भारतीय भाषा समर कैंप में बच्चों ने बांधा देशभक्ति का समां, युवा
बच्चों को दी जा रही है आवश्यक जानकारी ई एयूआर 22 कैप्शन- कार्यक्रम प्रस्तुत करती विद्यालय की छात्राएं अंबा, संवाद सूत्र। पीएम श्री मध्य विद्यालय, कुटुंबा

पीएम श्री मध्य विद्यालय, कुटुंबा में आयोजित भारतीय भाषा समर कैंप के तीसरे दिन बुधवार को स्कूली बच्चों ने संगीत, नृत्य और चित्रकला की शानदार प्रस्तुतियों से सभी का मन मोह लिया। इस कैंप में बच्चे विभिन्न भारतीय भाषाओं और सांस्कृतिक कौशलों को सीख रहे हैं। कार्यक्रम में बच्चों ने देशभक्ति और सामाजिक थीम पर आधारित गीतों और नृत्यों की मनमोहक प्रस्तुतियां दीं। अभिषेक, पल्लवी, जूली और प्रिया की टीम ने भोजपुरी गीत 'बड़ा निक लागे हमर देशवा के माटी' पर नृत्य प्रस्तुत कर दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। सुप्रिया कुमारी ने 'ऐसा देश है मेरा' गीत पर भावपूर्ण नृत्य पेश किया।
आयत बानो, इंशरा परवीन और सना परवीन ने उर्दू में 'ये हिंदुस्तान हमारा है' गाकर सभी का ध्यान खींचा। इसी तरह, लक्ष्मी कुमारी ने सामाजिक गीत 'नून रोटी खाके भले जिंदगी बिताई' गाया, जबकि अभिषेक और गोलू ने 'ओ देश मेरे, तेरी शान पे सदके' गीत के माध्यम से देशभक्ति की भावना जगाई। सपना ने 'सौगंध मुझे इस मिट्टी की, देश नहीं झुकने दूंगी' गीत पर अपनी प्रस्तुति दी, वहीं खुशी और निधि ने 'जो शहीद हुए सरहद पे हिंदुस्तान के लिए' गाकर शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की। पिंकी और रिया ने भोजपुरी गीत 'जा तानी भईया हो देशवा के छोड़ के' प्रस्तुत कर क्षेत्रीय संस्कृति को जीवंत किया। प्रधानाध्यापक चंद्रशेखर प्रसाद साहू ने बताया कि इस समर कैंप का उद्देश्य बच्चों में बहुभाषी संचार कौशल और सांस्कृतिक समझ विकसित करना है। कैंप के माध्यम से बच्चे हिंदी, अंग्रेजी, उर्दू, संस्कृत, मगही, भोजपुरी और मैथिली जैसी भाषाओं से परिचित हो रहे हैं, जिससे उनकी शब्दावली समृद्ध हो रही है। उन्होंने बताया कि पहले दिन बच्चों को बुनियादी अभिवादन और अभिव्यक्ति सिखाई गई, जबकि दूसरे दिन उन्हें बाजार भ्रमण के जरिए व्यावहारिक संवाद और क्रय-विक्रय का कौशल सिखाया गया। चौथे दिन बच्चों को भारतीय व्यंजन, खाद्यान्न, फल और सब्जियों के बारे में जानकारी दी जाएगी, ताकि वे अपनी संस्कृति से गहराई से जुड़ सकें। कार्यक्रम को सफल बनाने में शिक्षक सतीश कुमार सिंह, अहमद रजा, बिमल चौहान, पूनम उपाध्याय, सत्येंद्र सिंह, मो. यूसुफ आलम, कुमारी नंदिनी, संगीता कुमारी और शिक्षा सेवक गोपाल चौधरी ने महत्वपूर्ण योगदान दिया।
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