टेढ़े-मेढ़े पैर होने का कारण सूर्य या चंद्र ग्रहण नहीं : डॉ. अजय
Lucknow News - जन्मजात टेढ़े मेढ़े पैर (क्लब फुट) गर्भावस्था के दौरान धूम्रपान और विषाक्त पदार्थों के संपर्क में आने से हो सकता है। अंधविश्वास के चलते लोग इसे ग्रहण से जोड़ते हैं। भोपाल एम्स के निदेशक डॉ. अजय सिंह...

जन्मजात टेढ़े मेढ़े पैर (क्लब फुट) होने की समस्या गर्भावस्था के समय धूम्रपान करना, जीवाश्म ईंधन से निकलने वाले धुएं, बैटरी से संबंधित विषाक्त पदार्थों जैसे जोखिम के संपर्क में आने पर हो सकती है। अब भी लोग अंधविश्वास में क्लब फुट की समस्या की वजह गर्भावस्था के दौरान सूर्य या चंद्र ग्रहण देखने को मानते हैं। जन्मजात टेढ़े मेढ़े पैर के इलाज के लिए बच्चे की उम्र कम होना जरूरी होता है। जितनी शुरुआत में इलाज होगा, उतनी जल्द ही पैर में सुधार हो सकता है। यह जानकारी भोपाल एम्स के निदेशक डॉ. अजय सिंह ने दीं। डॉ. सिंह केजीएमयू के पीडियाट्रिक ऑर्थोपेडिक्स विभाग व क्योर इंटरनेशनल इंडिया ट्रस्ट की ओर से क्लब फुट प्रबंधन पर शताब्दी फेज टू में प्रशिक्षण कार्यक्रम को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे। कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि डीजीएमई से संबद्ध प्राचार्य डॉ. मुकेश यादव, आमंत्रित संकाय सदस्य सेंट स्टीफंस अस्पताल दिल्ली से डॉ. मैथ्यू वर्गीस, वाडिया चिल्ड्रेन हॉस्पिटल मुंबई से डॉ. अलारिक अरूजिस और लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज दिल्ली से डॉ.आलोक सूद मौजूद रहे।
पीडियाट्रिक ऑर्थोपेडिक विभाग के प्रमुख डॉ. विकास वर्मा ने कहा कि आनुवांशिकता के साथ ही पर्यावरणीय कारणों से भी क्लब फुट की समस्या हो सकती है। आयोजन सचिव डॉ. सुरेश चंद्र ने कहा कि यदि बच्चे की उम्र दो साल होने पर इलाज शुरू हो जाता है तो करीब 90 फीसदी पर मामले में पोंसेटी पद्धति से बिना ऑपरेशन टेढ़े-मेढ़े पैर को सही करने में मदद मिलती है। कार्यक्रम में ऑर्थोपेडिक्स विभाग के प्रमुख डॉ. आशीष कुमार, डॉ. विनीत शर्मा, पीडियाट्रिक ऑर्थोपेडिक्स के डॉ. सैयद फैसल आफाक, डॉ. संजीव कुमार, डॉ. अंकुर अग्रवाल, डॉ. अमितोष आदि शामिल रहे।
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