नगर निगम के पार्षदों ने मनमानी एवं भेदभाव के खिलाफ भेजा नोटिस
सीतामढ़ी नगर निगम के वार्ड पार्षदों ने प्रशासन में अनियमितताओं, पारदर्शिता की कमी और पक्षपात के खिलाफ आवाज़ उठाई है। अधिवक्ता के माध्यम से उन्होंने कानूनी नोटिस भेजा है, जिसमें मासिक बोर्ड बैठकें न...

सीतामढ़ी। सीतामढ़ी नगर निगम के कई वार्ड पार्षदों ने नगर प्रशासन में व्याप्त अनियमितताओं, पारदर्शिता की कमी और पक्षपातपूर्ण रवैये के खिलाफ आवाज़ बुलंद की है। अधिवक्ता शशि भूषण सिंह के माध्यम से सिमांत शेखर, सुरेन्द्र साह, ललन प्रसाद, शबनम कुमारी, अंशुल प्रकाश समेत कई पार्षदों ने नगर निगम के मेयर, उप मेयर और नगर आयुक्त को सी.पी.सी. की धारा 80 के अंतर्गत कानूनी नोटिस भेजा है। नोटिस में पार्षदों ने गंभीर आरोप लगाए हैं कि नगर निगम की मासिक बोर्ड बैठकें नियमित रुप से नहीं बुलाई जातीं, और जब बैठक होती भी है तो उसका एजेंडा न तो समय से दिया जाता है, न ही प्रस्तावों को कार्यवाही में उचित रूप से शामिल किया जाता है।
इसके अतिरिक्त, पार्षदों ने आरोप लगाया है कि निगम के विकास कार्यों में कुछ विशेष वार्डों को प्राथमिकता दी जाती है, जबकि अन्य वार्डों की अनदेखी की जाती है। फाइलें मेयर के आवास पर रहती बंद: नोटिस में यह भी बताया गया है कि मेयर द्वारा बिना बोर्ड की स्वीकृति के करोड़ों रुपये की योजनाओं की तैयारी जे.ई. से करवाई जा रही है, जो कि उनके अधिकार क्षेत्र से बाहर है। यह न केवल कानून का उल्लंघन है, बल्कि लोकतांत्रिक प्रक्रिया का सीधा अपमान भी है। पार्षदों का कहना है कि नगर निगम की फाइलें मेयर के निवास पर रखी जाती हैं, जो पारदर्शिता के खिलाफ है। इसके अतिरिक्त, बोर्ड बैठकों में पार्षदों के उठाए गए मुद्दों को कार्यवाही में दर्ज नहीं किया जा रहा है और बाहरी लोगों एवं मेयर के रिश्तेदारों का नगर निगम के कार्यों में हस्तक्षेप देखा गया है। पार्षदों ने आरोप लगाया है कि निगम की संपत्तियों का दुरुपयोग हो रहा है, और ठेके एवं टेंडर में भी गड़बड़ियों की आशंका है। कार्यो में समानता बरती जाए, अन्यथा कोर्ट का लेंगे शरण: कानूनी नोटिस में पार्षदों ने मांग की है कि सभी कार्यों में समानता बरती जाए, नियमों के तहत कार्यवाही हो और पारदर्शिता कायम रहे। अन्यथा, वे न्यायालय की शरण लेंगे। इस कानूनी कार्रवाई से स्पष्ट है कि पार्षद अपने वार्ड के हितों के लिए सजग हैं और नगर निगम के संचालन में सुधार के लिए कड़े कदम उठाने को तैयार हैं। पार्षदों ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा कि उक्त नोटिस से नगर निगम प्रशासन पर अब जवाबदेही तय करने और पारदर्शिता सुनिश्चित करने का दबाव बढ़ जाएगा। अन्यथा हर एक मामले का फैसला कोर्ट से होगी।
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