बोले औरंगबाद : हर दिन दुश्वारियों का सामना करता है लकड़हारा समाज
जंगल में लकड़ी लाकर अपने परिवार का पालन-पोषण करने वाले लकड़हारा समाज के लोग सरकार की योजनाओं से वंचित हैं। शिक्षा की कमी, स्वास्थ्य समस्याएं और आर्थिक स्थिति के कारण उन्हें कई कठिनाइयों का सामना करना...
जिले के जंगली क्षेत्र में बसे लोग जंगल से लकड़ी लाकर अपनी आजीविका चलाते हैं। इनकी संख्या काफी है। लकड़ी का इस्तेमाल घर बनाने, फर्नीचर बनाने और अन्य उद्देश्यों के लिए होता है। लकड़हारा का पूरा परिवार सुबह घर से निकलकर जंगल की ओर जाता है और वहां से लकड़ियां लाकर बाजार में बेचते हैं। एक बंडल लकड़ी दो सौ से तीन सौ रुपए में बेचते हैं। इसी से उनके घर का खर्च चलता है। इस समुदाय के सदस्यों को जीवन भी कई कारकों से प्रभावित होता है। जलवायु, जंगल की उपलब्धता और बाजार की मांग इन्हें प्रभावित करता है। वे अक्सर जंगल में काम करते हैं जिससे उनके स्वास्थ्य के साथ दुर्घटना की आशंका बनी हुई रहती है।
इस काम से जुड़े दशरथ सिंह भोक्ता, मनोज सिंह भोक्ता, रामकेश्वर, रामचंद्र मांझी, तुलसी भुइयां, सुरेश, वीरेंद्र, अमरेश, संजय आदि ने बताया कि हमारे समाज में शिक्षा का घोर अभाव है जिसके कारण सरकार द्वारा चलाई जा रही योजनाओं की जानकारी नहीं मिल पाती है और न ही उसका लाभ ले पाते हैं। बढ़ती जनसंख्या और भूमि के उपयोग में बदलाव के कारण जंगल में लड़कियों की उपलब्धता कम हो गई है। सरकार द्वारा पर्यावरण संरक्षण के लिए उठाए गए कदम जैसे वृक्षारोपण और जंगल में प्रवेश पर प्रतिबंध ने भी लकड़हारा समुदाय को अपनी पारंपरिक आजीविका पर निर्भर रहने से रोक दिया है। अब इस समुदाय के लोग विभिन्न प्रकार के रोजगार से जुड़ रहे हैं। लकड़हारा समुदाय के लोग अब नए कार्यों से जुड़ कर अपनी आजीविका चला रहे हैं। इस समुदाय के लोगों का कहना है कि श्रमिकों की तरह किसी योजना लाभ नहीं मिलता है। प्रधानमंत्री श्रम योगी या जीवन ज्योति बीमा जैसी योजनाएं कागजों में तो हैं लेकिन इन तक पहुंच नहीं पाती है। गांव में मेहनत करते हैं लेकिन उन्हें वह सामाजिक प्रतिष्ठा नहीं मिल पाती है जिसके वे हकदार हैं। लकड़हारा लोगों को बीमा और पेंशन जैसी सामाजिक सुरक्षा योजनाओं का लाभ नहीं मिलता है। अधिकतर वे असंगठित क्षेत्र में काम करते हैं जहां उनका नाम किसी रजिस्टर में दर्ज नहीं होता। यदि दुर्घटना हो जाए या अचानक मृत्यु हो जाए तो परिवार को कोई मुआवजा नहीं मिलता। न हीं उनके लिए कोई स्वास्थ्य बीमा होता है जिससे इलाज का पूरा खर्च खुद वहन करना पड़ता है। उम्र बढ़ने पर भी कोई पेंशन या वृद्धावस्था भत्ता नहीं मिलता। इससे उन्हें जीवन यापन में भारी कठिनाई होती है। यदि सरकार उन्हें ई-श्रम कार्ड जैसे माध्यम से योजनाओं से जोड़ दे तो उन्हें भी भविष्य की आर्थिक सुरक्षा मिल सकती है। सर्दी, गर्मी, बारिश में भी जंगल से लकड़ी लाना मजबूरी है। उनके पास इसके अलावा कोई विकल्प नहीं होता। लकड़हारा समाज को