शनिदेव को न्याय का देवता कहा जाता है। सभी ग्रहों में शनि सबसे धीमी चाल से चलते हैं, एक राशि में आने के लिए शनि ढ़ाई साल का समय लेते हैं। शनिदेव कर्मों के अनुसार ही आपको फल देते हैं। ज्येष्ठ माह की अमावस्या तिथि को शनिदेव के जन्मोत्सव मनाया जाता है।
शनिदेव भगवान सूर्य और उनकी पत्नी छाया के पुत्र हैं।शनि जयंती के दिन शनि मंदिरों में जाकर उनका दर्शन करना चाहिए। शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए सरसों का तेल, नीले रंग के पुष्प, काली उड़द, तिल और काले वस्त्र जैसी वस्तुएं अर्पित करनी चाहिए। ऐसा करने से शनिदेव प्रसन्न होते हैं।
शनिदेव कर्मों का त्वरित फल देने वाले देवता हैं। इस दिन आप शनिदेव को गुड़-चना, तेल में बनें पकवान, मालपुएं, काली दाल की खिचड़ी आदि का भोग लगा सकते हैं।
अगर आपके ऊपर शनि की ढैय्या या साढ़ेसाती या शनि महादशा है तो आप गरीबों और बेसहारा लोगों की मदद करें। उन्हें खाना खिलाएं। जरूरतमंदों को वस्त्र, अन्न,काली दाल, तिल, चप्पल, काले छाते और लोहे से बनी वस्तुओं का दान करें। इससे आपके ऊपर शनि दोषों के नेगेटिव प्रभाव कम हो जाते हैं।
शनि जयंती पर शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए "ॐ शं शनैश्चराय नमः" मंत्र का 108 बार जाप करना तथा शनि चालीसा और दशरथ कृत शनि स्तोत्र का पाठ करना उत्तम रहता है। इसके अलावा कठिन परिश्रम, किसी के साथ अन्याय ना करें, और धैर्य रखकर भी आप शनिदेव को प्रसन्न कर सकते हैं। डिस्क्लेमर: इस आलेख में दी गई जानकारियों पर हम दावा नहीं करते कि ये पूर्णतया सत्य है और सटीक है। विस्तृत और अधिक जानकारी के लिए संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।