चेकडैम में जल संचय क्षमता कम होने से बढ़ेगी परेशानी
वन विभाग ने जंगली जानवरों को पानी पीने और सुरक्षित वन क्षेत्र को हराभरा बनाए रखने के लिए चेकडैम का निर्माण किया है। हालांकि, चेकडैम की जल संचय क्षमता कम होती जा रही है, जिससे किसानों को सिंचाई में...

जंगली जानवरों को पानी पीने व वन सुरक्षित क्षेत्र को हराभरा बनाए रखने के लिए वन विभाग ने कराया है चेकडैम का निर्माण अमरपुर, बुच्चा व तुतुआइन चेकडैम के भरे रहने से खेतों की होती है सिंचाई चेकडैम के पानी पर प्रखंड के कई गांवों के किसान सिंचाई के लिए हैं निर्भर 12 सौ हेक्टेयर भूमि होती है सिंचित (पड़ताल/पेज चार की बॉटम खबर) भगवानपुर, एक संवाददाता। प्रखंड के चेकडैम की जल संचय क्षमता कम होती जा रही है। इससे परेशानी बढ़ सकती है। तापमान बढ़ने के कारण अमरपुर, बुच्चा व तुतुआइन चेकडैम में पानी कम हो गया है। इस कारण फिलहाल इससे पानी का बहाव भी नहीं हो रहा है।
वन विभाग ने इन चेकडैम का निर्माण जंगली जानवरों को पानी पीने व सुरक्षित वन क्षेत्र को हराभरा बनाए रखने के उद्देश्य से किया है। चेकडैम में पानी भरे रहने से दूर तक जाता है, जिससे किसान अपनी फसल की सिंचाई करते हैं। लेकिन, इसकी गहराई व चौड़ाई कम होते जाने से जल संचय क्षमता घटने लगी है। कई गांवों के किसान करमचट डैम के पानी से खेतों की सिंचाई कर रहे हैं। बताया गया है कि अमरपुर चेकडैम से अमरपुर, मीरगंज, धरचोली, नौगढ़ व अन्य गांव, बुच्चा चेकडैम से बुच्चा, खडीहां, रमावतपुर, गौरक्षणी सहित कई गांव, तुतुआइन चेकडैम से राधाखांड़, ओरगांव, नदुला, रेहियां, हरीपुर आदि गांवों के खेत की सिंचाई होती थी। हालांकि करमचट बांध से जुड़े कई बाहा बदहाल हो गए हैं। उक्त चेकडैम से करीब 1200 हेक्टेयर भूमि सिंचित होती हैं। हालांकि वन विभाग द्वारा अमरपुर व बुच्चा चेकडैम की खुदाई व तटबंध को मजबूत बना दिया है, ताकि पानी का दबाव बनने पर किसी तरह की दिक्कत नहीं हो सके। तुतुआइन चेकडैम से जुड़े राधाखांड़ के शंभू सिंह, ओरगांव के मणि तिवारी, बिगाऊ प्रसाद निराला, नदुला में बसावन सिंह, अमरपुर चेकडैम से जुड़े धरचोली के उदय प्रताप सिंह, नौगढ़ के कंुजबिहारी सिंह, सोहन बिंद व बुच्चा चेकडैम से जुड़े खडिहां के सुग्रीव पांडेय, नथुनी यादव, भगवान यादव, जगदीश यादव कहते हैं कि जब डैम में पानी भरा रहता है, तब उनके खेतों की सिंचाई आसानी से हो जाती थी। लेकिन, इसकी सफाई नहीं होने के कारण पानी पूरा नहीं आ पाता है। मछुआरे भी मछली मारने के चक्कर में पानी खोल देते हैं, जिससे पानी बेवजह बह जाता है। बरसात में भर जाते थे जलस्रोत रामभोग पाल व बिहारी पाल बताते हैं कि जब बारिश होती है और पहाड़ी पानी चेकडैम में भर जाता था तब ओवरफ्लो कर पानी बहने से आहर, पइन, बाहा आदि में पानी जमा हो जाता था। इसका पानी पोखरा में गिरता था, जिससे न सिर्फ जलस्तर ठीक रहता था, बल्कि मवेशियों को भी पीने के लिए पानी मिल जाता था और ग्रामीण भी कपड़ा धोने व स्नान करने का काम करते थे। बताया गया है कि अमरपुर चेकडैम के डूब क्षेत्र में अतिक्रमण कर खेती करने से जल संचय क्षेत्र का दायरा कम हो रहा है। गर्मी में आसपास में खिसक जाता है जलस्तर गर्मी में चेकडैम का पानी कम होते जाने से आसपास के गांवों में जलस्तर खिसकने लगता है, जिससे ग्रामीणों को परेशानी होती है। उक्त चेकडैम के आसपास के गांवों ओरगांव, नदुला, राधाखाड़, अमरपुर चेकडैम से अमरपुर, मीरगंज, धरचोली, नौगढ़, बुच्चा, खडीहां, रमावतपुर, गौरक्षणी, राधाखांड़, ओरगांव, नदुला, रेहियां, हरीपुर, रमावतपुर, बेल्डी आदि गांवों का जलस्तर खिसक जाने से चापाकलों से पानी कम निकल रहा है। ऐसे में ग्रामीण पीने के लिए पानी का प्रबंध तो कर लेते हैं, पर बर्तन व कपड़ा धोने के लिए पानी का इंतजाम करने में परेशानी होती है। कोट तीनों चेकडैम फिलहाल ठीक है। गाद सफाई कराने के लिए अभी फंड प्राप्त नहीं हुआ है। राशि आवंटन किए जाने पर गाद की सफाई कराई जाएगी। अच्छी बारिश होने पर डैम में पर्याप्त जल भंडारण हो जाता है। मनोज कुमार, वनो के क्षेत्र पदाधिकारी
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