Abadpur Area of Katihar District Struggles for Basic Amenities and Development बोले कटिहार : इलाज और काम के लिए तय करते हैं 20 किलोमीटर का सफर, आबादपुर बने प्रखंड, Bhagalpur Hindi News - Hindustan
Hindi NewsBihar NewsBhagalpur NewsAbadpur Area of Katihar District Struggles for Basic Amenities and Development

बोले कटिहार : इलाज और काम के लिए तय करते हैं 20 किलोमीटर का सफर, आबादपुर बने प्रखंड

कटिहार जिले का आबादपुर इलाका आज भी विकास से दूर है। 10 पंचायतों के लोग बुनियादी सुविधाओं की कमी से जूझ रहे हैं। बाढ़ और रोजगार की कमी के कारण लोग परेशान हैं और बारसोई तक 20 किलोमीटर की यात्रा करनी...

Newswrap हिन्दुस्तान, भागलपुरMon, 14 April 2025 10:55 PM
share Share
Follow Us on
बोले कटिहार : इलाज और काम के लिए तय करते हैं 20 किलोमीटर का सफर, आबादपुर बने प्रखंड

कटिहार जिले का आबादपुर इलाका आज भी विकास की रोशनी से दूर है। बिहार-बंगाल की सीमा से सटे इस क्षेत्र की 10 पंचायतों के लोग बुनियादी सुविधाओं का अभाव झेल रहे हैं। बाढ़ हो या बीमारी, लोगों को प्रखंड मुख्यालय तक पहुंचने के लिए 20 किलोमीटर का सफर तय करना पड़ता है। इससे समय, पैसे और जान तक का खतरा बना रहता है। गर्भवती महिलाओं को इलाज के लिए बारसोई तक जाना पड़ता है। वहीं बाढ़ के दौरान पूरा इलाका मुख्यालय से कट जाता है। रोजगार की कमी के चलते बड़ी संख्या में लोग पलायन को मजबूर हैं। यदि आबादपुर को प्रखंड का दर्जा मिल जाए तो न सिर्फ प्रशासनिक सुविधा लोगों की दहलीज तक पहुंचेगी, बल्कि क्षेत्र में सड़क, बिजली, पानी और रोजगार की स्थिति भी सुधरेगी। ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहरों का विकास भी संभव हो सकेगा। इससे इस पिछड़े इलाके की तस्वीर और तकदीर दोनों बदल सकती है।

10 पंचायतों के लोग झेल रहे बुनियादी सुविधाओं का अभाव

20 किलोमीटर दूर बारसोई जाना पड़ता है काम के लिए

02 महीने बाढ़ के दौरान पूरी तक मुख्यालय से कट जाता है इलाका

कटिहार जिले का आबादपुर इलाका आज भी विकास की दौड़ में काफी पीछे छूट गया है। बिहार और बंगाल की सीमा से सटे इस क्षेत्र के 10 पंचायतों के लोग लंबे समय से बुनियादी सुविधाओं की कमी और सरकारी उपेक्षा का दंश झेल रहे हैं। हर साल बाढ़ की मार, रोजगार की कमी और सरकारी योजनाओं की धीमी रफ्तार से जूझते इस इलाके के लोग अब आबादपुर को अलग प्रखंड का दर्जा देने की मांग कर रहे हैं। फिलहाल इन पंचायतों के लोगों को सरकारी कामकाज के लिए बारसोई प्रखंड मुख्यालय तक 20 किलोमीटर का लंबा और थकाऊ सफर तय करना पड़ता है। यह रास्ता न केवल समय खपाने वाला है बल्कि आर्थिक बोझ भी बढ़ाता है। खासकर गरीब और मजदूर वर्ग के लिए यह यात्रा किसी परेशानी से कम नहीं। गर्भवती महिलाओं और बीमार लोगों को इलाज के लिए भी इसी रास्ते से बारसोई तक पहुंचना पड़ता है, जो अक्सर बाढ़ के दिनों में नामुमकिन हो जाता है।

