर्मों का त्वरित फल देने वाले देवता हैं। यह पर्व हमें आत्मनिरीक्षण करने और संयम का पालन करने की भी प्रेरणा देता है।