आर्थिक स्थिति कमजोर होने के कारण सरकारी योजनाओं का लाभ दिन तक पहुंचना आवश्यक है। कई परिवारों के पास राशन कार्ड नहीं है जिससे वे सस्ते खाद्य पदार्थों की सुविधा से वंचित रह जाते हैं। जरूरतमंद लोगों को राशन कार्ड और पेंशन योजना का लाभ सुनिश्चित करें ताकि वह गरिमा के साथ जीवन व्यतीत कर सके। समाज के लिए उचित आवास योजना लागू करनी चाहिए। समाज की आवाज कोई नहीं सुनता है। सरकारी योजनाओं की नहीं मिलती है जानकारी जंगल से लकड़ी लाकर अपनी आजीविका चलाने वाले लकड़हारा समाज के लोगों ने बताया कि स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से भी जूझ रहे हैं। वे लोग जंगल पहाड़ से हर रोज लकड़ी चुनकर लाते हैं और बाजार में जाकर बेचते हैं जिससे कुछ पैसे का उपार्जन हो पाता है। लकड़ी काटने पर कई बार मार पीट होती है। इसके अलावा कानूनी कार्रवाई की बात कही जाती है। लकड़हारा समुदाय सूखी लकड़ियां लाता है तो भी उस पर कार्रवाई की जाती है। उसी से उनका घर चलता है लेकिन हमेशा डर बना रहता है। प्रतिदिन महिला पुरुष और बच्चे कई किलोमीटर दूरी पर जाकर लकड़ी लाने का काम करते हैं। अब पहले वाली बात भी नहीं रह गई है। अब वन विभाग के द्वारा भी उन पर कार्रवाई की जाती है। अगर इसी काम पर निर्भर रहे तो घर परिवार चलाना बहुत मुश्किल हो जाएगा। आने वाली पीढ़ी इस काम को नहीं कर पाएगी। हम भी नहीं चाहते कि मेरे बच्चे यह काम करें क्योंकि जो समस्या अभी हम लोग झेल रहे हैं, इस समस्या को आने वाली पीढ़ी नहीं झेले। वे चाहते हैं कि उनके बच्चे पढ़ लिखकर दूसरा व्यवसाय करें। सरकारी नौकरी करे, उससे आमदनी अच्छी होगी तो आने वाली पीढ़ी और सुदृढ़ होगी। जितनी मेहनत वे लोग करते हैं, उसके हिसाब से खर्च नहीं निकल पाता है। समय के साथ सभी के कामों में बदलाव हुआ है और सुविधाएं बढ़ी हैं। सरकार भी हम लोग के समुदाय के प्रति कभी नहीं सोचती। अगर सरकार का ध्यान होता तो हमारी यह स्थिति नहीं होती। हम लोगों को अपनी जमीन भी नहीं है कि खेती कर सालों भर के लिए अनाज की व्यवस्था कर लें। समाज के विकास और रोजगार को बढ़ावा देने के लिए सरकार कुछ भी नहीं कर रही है। सरकार बढ़ावा दे तो हम लोग भी रोजगार कर कर अपनी आमदनी अच्छी कर सकते हैं। यह समाज योजनाओं से उपेक्षित है। लकड़हारा समाज के रोजगार दिलाने के लिए उन्हें विभिन्न क्षेत्रों में रोजगार के अवसर प्रदान करने की आवश्यकता है। इसके लिए सरकारी योजनाओं का लाभ उठाना, कौशल विकास कार्यक्रम में भाग लेना और निजी क्षेत्र के साथ साझेदारी करना महत्वपूर्ण है। मनरेगा योजना के तहत लकड़हारा समाज के लोगों को वन क्षेत्र में काम करने का अवसर जैसे वृक्षारोपण, वन संरक्षण और अन्य संबंधित गतिविधियों में इन्हें जोड़कर रोजगार मिले तो उनकी आर्थिक स्थिति अच्छी हो सकती है। इनका कहना है कि हमारे समाज के लोगों को वन प्रबंधन और बागवानी को लेकर प्रशिक्षित कर रोजगार दे तो हुए वन क्षेत्र को सुरक्षित रखने में अपना योगदान दे सकते हैं। लकड़हारा समाज के लोगों को रोजगार प्रदान किया जाए तो उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार हो सकता है। सुझाव 1.