पुण्य सप्ताह: चर्च परिसर में निकली पवित्र क्रूस यात्रा
बेतिया में गुड फ्राइडे के अवसर पर महागिरजाघर में क्रूस रास्ता कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इसमें ईसाई धर्मावलंबियों ने भाग लिया। तीन पुरोहितों ने कार्यक्रम का संचालन किया। इस दिन ईसा मसीह के दुखों को...
बेतिया, हमारे संवाददाता। गुड फ्राइडे अथवा इस्टर के मद्दे नजर आयोजित होने वाले कार्यक्रमों की कड़ी में शुक्रवार को शाम लगभग साढ़े चार बजे महागिरजाघर परिसर में क्रूस रास्ता कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इसमें ईसाई धर्मावलंबी शामिल हुए। इस कार्यक्रम में तीन पुरोहित शामिल हुए। इनमें पल्ली पुरोहित फादर हेनरी फर्नानडो, सहायक पल्ली पुरोहित फादर फ्रांसिस और फादर संदीप शामिल थे। क्रुस रास्ता का संचालन लोकधर्मी के द्वारा किया गया। क्रूस रास्ता आयोजन के बाद कुछ लोगों के द्वारा चर्च परिसर में ही मुसीबत गायन किया गया। इस गायन के लिए 6 व्यक्तियों का ग्रुप बनाया गया जिसमें जॉय माइकल ,बेनड्रिक्ट अन्तुनी,हेनरी लुकस,केविन क्लारेंस और मुकुल कुमार शामिल थे। बता दें कि क्रूस रास्ता का विशेष महत्व है। यह ईसा मसीह के दुखों को याद करने का एक जरिया है। यह याद दिलाता है कि ईसा मसीह हमारे पापों के लिए मरे और वे तीसरे दिन जीवित हो उठे। क्रूस रास्ता के आयोजन के लिए महागिरिजाघर परिसर में चौदह मुकाम तैयार किए गए थे। कलवारी पहाड़ तक के इसा मसीह ने क्रुस को ढोया था। उसी चौदह मुकाम वाले रास्ते को क्रूस का रास्ता कहा जाता है। इस दिन तीन पहर पूजा की जाती है। यहां बता दें कि यह प्रार्थना पिलातुस के महल से लेकर प्रभू ईसा की क्रूस पर मृत्यु के बाद कब्र में रखे जाने की घटना को चौदह मुकाम के जरिए दर्शाता है। 17 अप्रैल को आयोजित होगा पवित्र गुरुवार: आगमाी 17 अप्रैल को पवित्र गुरुवार मनाया जाएगा। इस दिन भी महागिरिजाघर परिसर में 12 चयनित पुरुषों का मिस्सा बलिदान के अवसर पर धर्माध्यक्ष और पुरोहित के द्वारा पैर धोया जाएगा। इन बाहर लोगों का चयन एक विशेष प्रक्रिया के द्वारा की जाएगी। धर्म के प्रति आस्था, मिस्सा बलिदान में भाग लेने की रुचि आदि के प्रति लगाव आदि की जांच की जाती है। इन बारह सदस्यों में से कुछ युवकों को भी शामिल किया जाता है। इस दिन दोपहर 5:30 बजे से लगभग ढाई घंटे तक विस्तार से पूजा की जाएगी। परम प्रसाद के लिए 12 बजे तक पूजा की जाएगी। इस दौरान अलग-अलग ईसाइयों का दल चर्च में पहुंचता है। इसमें बालिकाएं, छोटे बच्चे, स्त्री, पुरुष बुजूर्गों आदि का दल शामिल रहता है। ऐसी मान्यता है कि ईसा मसीह ने अपने द्वारा चुने गए 12 चेलों का पैर धोया था और उन्हीं के साथ के रात का भोजन किया था जिसे लास्ट सपर कहा जाता है।
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