सरकारी दफ्तर, बैंक, स्वास्थ्य केंद्र, स्कूल की जरूरत :

बाढ़ के दौरान इस क्षेत्र के 10 पंचायत पूरी तरह पानी से घिर जाते हैं और प्रखंड मुख्यालय से संपर्क टूट जाता है। ऐसे में अगर आबादपुर को प्रखंड का दर्जा मिल जाता है तो स्थानीय स्तर पर राहत और बचाव कार्य तेज होंगे और बाढ़ के समय लोगों को सरकारी सहायता समय पर मिल सकेगी। इस इलाके में रोजगार की भी भारी कमी है। सात पंचायतों के सैकड़ों लोग रोजी-रोटी के लिए अपने गांव-घर छोड़कर अन्य राज्यों में मजदूरी करने को मजबूर हैं। अगर आबादपुर प्रखंड बनता है तो सरकारी दफ्तर, बैंक, स्वास्थ्य केंद्र, स्कूल जैसी सुविधाओं के साथ रोजगार के भी नए अवसर सृजित होंगे। इतना ही नहीं, इस क्षेत्र के बेलवा गांव में ऐतिहासिक धार्मिक स्थल भी है, जो प्रशासनिक उपेक्षा के चलते गुमनामी में है। प्रखंड बनने से इस मंदिर के विकास और पर्यटन को भी बढ़ावा मिल सकेगा, जिससे स्थानीय लोगों की आमदनी में सुधार होगा।

बिजली और सड़क आज भी है सपना :

बिजली, सड़क और शुद्ध पेयजल जैसी बुनियादी जरूरतें आज भी यहां के लोगों के लिए सपना बनी हुई हैं। ‘हर घर जल योजना के तहत टैंक तो लगाए गए हैं, मगर शुद्ध पानी आज भी नसीब नहीं हो रहा। प्रखंड बनने से योजनाओं का सही क्रियान्वयन संभव होगा और गांवों का चेहरा बदलेगा। आबादपुर के लोगों का कहना है कि यदि सरकार इस क्षेत्र को प्रखंड का दर्जा देती है तो इससे विकास की नयी राह खुलेगी, जनप्रतिनिधियों की जवाबदेही बढ़ेगी और ग्रामीणों को सरकारी योजनाओं का सीधा लाभ मिलेगा। आबादपुर प्रखंड बनने से इस इलाके की सामाजिक, आर्थिक और भौगोलिक दुश्वारियां काफी हद तक कम हो सकती हैं। अब देखना यह है कि सरकार कब तक इस मांग पर गंभीरता से विचार करती है।

शिकायतें

1. ग्रामीणों को हर सरकारी काम के लिए 20 किलोमीटर दूर बारसोई प्रखंड मुख्यालय जाना पड़ता है, जिससे समय और खर्च दोनों बढ़ते हैं।

2. हर साल बाढ़ के दौरान पूरा इलाका पानी में घिर जाता है और प्रखंड मुख्यालय से संपर्क भंग हो जाता है।

3. गर्भवती महिलाओं और गंभीर मरीजों को इलाज के लिए बारसोई ले जाना पड़ता है, जो जोखिम भरा और महंगा साबित होता है।

4. क्षेत्र में रोजगार के अवसर नहीं होने के कारण सात पंचायतों के युवा मजदूरी के लिए पलायन कर रहे हैं।

5. सड़क, बिजली और शुद्ध पेयजल की हालत आज भी बेहद खराब है। ‘हर घर जल योजना के तहत टैंक तो लगे हैं लेकिन सप्लाई नहीं हो रही।

सुझाव:

1. आबादपुर को प्रखंड का दर्जा दिया जाए ताकि स्थानीय लोगों को बुनियादी सुविधाएं और सरकारी योजनाओं का लाभ पास में ही मिल सके।