सरकारी आवास योजना का सही तरीके से क्रियान्वयन नहीं होने से कई गरीब परिवार बेघर हैं। 2. शिक्षा की कमी और योजना का लाभ पूरी तरह से नहीं मिल पा रहा है 3. राशन और पेंशन योजनाओं का लाभ सभी जरूरतमंदों तक नहीं पहुंच पा रहा है। 4. सामाजिक सुरक्षा से जुड़ी योजनाओं का लाभ में प्राथमिकता के आधार पर दिलाया जाए। 5. पेंशन के दायरे में आने वाले लकड़हारा को तत्काल इसका लाभ दिलाने के लिए कैंप लगाया जाए। 1.सरकारी योजनाओं का लाभ लेने में होती है दिक्कत 2.श्रम विभाग के द्वारा हम लोगों की सुध नहीं ली जाती है 3.सरकार को विशेष आवास योजना बनानी चाहिए ताकि सभी को स्थाई घर मिल सके। 4.शिक्षा के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए विशेष कार्यक्रम चलाने चाहिए। 5.सभी पात्र परिवारों को राशन कार्ड और वृद्धि जनों को पेंशन योजना का लाभ मिले। हमारी भी सुनिए लकड़हारा समाज के लोगों को सामाजिक सहायता प्रदान करने की आवश्यकता है ताकि वे गरीबी और पिछड़ेपन से बाहर निकल सकें। इस समाज में गरीबी ज्यादा है। दशरथ सिंह भोक्ता लकड़हारा समाज के लोगों को शिक्षित करने की आवश्यकता है ताकि वे रोजगार के लिए तैयार हो सकें। इन्हें अच्छी स्वास्थ्य सेवा प्रदान करने की आवश्यकता है ताकि वे स्वस्थ और सक्रिय रह सकें। धन रतिया सर्दी, गर्मी, बारिश में भी जंगल से लकड़ी लाना मजबूरी है। इसके अलावा रोजगार का कोई विकल्प नहीं है। सरकार को हमें रोजगार से जोड़ना चाहिए। मनोज सिंह भोक्ता जंगल में जाने पर हमेशा डर रहता है कि कहीं कोई दुर्घटना ना हो जाए क्योंकि उनके पास बीमा की सुविधा नहीं है। सरकार को हमें भी जीवन बीमा का लाभ देना चाहिए। रामकेश्वर हमारे लिए कोई बीमा नहीं है। कोई पेंशन नहीं है। अगर हादसा हो गया तो परिवार के सामने बड़ी समस्या खड़ी हो जाएगी। उनकी समस्याओं के समाधान की दिशा में कोई कार्रवाई नहीं हो रही है। संजय सिंह भोक्ता हमारे समाज में बेरोजगारी बहुत ज्यादा है। हम सिर्फ अपने पारंपरिक कार्य में लगे रहते हैं। सरकार को हमें वैकल्पिक रोजगार देने के लिए कोई योजना बनानी चाहिए। आरक्षण का लाभ सभी तक पहुंचे, इसका उपाय भी करना चाहिए। रामचंद्र मांझी हमारा समाज पिछड़ा हुआ है। हमें सरकार से विशेष सहायता, ऋण योजना चाहिए ताकि हम आत्मनिर्भर बन सकें। हमारे बच्चों को भी प्राइवेट स्कूल में नामांकन मिलना चाहिए तभी वह अन्य बच्चों से प्रतियोगिता कर बेहतर कर पाएंगे। तुलसी भुइयां हमारे समाज की महिलाएं सिलाई का काम कर सकती हैं लेकिन हमें प्रशिक्षण नहीं मिल पाता है। इससे हमारे घर का खर्च निकल पाना मुश्किल होता है। सरकार यदि मदद करे तो हम भी देश की तरक्की का हिस्सा बन सकते हैं। सुरेश हमारे समाज की महिलाएं लकड़ी चुनने के अलावा छोटे-छोटे काम करके घर चलाती हैं लेकिन हमें सरकारी सहायता