ऑपरेशन सिंदूर में 3000 अग्निवीरों ने भी दिखाई अपनी ताकत, पाकिस्तान को 'धुआं-धुआं' करने में बड़ा रोल
सेना के सूत्रों के अनुसार, अग्निवीरों ने इस चुनौतीपूर्ण समय में अपने प्रशिक्षण का पूरा उपयोग किया और अपने साहस व निष्ठा से सेना के नियमित जवानों के बराबर प्रदर्शन किया।

पहलगाम आतंकवादी हमले के बाद जब भारत की तीनों सेनाओं ने पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में आतंकी ठिकानों को तबाह करने के लिए 'ऑपरेशन सिंदूर' चलाए तो भारतीय सेना के लगभग 3000 से अधिक अग्निवीरों ने भी अपनी बहादुरी दिखाई। इन्हें बीते दो वर्षों में अग्निपथ योजना के तहत भर्ती किया गया था। इन जांबाजों ने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान वायु रक्षा प्रणाली को संभालने में अपनी अहम भूमिका निभाई। आपको बता दें कि यह ऑपरेशन 7 से 10 मई के बीच पाकिस्तान के मिसाइल और ड्रोन हमलों के जवाब में भी चलाया गया था, जिसमें कई भारतीय सैन्य ठिकानों, एयरबेस और शहरों को निशाना बनाने की कोशिश की गई थी।
सेना के सूत्रों के अनुसार, अग्निवीरों ने इस चुनौतीपूर्ण समय में अपने प्रशिक्षण का पूरा उपयोग किया और अपने साहस व निष्ठा से सेना के नियमित जवानों के बराबर प्रदर्शन किया। सेना के वायु रक्षा यूनिट्स से मिले फीडबैक के अनुसार, अग्निवीरों ने दुश्मन के मिसाइल और ड्रोन हमलों को नाकाम कर भारत की रक्षा में अपनी उपयोगिता सिद्ध की है। पाकिस्तानी मिसाइल और ड्रोन हमलों को विफल करने वाली कई एयर डिफेंस सिस्टम में से प्रत्येक में 150-200 अग्निवीर थे।
अग्निवीरों का रोल
अग्निवीरों ने स्थानीय रूप से विकसित 'आकाशतीर' वायु रक्षा नियंत्रण प्रणाली को संचालित करने में भी बड़ी भूमिका निभाई। यह प्रणाली दुश्मन के हमलों की त्वरित पहचान और जवाबी कार्रवाई में अहम साबित हुई। आकाशतीर को पिछले वर्ष ही सेना में शामिल किया गया था और यह भारत की बहुस्तरीय वायु रक्षा प्रणाली का मुख्य हिस्सा बन गया है।
पश्चिमी मोर्चे पर तैनात एडी यूनिट्स में अग्निवीरों को चार प्रमुख क्षेत्रों में विशेषज्ञता दी गई थी – गनर्स, फायर कंट्रोल ऑपरेटर्स, रेडियो ऑपरेटर्स और हैवी ड्यूटी व्हीकल ड्राइवर्स। उन्होंने L-70, Zu-23-2B, ओसा-एके, पिचोरा, टुंगुस्का जैसी बंदूकें और मिसाइल प्रणालियों को संभाला और अनेक राडार सिस्टम्स व संचार नेटवर्क का संचालन किया।
ऑपरेशन सिंदूर की शुरुआत 7 मई को उस समय हुई जब सेना और वायु सेना ने जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के जवाब में पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर और पाकिस्तान में स्थित 9 आतंकी शिविरों पर एक साथ हमले किए। इसके बाद दोनों देशों के बीच चार दिनों तक मिसाइल, ड्रोन, और भारी हथियारों से हमले और जवाबी हमले होते रहे। भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान के 13 सैन्य ठिकानों पर भी निशाना साधा।
चीनी मिसाइलों को किया फेल
पाकिस्तानी हमलों के जवाब में भारत की ओर से उपयोग किए गए स्वदेशी सैन्य उपकरणों में आकाश मिसाइल सिस्टम, समर और विभिन्न एंटी-ड्रोन हथियार शामिल थे। वहीं पाकिस्तानी हमलों में चीनी मूल के PL-15 मिसाइल, तुर्की निर्मित ड्रोन और अन्य लंबी दूरी के हथियार शामिल थे, जिन्हें भारतीय वायु रक्षा प्रणाली ने प्रभावी ढंग से निष्क्रिय किया।
मुश्किलों में काम आए अग्निवीर
भारत-पाकिस्तान की इस लड़ाई ने अग्निपथ योजना की प्रासंगिकता को एक बार फिर साबित किया। इस योजना को 2022 में लागू किया गया था। इसके तहत सैनिकों को केवल 4 वर्षों के लिए भर्ती किया जाता है। उनमें से सिर्फ 25% को ही आगे 15 साल के लिए नियमित सेवा में शामिल किया जाता है। हालांकि योजना को लेकर राजनीतिक बहस और विरोध भी हुआ, लेकिन इस सैन्य संघर्ष ने यह साबित किया है कि अग्निवीर भी युद्ध जैसी परिस्थिति में उतने ही सक्षम और प्रभावशाली हैं जितने कि पारंपरिक सैनिक।
सरकार ने अग्निवीरों के लिए केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों और रक्षा सार्वजनिक उपक्रमों में 10% आरक्षण का प्रावधान किया है। कई राज्यों ने भी उन्हें पुलिस बलों में प्राथमिकता देने की घोषणा की है।