2. प्रखंड बनने पर पदाधिकारी स्थानीय स्तर पर मौजूद रहेंगे जिससे आपदा प्रबंधन और विकास कार्य समय पर पूरे होंगे।

3. प्रखंड मुख्यालय बनने के साथ ही सरकारी दफ्तर, स्कूल, बैंक और स्वास्थ्य केंद्र खुलेंगे, जिससे क्षेत्र में रोजगार बढ़ेगा।

4. बेलवा के ऐतिहासिक मंदिर का संरक्षण और प्रचार हो ताकि धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा मिले और स्थानीय अर्थव्यवस्था को ताकत मिले।

5. प्रखंड बनने से सड़क, बिजली, पानी जैसी आधारभूत सुविधाओं में तेजी से सुधार हो सकेगा और लोगों का जीवन स्तर बेहतर होगा।

सुनें हमारी पीड़ा

आबादपुर को प्रखंड का दर्जा मिलना यहां के लोगों की सबसे बड़ी जरूरत है। बाढ़, रोजगार और सड़क जैसी समस्याओं का हल तभी संभव है। प्रखंड बनने से प्रशासनिक कामकाज सरल होगा और क्षेत्र में विकास तेज़ी से होगा। सरकार को जल्द फैसला लेना चाहिए।

हसन रजा

हर बार बाढ़ में हमारे गांव के हालात बदतर हो जाते हैं। संपर्क टूट जाता है और सरकारी मदद नहीं पहुंच पाती। प्रखंड बनने से गांव तक राहत आसानी से पहुंचेगी। विकास का रास्ता खुलेगा। हम सभी चाहते हैं कि आबादपुर को जल्द प्रखंड का दर्जा मिले।

नदीम हैदर

सरकारी कामों के लिए 20 किलोमीटर दूर बारसोई जाना बहुत मुश्किल है। गरीब आदमी के लिए यह खर्च भारी पड़ता है। अगर आबादपुर प्रखंड बन जाए तो गांव के पास ही सुविधाएं मिलेंगी। प्रशासन की पकड़ मजबूत होगी और विकास का रास्ता साफ होगा।

मजर इस्लाम गजाली

बाढ़, बिजली और सड़क की समस्या ने गांव की हालत बिगाड़ दी है। प्रखंड बनने से इन समस्याओं का हल मिलेगा। सरकारी योजनाएं सही तरीके से गांव तक आएंगी। हम सबकी यही मांग है कि आबादपुर को जल्द प्रखंड घोषित किया जाए।

अजय दास

हमारे गांव में हर साल बाढ़ आती है और हालात बदतर हो जाते हैं। प्रखंड मुख्यालय की दूरी परेशानी बढ़ा देती है। आबादपुर को प्रखंड बनाने से हर नागरिक को राहत मिलेगी और विकास कार्यों में तेजी आएगी। सरकार हमारी आवाज़ सुने।

फहीम खुर्शीद

आबादपुर प्रखंड बनता है तो स्वास्थ्य, शिक्षा और रोजगार जैसी समस्याओं का समाधान होगा। आज भी लोग इलाज के लिए कई किलोमीटर दूर जाते हैं। सरकार से हमारी मांग है कि जल्द इस इलाके को प्रखंड का दर्जा दिया जाए।

आइनुल हक

हर छोटे-बड़े काम के लिए बारसोई प्रखंड जाना पड़ता है। बाढ़ में तो संपर्क पूरी तरह कट जाता है। अगर आबादपुर को प्रखंड बना दिया जाए तो यहां के लोगों की ज़िंदगी आसान हो जाएगी। विकास के नए रास्ते भी खुलेंगे।

