सीजन में दो बार उपजेगी धान की फसल
बगहा में किसान एक वर्ष में दो बार धान की खेती कर रहे हैं। चाइना फोर नामक धान की खेती से उनकी आमदनी बढ़ रही है। किसान पवन पांडेय का कहना है कि यह धान 80 से 90 दिनों में तैयार होता है, जिससे प्रति एकड़...

बगहा,नगर प्रतिनिधि। एक वर्ष में धान की दो बार खेती कर किसान मालामाल हो रहे हैं। गरमा सीजन में चाइना फोर नामक धान की खेती कर किसान आमदनी बढ़ा रहे हैं। बगहा एक दो प्रखंड की बांसगांव मंझरिया पंचायत सहित आसपास के गांव में दर्जनों की संख्या में किसान चाइना फोर किस्म की धान की खेती कर रहे हैं। किसान पवन पांडेय आदि का कहना है कि धान का यह प्रभेद 80 से 90 दिनों में तैयार हो जा रही है। वहीं प्रति एकड़ 18 से 20 क्विंटल धान की उपज भी प्राप्त हो रही है। इससे उनकी आमदनी में बढ़ी है।
किसानों का कहना है कि पहले यह धान की खेती चीन नेपाल सहित आसपास के क्षेत्र में होती थी। लेकिन उनके द्वारा इस बार खेती बगहा में भी बड़े पैमाने में की गई है। पंचायत में करीब 40 एकड़ में धान की रोपनी हुई है। किसानों का कहना है कि धान की यह प्रभेद गरमा सीजन में हो रही है एवं खरीफ सीजन आते-जाते धान की फसल पककर पूरी तरह से तैयार हो जाती है। इसके बाद उनके द्वारा धान की फसल को काटने के बाद पुन: खरीफ सीजन में धान की रोपनी की जाती है। रबी एवं खरीफ के बीच में गरमा सीजन में किसान धान की खेती कर आत्मनिर्भर हो रहे हैं जिससे उनकी आमदनी भी बढ़ रही है। गरमा सीजन में वैकल्पिक खेती के तौर पर किसान अपना रहे हैं इस प्रभेद को : अमूमन रबी की सीजन के बाद एवं खरीफ से पहले किसानों के खेत पूरी तरह से खाली हो जाते हैं। ऐसे में कुछ किसान गरमा सीजन में मूंग एवं उड़द की खेती करते हैं। लेकिन यह किसानों के लिए फायदेमंद साबित नहीं होता है। ऐसे में किसान अपने खेतों को खाली ही छोड़ देते हैं। लेकिन हाल के दिनों में चाइना फोन किस्म की धान की खेती किसान वैकल्पिक फसल के तौर पर अपना रहे हैं। किसानों का कहना है कि रबी एवं खरीफ के बीच में चाइना फोर नामक धान की खेती कर रहे हैं। जिससे उनकी आमदनी भी बढ़ रही है। अधिक उपज भी प्राप्त हो रही है। अप्रैल में होती है रोपनी तो जुलाई में काट लिया जाता है फसल: गरमा सीजन में हो रही चाइना फोर धान की खेती के लिए किसान अप्रैल महीने के अंतिम सप्ताह में बिचड़ा गिरा देते हैं। जो मार्च महीने में तैयार हो जाता है। जिसके बाद किसान अप्रैल महीने से इसकी रोनपी शुरू कर देते हैं। जून महीना के अंतिम सप्ताह में फसल पूरी पक तैयार हो जाता है। जिसके बाद धान की बाली को काट लिया जाता है एवं डंढल को खेत में ही छोड़ दिया जाता है और यह डंढल खरीफ सीजन में उर्वरक का काम करता है। जिससे खरीफ की उपज भी काफी बेहतर होती है।
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