अब आशा गर्भवति महिलाओं के साथ ही संक्रमित बीमारियों पर भी रखेंगी नजर
पेज तीन की लीडपेज तीन की लीड हिन्दुस्तान विशेष डिजिटल मिशन को घर-घर पहुंचाने के लिए आशा कार्यकर्ताओं को बनाया जा रहा स्मार्ट ग्रामीण

बांका। निज प्रतिनिधि। समाज में ग्रास रूट पर खडे लोगों तक स्वास्थ्य सेवाएं पहुंचाने में आशा कार्यकर्ता मील का पत्थर साबित हो रही हैं। जिससे आशा कार्यकर्ताओं को और अधिक सशक्त बनाया जा रहा है। जिससे वे समाज में बीमारियों से जुडी हर गतिविधियों पर नजर रखते हुए उसकी जानकारी साझा कर सकें। इसके लिए ग्रामीण इलाकों में तैनात आशा कार्यकर्ताओं को डिजिटल तौर से प्रशिक्षित किया जा रहा है। अब आशा कार्यकर्ता गर्भवती महिलाओं के साथ ही डायरिया, फाइलेरिया, मलेरिया सहित अन्य संक्रमित बीमारियों पर भी नजर रखेंगी। वे अपने क्षेत्र में इस तरह के रोगी मिलने पर एम आशा एप के माध्यम से तुरंत स्वास्थ्य विभाग को ऑनलाइन इसकी जानकारी देंगी।
इसके बाद एक क्लिक पर सूचना डालते ही जिला व राज्य स्तर पर इसकी मॉनिटरिंग शुरू हो जाएगी। इससे इस तरह की खतरनाक बीमारियों पर तुरंत नियंत्रण करने की कवायद शुरू हो सकेगी। इसके साथ ही उन्हें रजिस्टर पर लिखने पढने की परेशानी से मुक्ति मिलेगी। इसके लिए कई चरणों में उन्हें प्रशिक्षित किया जा रहा है। जिससे आशा कार्यकर्ता गांव का सर्वे कर डाटा अपलोड कर सकें। वे एम आशा एप के जरिये गांव में होने वाले प्रसव, जन्म-मृत्यु, फाइलेरिया, मलेरिया, चिकनगुनिया व डायरिया सहित अन्य बीमारियों व गतिविधियों की जानकारी स्वास्थ्य विभाग को देंगी। आशा कार्यकर्ता गांव का सर्वे करने के बाद किसी भी तरह की बीमारियों का डाटा अपलोड करेंगी। इसके लिए डिजिटल मिशन को घर-घर तक पहुंचाने के लिए आशा कार्यकर्ताओं को स्मार्ट बनाया जा रहा है। जिसका असर अब समाज में दिखने लगा है। प्रसव से लेकर अन्य बीमारियों के इलाज में कर रहीं मदद समाज में आशा कार्यकर्ता प्रसव से लेकर अन्य बीमारियों के इलाज में लोगों की मदद कर रही हैं। जिससे जिले में संस्थागत प्रसव का ग्राफ बढने के साथ ही बीमारियों से होने वाली मौतों में भी कमी आई है। इससे शिशु मृत्यु दर में भी काफी कमी आई है। वहीं, अब आशा कार्यकर्ताओं को स्मार्ट बनाये जाने से बीमारियों से होने वाली मौत में काफी हद तक कमी आएगी। जिले में आशा कार्यकर्ताओं को डिजिटल मिशन को घर-घर तक पहुंचाने के लिए स्मार्ट बनाया जा रहा हे। इसके लिए कई चरणों में उन्हेंप्रशिक्षित किया जा रहा है। अब आशा कार्यकर्ता गर्भवती महिलाओं के साथ ही डायरिया, फाइलेरिया, मलेरिया सहित अन्य संक्रमित बीमारियों पर भी नजर रखेंगी। इसके अलावे वे गांव का सर्वे करने के बाद किसी भी तरह की बीमारियों का डाटा अपलोड करेंगी। डा. अर्चना कुमारी, सीएस, बांका।
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