अब्दुल माजीद

आबादपुर प्रखंड बनने से गांवों में बुनियादी सुविधाएं जैसे सड़क, पानी, बिजली में सुधार होगा। अभी जो समस्याएं हैं, वे खत्म होंगी। रोजगार के मौके भी बढ़ेंगे। सरकार से हमारी उम्मीद है कि जल्द प्रखंड बनाने का निर्णय लिया जाए।

उत्पल दास

हमारे गांव के युवा आज भी रोजगार की तलाश में बाहर पलायन कर रहे हैं। अगर आबादपुर प्रखंड बनेगा तो नौकरी, स्कूल, अस्पताल सब नजदीक होंगे। इससे गांव का विकास तेज़ होगा। सरकार को इस पर गंभीरता से विचार करना चाहिए।

उज्जवल पाल

बरसात में सड़कें टूट जाती हैं और बाढ़ से गांव अलग-थलग पड़ जाते हैं। अगर आबादपुर प्रखंड बनता है तो अधिकारी यहां रहेंगे और समय रहते राहत पहुंचेगी। विकास के लिए यह कदम बेहद ज़रूरी है। हम सब इसका बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं।

गौतम दास

बारसोई प्रखंड की दूरी से ग्रामीण बहुत परेशान हैं। सरकारी योजनाओं का लाभ लोगों तक नहीं पहुंच पाता। आबादपुर अगर प्रखंड बनता है तो विकास की रफ्तार बढ़ेगी और बाढ़ के समय राहत व्यवस्था भी बेहतर होगी। यह मांग बिल्कुल जायज़ है।

राजीव कुमार दास

गांव में सड़क, बिजली और पानी की हालत दयनीय है। प्रखंड बनने से इन समस्याओं पर ध्यान दिया जाएगा। अधिकारी स्थानीय रहेंगे तो लोगों की समस्याएं जल्दी सुनी जाएंगी। सरकार को आबादपुर की मांग पर जल्द निर्णय लेना चाहिए।

मोहम्मद हबीब

प्रखंड बनने से रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे। जो लोग मजबूरी में बाहर पलायन कर रहे हैं, उन्हें गांव में ही काम मिलेगा। बाढ़ के समय सरकारी मदद समय पर पहुंचेगी। आबादपुर का प्रखंड बनना यहां के विकास की पहली सीढ़ी है।

नैयर आलम

हमारे क्षेत्र में विकास की रफ्तार बहुत धीमी है। प्रखंड मुख्यालय की दूरी और बाढ़ की मार से लोग बेहद परेशान रहते हैं। आबादपुर को प्रखंड बनाने से शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार की स्थिति में बड़ा सुधार आएगा। सरकार ध्यान दे।

बप्पा शील

गांव में आज भी बुनियादी सुविधाओं का अभाव है। प्रखंड बनने से न केवल रोजगार बढ़ेगा बल्कि सरकारी योजनाओं का सही लाभ भी मिलेगा। बाढ़ जैसी आपदाओं से बचाव में भी सहूलियत होगी। आबादपुर का प्रखंड बनना बहुत जरूरी है।

कन्हैया पाल

हमारे गांव के लोग सालों से विकास से दूर हैं। प्रखंड बनने से गांव में स्कूल, अस्पताल और सरकारी दफ्तर बनेंगे। इससे लोगों का जीवन स्तर सुधरेगा। सरकार से निवेदन है कि आबादपुर को जल्द प्रखंड का दर्जा दिया जाए।

रतन दास

आबादपुर क्षेत्र में शिक्षा और स्वास्थ्य की कमी बहुत बड़ी समस्या है। प्रखंड बनने से ये दिक्कतें दूर हो जाएंगी। हर साल बाढ़ के कारण गांव कट जाता है, प्रखंड बनने से प्रशासनिक मदद जल्द पहुंचेगी। यह फैसला समय की मांग है।

मोहम्मद अब्दुल

बाढ़, सड़क और बिजली की समस्या ने लोगों का जीवन कठिन बना दिया है। प्रखंड बनने से गांवों में विकास का रास्ता खुलेगा। सरकार की योजनाएं भी सही तरीके से लागू होंगी। हम सब चाहते हैं कि आबादपुर को जल्द प्रखंड बनाया जाए।

