बांका : आंबेडकर जयंती की पूर्व संध्या पर भीम सभा एवं यात्रा का आयोजन, गूंजे 'जय भीम' के नारे
बांका के कुसुमजोरी पंचायत में सावित्री बाई माता समिति द्वारा बाबा साहब डॉ. भीमराव अम्बेडकर की जयंती की पूर्व संध्या पर भव्य भीम सभा और भीम यात्रा का आयोजन किया गया। महेंद्र कुमार रौशन ने अम्बेडकर जी...

चान्दन ( बांका ), निज प्रतिनिधि। प्रखंड क्षेत्र के कुसुमजोरी पंचायत स्थित दोमुहान में शनिवार को बिहार दलित विकास समिति एवं दलित मुक्ति मिशन के बैनर तले गठित सावित्री बाई माता समिति के तत्वावधान में बाबा साहब डॉ. भीमराव अम्बेडकर की जयंती की पूर्व संध्या पर भव्य भीम सभा एवं भीम यात्रा का आयोजन किया गया।कार्यक्रम की शुरुआत समिति अध्यक्ष झूमा देवी की अध्यक्षता में बाबा साहब की प्रतिमा पर माल्यार्पण और दीप प्रज्वलित कर की गई। संस्था प्रमुख महेंद्र कुमार रौशन, महिला नेत्री सुनीता देवी, कुसमी देवी, दिलीप कुमार, सरोज कुमार और अनील कुमार ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलित कर आयोजन का उद्घाटन किया। अपने संबोधन में महेंद्र कुमार रौशन ने बताया कि देश में सबसे पहली बार 1928 में महाराष्ट्र के पुणे में समाज सुधारक सदाशिव रनपीसे ने अम्बेडकर जयंती मनाई थी। वहीं 1935 में हरदास एल.एन. ने 'जय भीम' का नारा दिया। उन्होंने अम्बेडकर जी के संघर्ष और उनके साथ खड़े रहे मददगारों का भी जिक्र किया। अम्बेडकर को पढ़ने के लिए प्रेरित करने वाले उनके चाचा महादेव अम्बेडकर और भेदभाव मिटाकर शिक्षा दिलाने वाले ब्राह्मण शिक्षक कृष्णा केशव अम्बेडकर का योगदान उल्लेखनीय रहा। रौशन ने कहा कि "बाबा साहब केवल दलितों के ही नहीं, बल्कि पूरे देश और दुनिया के मार्गदर्शक रहे हैं।" उनका जीवन समता, बंधुत्व और सामाजिक न्याय का प्रतीक है। वे सच्चे राष्ट्रभक्त, शिक्षाविद, दार्शनिक, संविधान निर्माता और दुनिया में 'सेंबल ऑफ नॉलेज' के रूप में प्रतिष्ठित हैं।कार्यक्रम में महिलाओं ने बाबा साहब की तस्वीर और भारतीय संविधान की प्रस्तावना हाथ में लेकर भीम यात्रा निकाली। 'जय भीम' और 'संविधान जिंदाबाद' के नारों से वातावरण गूंज उठा।
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