तेज हवा के साथ बारिश की आशंका, मिल सकती है फिलहाल गर्मी से राहत
अधिकतम तापमान में कमी आने के बाद मिल सकती है फिलहाल गर्मी से राहत मिजाज फिर से गर्म है। स्थिति यह है कि सुबह छह बजे से ही सूर्य का ताप काफी तेज होता है जो 9-10 बजते ही प्रचंड

सिंघौल, निज संवाददाता।पिछले एक सप्ताह से मौसम का मिजाज फिर से गर्म है। स्थिति यह है कि सुबह छह बजे से ही सूर्य का ताप काफी तेज होता है जो 9-10 बजते ही प्रचंड रूप धारण कर लोगों को झुलसाने लगता है। लेकिन मौसम पूर्वानुमान में एक बार फिर मौसम के करवट बदलने की संभावना है। पूसा स्थित मौसम विज्ञान विभाग की ओर से जारी पूर्वानुमान में सोमवार से मौसम में परिवर्तन होने का अनुमान है। मौसम पूर्वानुमान में आंधी-तूफान के साथ बिजली गिरना और तेज हवा के साथ वर्षा होने की सम्भावना है। इस अवधि में अधिकतम तापमान 38-40 डिग्री सेल्सियस के बीच रह सकता है। जबकि न्यूनतम तापमान 25-29 डिग्री सेल्सियस के आस-पास रह सकता है। सापेक्ष आर्द्रता सुबह में 60 से 80 प्रतिशत तथा दोपहर में 30 से 40 प्रतिशत रहने की संभावना है। गौरतलब है कि यदि बारिश होती है तो अधिकतम तापमान में गिरावट के बाद लोगों को फिलहाल चिलचिलाती धूप व गर्मी से राहत मिल सकती है। किसानों के लिए समसामयिक सुझाव पूसा कृषि विश्वविद्यालय के कृषि वैज्ञानिकों ने समसामयिक सुझाव जारी किया है। आम के बागों में विगत वर्षों में फल मक्खी बहुत देखने को मिला था जिससे किसान भाइयों का नुकसान हुआ था। उसको देखते हुए इस बार किसान भाई सावधानी बरतें तथा फल मक्खी के प्रबन्धन के लिए फ्रूट फ्लाई ट्रैप सबसे बढ़िया विकल्प है। प्रति हेक्टेयर 15-20 फरोमैन ट्रैप लगाकर फ्रूट फ्लाई मक्खी को प्रबंधित किया जा सकता है। इन ट्रैपों को निचली शाखाओं पर 4 से 5 फीट की ऊंचाई पर बांधना चाहिए। एक ट्रैप से दूसरे ट्रैप के बीच में 35 मीटर की दूरी रखें। ट्रैप को कभी भी सीधे सूर्य की किरणों में नहीं रखे। ट्रैप को आम की बहुत घनी शाखाओ के बीच में नहीं बाधना चाहिए। ट्रैप बाग में स्पष्ट रूप से दिखाई देना चाहिए की कहा बाधा गया है। ट्रैप बांधने की अवस्था फल पकने से 60 दिन से पहले होना चाहिए और 6 से 10 सप्ताह के अंतराल पर नर की सुगंध बदलते रहना चाहिए। वहीं भिण्डी की फसल को लीफ हॉपर कीट द्वारा काफी नुकसान होता है। यह कीट दिखने में सूक्ष्म होता है। इसके नवजात एवं व्यस्क दोनो पत्तियों पर चिपककर रस चूसते हैं। अधिकता की अवस्था में पत्तियों पर छोटे-छोटे धब्बे उभर जाते है और पत्तियों पीली तथा पौधे कमजोर हो जाते हैं। जिससे फलन प्रभावित होती है। इस कीट का प्रकोप दिखाई देने पर इमिडाक्लोप्रिड 0.5 एमएल प्रति लीटर पानी की दर से घोल बनाकर छिड़काव करें। भिंडी फसल में माइट कीट की निगरानी करते रहें। गरमा सब्जियों जैसे भिन्डी, नेनुआ, करेला, लौकी (कद्दू) और खीरा की फसल में निकाई-गुडाई करें। रबी फसल की कटाई के बाद खाली खेतों की गहरी जुताई कर खेत को खुला छोड़ दें, ताकि सूर्य की तेज धूप मिट्टी में छिपे कीड़ों के अण्डे, प्यूपा एवं घास के बीजों को नष्ट कर दें। दुधारू पशुओं को नये गेहूँ के भूसे को खिलाने से पहले दो घंटे पानी में भिगोकर रखें। चारा दाना सुबह धूप निकलने से पहले और शाम में धूप समाप्त होने के बाद खिलाए। पशुओं को तेज धूप में न चरायें। गर्मी से पशुओं को निर्जलीकरण एवं लवण की कमी से बचाने के लिए दिन में चार बार स्वच्छ ठंढा पानी पिलाए एवं 50 ग्राम नमक, 50 ग्राम खनिज मिश्रण एवं प्रोबायोटिक प्रतिदिन दें। गलघोंटू एवं लंगडी बीमारी से बचाव के लिए टिकाकरण करायें।
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