महुआ धाम: आस्था का अनूठा संगम या अंधविश्वास की छाया
कुटुंबा प्रखंड का हीरा सराय गांव में महुआ धाम एक प्रमुख आध्यात्मिक केंद्र बन चुका है। यहां मां दुर्गा का भव्य मंदिर है और नवरात्रि में भक्तों की भीड़ उमड़ती है। भक्त अपनी पूजा स्वयं करते हैं और इस...

कुटुंबा प्रखंड का हीरा सराय गांव आज एक आध्यात्मिक केंद्र के रूप में अपनी विशिष्ट पहचान बना चुका है। यहां का महुआ धाम, जो कभी एक साधारण महुआ वृक्ष के नीचे शुरू हुआ, आज लाखों भक्तों की आस्था का प्रतीक बन गया है। शारदीय और वासंती नवरात्र में यहां भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है। भक्तों को यहां जसनी कहा जाता है। यह स्थान न केवल मां दुर्गा के भव्य मंदिर के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि उन अनूठी आध्यात्मिक गतिविधियों के लिए भी जाना जाता है, जो इसे अन्य तीर्थस्थलों से अलग करती हैं। कहा जाता है कि कई वर्षों पहले मलमास के दौरान सभी देवी-देवताओं का वास महुआ वृक्ष में हुआ था।
तभी स्थानीय लोगों ने इस वृक्ष की पूजा शुरू की, और धीरे-धीरे इसकी ख्याति दूर-दूर तक फैल गई। एक अन्य किवदंती के अनुसार, इस वृक्ष के नीचे एक असाध्य रोग से पीड़ित व्यक्ति की बीमारी चमत्कारिक रूप से ठीक हो गई। यहीं से इस स्थान का प्रचार-प्रसार शुरू हुआ, और आज यह महुआ धाम के रूप में एक बड़े आध्यात्मिक केंद्र के रूप में स्थापित हो चुका है। महुआ धाम में मां दुर्गा का भव्य मंदिर आकर्षण का केंद्र है। इसके अलावा, समय के साथ यहां कई छोटे-छोटे मंदिर भी बन गए हैं। नवरात्र के दौरान यहां का माहौल भक्ति और उल्लास से सराबोर रहता है। लाखों की संख्या में भक्त बिहार के विभिन्न हिस्सों, खासकर भोजपुरी क्षेत्रों, और अन्य राज्यों से यहां पहुंचते हैं। इस धाम की सबसे खास बात है यहां की अनूठी भक्ति प्रक्रिया है। भक्त सुबह नहा-धोकर मां की आराधना करते हैं, और ऐसा माना जाता है कि इसके बाद मां की शक्ति उन पर सवार हो जाती है। इस दौरान भक्त पागलपन जैसी गतिविधियां करते हैं। महिलाएं झूमती हैं, गीत गाती हैं, और कभी-कभी गिरते-पड़ते नजर आती हैं। स्थानीय लोगों का मानना है कि यह सब मां के आदेश से होता है। खास बात यह है कि यहां कोई पंडा या पुजारी नहीं होता। भक्त स्वयं अपनी पूजा-अर्चना करते हैं, और यह प्रक्रिया पूरे वर्ष चलती रहती है।ज्यादातर भक्त आध्यात्मिक समस्याओं को लेकर यहां आते हैं। कई भक्त दावा करते हैं कि महुआ धाम में दर्शन-पूजन से उनकी समस्याओं का समाधान हो गया है। यही कारण है कि जिनकी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं, वे हर साल यहां लौटकर आते हैं। इस तरह, भक्तों की भीड़ दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। मेले में बुनियादी सुविधाओं का अभाव रहता है। पंचायत द्वारा मेले से राजस्व वसूला जाता है, लेकिन साफ-सफाई, पेयजल, और अन्य सुविधाओं की कमी भक्तों के लिए परेशानी का सबब बनी रहती है। आस्था या अंधविश्वास : एक अनसुलझा प्रश्न महुआ धाम को लेकर लोगों के बीच दो तरह की धारणाएं हैं। कुछ इसे गहरी आस्था का प्रतीक मानते हैं, तो कुछ इसे भुतहा मेला कहकर अंधविश्वास की संज्ञा देते हैं। इस स्थान की सच्चाई को समझने की उत्सुकता सभी में रहती है, लेकिन अंत में लोग इसे आस्था या अंधविश्वास के दायरे में ही छोड़ देते हैं। दिलचस्प बात यह है कि स्थानीय लोगों की भागीदारी यहां न के बराबर होती है। ज्यादातर भक्त बाहरी क्षेत्रों से आते हैं।
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