दुर्गा प्रसाद

बोले जिम्मेदार

आबादपुर क्षेत्र की समस्याओं को लेकर प्रशासन पूरी तरह से गंभीर है। बाढ़, स्वास्थ्य, सड़क और पेयजल जैसी चुनौतियों से निपटने के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। प्रखंड गठन को लेकर सरकार स्तर पर विचार चल रहा है। अगर आबादपुर को प्रखंड का दर्जा मिलता है तो यहां की जनता को बुनियादी सुविधाएं सुलभ होंगी और विकास कार्यों में तेजी आएगी। बाढ़ के समय राहत कार्य भी प्रभावशाली ढंग से हो सकेगा। क्षेत्र की जनता की मांग जायज है और सरकार जल्द इस पर सकारात्मक निर्णय लेगी। आबादपुर को प्रखंड बनाने को लेकर विधानसभा में भी मामला उठाया गया है।

-महबूब आलम, विधायक बलरामपुर

बोले कटिहार फॉलोअप

दिव्यांगों ने की शांतिपूर्ण आंदोलन की शुरुआत

कटिहार, निज संवाददाता। कोसी क्षेत्रीय दिव्यांग, विधवा, वृद्ध कल्याण समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष मोहन कुमार के नेतृत्व में दिव्यांगों ने आंबेडकर चौक पर स्थित आंबेडकर प्रतिमा पर श्रद्धांजलि सुमन अर्पित करने के बाद पेंशन बढ़ोतरी को लेकर शांतिपूर्ण आंदोलन की शुरुआत की। उन्होंने नारा दिया₹ 400 पेंशन में दम नहीं और 3000 पेंशन से कम नहीं। इस अवसर पर बिहार के कई जिलों से दिव्यांग आए हुए थे। डॉ अंबेडकर की प्रतिमा के सामने घंटा, थाली और ताली बजाकर बिहार सरकार की नींद तोड़ने का प्रयास किया। कहा कि जब तक₹ 3000 पेंशन नहीं होगा तब तक शांतिपूर्ण ढंग से आंदोलन जारी रहेगा। राष्ट्रीय अध्यक्ष मोहन ने कहा कि महंगाई के जमाने में₹ 400 से गुजारा कैसे होगा, यह विचारणीय प्रश्न है। उन्होंने बिहार सरकार से दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम 2016 को बिहार राज्य के सभी जिलों में लागू करने की आवश्यकता जताई। इस अवसर पर सहरसा के जिला सचिव सुनील कुमार ठाकुर, मधेपुरा के शशि कुमार राय, सुपौल के अमित कुमार उपस्थित थे। कार्यक्रम का नेतृत्व शिव शंकर रमानी सदस्य बिहार राज्य सलाहकार बोर्ड समाज कल्याण विभाग ने किया। कार्यक्रम संयोजक एवं दृष्टिहीन जिला सचिव जुगल मंडल ने गीत के माध्यम से पेंशन बढ़ाने के लिए बिहार सरकार से मांग की। सांसद तारिक अनवर को मांग पत्र सौंपा गया। इस अवसर पर भाजपा नेत्री छाया तिवारी, सामाजिक कार्यकर्ता अभिषेक तिवारी, भाजपा नेता राम यादव, नेहा ठाकुर, सुनीता देवी, मोनिका कुमारी, लक्ष्मी देवी, मेराज आलम, प्रशांत कुमार, लेलू मंडल, मोहम्मद शौकत, शंभू ठाकुर, जूली शर्मा आदि उपस्थित थे।

लेटेस्ट   Hindi News ,    बॉलीवुड न्यूज,   बिजनेस न्यूज,   टेक ,   ऑटो,   करियर , और   राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।