नही मिलती। हमारे बच्चे सरकारी स्कूलों में पढ़ने के लिए बाध्य हैं। आप ही बताए, क्या सरकारी स्कूलों में पढ़ कर उनका भविष्य उज्जवल होगा। सुमन देवी हमारे समाज के लोग कई पीढ़ियों से लकड़ी काटकर परिवार का परिवेश कर रहे हैं लेकिन आज भी पिछड़े हैं। बहुत से लोग तो इस काम को छोड़ चुके हैं। कुछ लोग बाहर जाकर मजदूरी कर रहे हैं। हमें भी मुख्य धारा से जोड़ने की जरूरत है। वीरेंद्र हमारे समाज की आवाज कोई नहीं सुनता। हमारी कोई समिति नहीं है। पेट भरना ही मुश्किल है। समिति कहां से बनाए, सरकार को हमारी समस्याओं पर ध्यान देना चाहिए और हमारे सभी जायज मांगे पूरी होनी चाहिए। अमरेश पिछड़े समाज को सरकार आरक्षण का लाभ देती है लेकिन यह लाभ कुछ लोगों तक ही सिमट कर रह जाता है। सरकार को यह देखना चाहिए कि समाज का कोई तबका या व्यक्ति पीछे तो नहीं छूट गया है। हमें भी आरक्षण का पूरा लाभ मिलना चाहिए। कमलेश भुइयां हमारे समुदाय के सभी लोगों के पास राशन कार्ड नहीं है जिसके कारण महंगे दामों पर राशन खरीदना पड़ता है। सरकार को सभी पात्र लोगों को राशन कार्ड देना चाहिए। हमें भी पक्का मकान और अन्य सरकारी योजनाओं का लाभ मिलना चाहिए। संजय हमारे बच्चे सरकारी स्कूल में पढ़ने के लिए मजबूर हैं क्योंकि हमारी आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है। शिक्षा के लिए हमें विशेष योजनाओं का लाभ मिलना चाहिए। सरकार को चाहिए कि वह शिक्षा के अधिकार के तहत कोई ऐसा नियम बनाए जिससे उनके बच्चों को भी प्राइवेट स्कूलों में जगह मिल सकें। रामस्वरूप सिंह भोक्ता कई बार तबीयत बिगड़ने पर काम करना संभव नहीं होता। ऐसे में उन्हें परिवार का भरण पोषण करना मुश्किल हो जाता है। सरकार सामाजिक सुरक्षा के रूप में उन्हें सहायता दें। बृजमोहन लकड़ी चुनने के काम में कई लोग जुड़े हुए हैं और सरकार के स्तर से जो योजना का लाभ मिलना चाहिए नहीं मिलता है। बीमा आदि के बारे में कोई जानकारी नहीं है। सरयू रिकियासन पहाड़ी इलाकों में बसे लोगों में गरीबी आम है क्योंकि लोगों के पास आय के सीमित साधन होते हैं। सरकार को हम लोगों को रोजगार से जोड़ना चाहिए ताकि परिवार का सही से खर्च चल सके। डोमनी देवी इस कार्य से जुड़े लोगों को महिलाओं के लिए घरेलू उद्योग शुरू करने के लिए आवश्यकता है। बैंक से सहज लोन मिले ताकि हम लोग अच्छे जिंदगी जी सकें। मोनकवा देवी हम लोगों को किसी प्रकार की सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिलता। सरकार को इस पर ध्यान देने की जरूरत है। स्थानीय जनप्रतिनिधि से भी सहयोग नहीं मिलता। सरस्वती देवी अधिकारियों को लकड़हारा लोगों की समस्याओं को जानकर हल करना चाहिए। यहां तक कि हम लोगों को देखने तक भी कोई नहीं आता। हम लोगों को मनरेगा के तहत भी काम नहीं मिलता। मजबूरन जंगल की सूखी लकड़ी चुनकर जीवोकोपार्जन करना पड़ता है। इससे भी खर्च नहीं चल पाता है। राजरानिया देवी
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