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Vat Savitri Vrat: वट सावित्री व्रत पर शुभ योग, जानें पूजा करने का आसान तरीका

Vat Savitri Vrat 2025: ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि पर वट सावित्री व्रत किया जाता है। इस व्रत को करने से वैवाहिक जीवन में सुख और शांति का आगमन होता है व पति की लंबी आयु की कामना पूर्ति होती है।

Shrishti Chaubey लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्लीSat, 24 May 2025 05:26 PM
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Vat Savitri Vrat: वट सावित्री व्रत पर शुभ योग, जानें पूजा करने का आसान तरीका

Vat Savitri Vrat 2025, वट सावित्री व्रत पर शुभ योग: हर साल ज्येष्ठ महीने की अमावस्या तिथि के दिन वट सावित्री व्रत को सुहागिन महिलाएं करती हैं।इस बार वट सावित्री व्रत 26 मई सोमवार को शोभन योग में मनाया जाएगा। पति की लंबी आयु, सुख-समृद्धि और सौभाग्य के लिए सुहागिन महिलाएं वट सावित्री व्रत करती हैं। सनातन धर्म में इस पर्व का विशेष महत्व है। इस दिन बरगद के पेड़ की पूजा-अर्चना करने का विधान है। यह व्रत भरणी, कृतिका नक्षत्र और शोभना योग में किया जाएगा। सोमवार को अमावस्या होने से व्रती महिलाओं को सोमवती अमावस्या का पुण्य भी प्राप्त होगा। इस दिन सुहागिनें पीपल व बरगद वृक्ष की पूजा कर धागा बांधकर पति की लंबी आयु की कामना करेंगी। मान्यता अनुसार, इस व्रत के करने से सुहागिनों के पतियों के अशुभ और हानिकारण ग्रह भी शांत होते हैं।

शुभ मुहूर्त: वैदिक पंचांग के अनुसार, ज्येष्ठ माह की अमावस्या तिथि 26 मई को 12 बजकर 11 मिनट से शुरू होगी और अगले दिन यानी 27 मई को सुबह 08 बजकर 31 मिनट पर तिथि का समापन होगा। ऐसे में 26 मई को वट सावित्री व्रत किया जाएगा। इसी दिन सोमवती अमावस्या मनाई जाएगी।

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व्रत का लाभ: इस पर्व के आने का सुहागिन महिलाएं बेसब्री से इंतजार करती हैं। इस दिन सुहागिन महिलाएं पति की लंबी आयु के लिए बरगद के पेड़ की पूजा-अर्चना करती हैं। धार्मिक मान्यता के अनुसार, बरगद के पेड़ में ब्रह्मा, विष्णु और महेश का वास होता है। इस व्रत को करने से वैवाहिक जीवन में सुख और शांति का आगमन होता है। वट सावित्री व्रत विधि पूर्वक करने से अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है।

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जानें पूजा करने का आसान तरीका: इस दिन सुबह उठकर स्नान कर सूर्य देव को अर्घ्य देना अति शुभकारी होता है। इसके बाद बड़गड़ के पेड़ के नीचे सावित्री और सत्यवान की प्रतिमा को विराजमान कर पेड़ पर जल अर्पित करना और फूल और मिठाई समेत अन्य चीजें अर्पित करना लाभदायी होता है। इसके बाद दीपक जलाकर व्रती आरती करें। रोली बांधते हुए पेड़ की सच्चे मन से परिक्रमा लगाएं। वट सावित्री व्रत की कथा का पाठ करें। इसके बाद वैवाहिक जीवन में सुख और शांति की प्राप्ति के लिए कामना करें। इस व्रत में अन्न और जल का त्याग किया जाना पुण्यदायी माना जाता है।

करें दान: ज्येष्ठ महीना 11 जून तक रहेगा। ज्येष्ठ महीने में जलदान के अलावा छाता, चप्पल, अन्न आदि का दान करने से व्यक्ति के ग्रह-गोचर पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। दुष्ट ग्रह शांत होते हैं।

डिस्क्लेमर: इस आलेख में दी गई जानकारियों पर हम यह दावा नहीं करते कि ये पूर्णतया सत्य एवं सटीक हैं। विस्तृत और अधिक जानकारी के लिए संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।

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