सड़क दुर्घटना में जख्मी मजदूर की इलाज के अभाव में मौत, चार मासूम बच्चे हुए अनाथ
7 साल पहले बच्चों की मां की हुई थी मौत, अब पिता की मृत्यु से टूटा दुखों का पहाड़ 7 साल पहले बच्चों की मां की हुई थी मौत, अब पिता की मृत्यु से टूटा दु

कटोरिया (बांका), निज प्रतिनिधि। कटोरिया थाना क्षेत्र के भोरसार गांव में गत 19 अप्रैल को सड़क दुर्घटना में जख्मी हुए एक मजदूर की ईलाज के अभाव में सोमवार को मौत हो गई। मृतक थाना क्षेत्र के तसरिया गांव के बहादुर यादव का पुत्र शोभी यादव (55) बताया गया है। इस घटना से मृतक के 4 मासूम बच्चों से उनके जीवन का सहारा छिन गया। 7 वर्ष पूर्व मां को गंवा चुके इन बच्चों के सिर से अब पिता का भी साया उठ गया है। घर में सिर्फ सन्नाटा और बच्चों के बिलखने की आवाज गूंज रही है। जानकारी के अनुसार शोभी यादव 5 दिन पूर्व कोलकाता से लौटकर घर आया था। 19 अप्रैल को किसी कार्य से बाईक द्वारा घर लौटते समय भोरसार गांव के पास गिरकर वह गंभीर रूप से ज़ख्मी हो गया था। स्थानीय लोगों ने उसे ईलाज के लिए कटोरिया रेफरल अस्पताल पहुंचाया, जहां से अगले दिन उसे गंभीर स्थिति में देवघर और फिर रांची रेफर किया गया। लेकिन आर्थिक तंगी की वजह से रांची में महंगे इलाज का बोझ उठाना परिजनों के लिए असंभव हो गया और लाचारी में जख्मी को वापस गांव ले आया गया। घर लाने के अगले दिन, सोमवार को उसकी मृत्यु हो गई। ग्रामीणों ने बताया कि 7 साल पूर्व शोभी यादव की पत्नी कुंती देवी की भी गंभीर बीमारी से जूझते हुए मौत हो गई थी। तब से शोभी ही कोलकाता में मजदूरी कर अपने चार बच्चों की परवरिश और शिक्षा का जिम्मा निभा रहा था।
बुजुर्ग दादा-दादी असहाय, बच्चों का कोई सहारा नहीं
शोभी यादव की मौत के बाद घर का मंजर बेहद मार्मिक है। चार बच्चे पार्वती कुमारी (15), सोनी कुमारी (12), शालिनी कुमारी (10) एवं गिरधारी यादव, अपने पिता के शव से लिपटकर बिलखते रहे। बच्चों के आंसू को देख मौजूद सभी ग्रामीणों की आँखें नम हो गई। इन चारों के अलावा एक बड़ी बेटी बसंती देवी है, जिसकी शादी हो चुकी है। पर वह भी आर्थिक रूप से सक्षम नहीं है कि बाकी भाई-बहनों की परवरिश कर सके। मृतक के माता-पिता जागेश्वरी देवी और बहादुर यादव, दोनों वृद्ध हैं और उनकी खुद की देखभाल मुश्किल हो रही है। शोभी के चार भाई सुरामन यादव, जवाहर यादव, लालमोहन यादव और इतवारी यादव अपने-अपने परिवार के साथ अलग रहते हैं। कोई भी अभी तक इन अनाथ बच्चों की जिम्मेदारी उठाने को तैयार नहीं दिख रहा है।
ग्रामीणों ने की प्रशासन से सहयोग की अपील
शोभी यादव कोलकाता में रहकर अपने चारों बच्चों को विद्यालय में पढ़ा रहा था। लेकिन नसीब ने ऐसा हाल किया कि अब बच्चों की पढ़ाई तो दूर उनका पेट भरने वाला कोई नहीं बचा। माता- पिता की मौत के बाद बच्चों की पढ़ाई, भोजन, स्वास्थ्य और सुरक्षा के लिए सरकारी संरक्षण अनिवार्य है। शव को देखने उमड़ी ग्रामीणों के जुबान पर बस बिखरे परिवार एवं बच्चों की परवरिश की ही चर्चा थी। ग्रामीणों ने स्थानीय प्रशासन से तुरंत इन बच्चों के लिए स्थाई मदद का प्रबंध करने की मांग की है। ताकि उनकी शिक्षा और परवरिश प्रभावित ना हो।
पीड़ित परिवार को मुख्यमंत्री परवरिश योजना का लाभ दिलाने के लिए बाल विकास परियोजना की टीम भेजी गई है। साथ ही मुख्यमंत्री पारिवारिक लाभ योजना के तहत आर्थिक सहायता की प्रक्रिया भी आरंभ कर दी गई है।
विजय कुमार सौरभ, बीडीओ कटोरिया
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