बांका में ओढ़नी और बदुआ जलाशय फिशरीज इको टूरिज्म के रूप में होगा विकसित
हिन्दुस्तान विशेष उत्पादन, परिवहन, मार्केटिंग, मनोरंजन, लैंड स्कैपिंग का काम होगा इस परियोजना पर 24.71

भागलपुर, वरीय संवाददाता। राज्य सरकार ने जलाशय की एकीकृत विकास योजना के लिए बांका जिले के दो जलाशयों का चयन किया है। बांका के ओढ़नी और बदुआ जलाशय को ‘फिशरीज इको टूरिज्म के रूप में डेवलप किया जाएगा। इस पर करीब 5.8588 करोड़ रुपये खर्च होंगे। इसमें केंद्रांश 60 फीसदी के तहत भारत सरकार 1.7576 करोड़ और 40 प्रतिशत राज्यांश के तहत बिहार सरकार 1.1718 करोड़ रुपये खर्च करेगी। प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के दूसरे घटक ‘अत्याधुनिक थोक मछली बाजार के लिए पटना के फुलवारीशरीफ का चयन किया गया है। इस परियोजना पर मत्स्य संसाधन विभाग 24.71 करोड़ खर्च करेगा। दोनों योजना के विकास पर 14.83 करोड़ केंद्र और 9.88 करोड़ राज्य सरकार खर्च करेगी। इसके तहत मछली के उत्पादन, परिवहन, मार्केटिंग, मनोरंजन, लैंड स्कैपिंग से संबंधित आधारभूत संरचना विकसित कर इको टूरिज्म के रूप में इन जलाशयों को विकसित किया जाएगा। जानकारों ने बताया कि योजना के अगले चरण में सूबे के तीन अन्य जिले भागलपुर, बेगूसराय और नालंदा में भी इको टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए कई जलाशयों को गोद लिया जाएगा।
मछली उत्पादन में वृद्धि से ग्रामीण अर्थव्यवस्था मजबूत होगी
अधिकारियों ने बताया कि जलाशयों के समेकित मत्स्य विकास से जैव विविधता और पर्यावरण संरक्षण के साथ-साथ मत्स्य उत्पादन और उत्पादकता में गुणात्मक वृद्धि होगी। ग्रामीण अर्थव्यवस्था मजबूत होगी। प्रस्तावित योजना के तहत बांका के ओढ़नी और बदुआ जलाशयों में एक-एक यूनिट का निर्माण किया जाएगा। राज्य में मात्स्यिकी अधिकार प्राप्त कुल 47 जलाशय हैं। जो लघु व मध्यम श्रेणी के हैं। ये जलाशय दक्षिणी बिहार के जिलों नवादा, बांका, रोहतास, कैमूर, जमुई, लखीसराय और मुंगेर में हैं। वित्तीय वर्ष 2024-25 में बांका के दोनों जलाशयों में समेकित जलाशय मात्स्यिकी विकास के लिए नर्सरी, रियरिंग तालाब, लैंडिंग सेंटर, हैचरी, फीड मील, मत्स्य आखेट, एंगलिंग सेंटर आदि का निर्माण किया जाएगा। ताकि इन जलाशयों को मात्स्यिकी इको टूरिज्म के रूप में विकसित किया जा सके।
कैसा होगा जलाशयों में प्रस्तावित इकाई निर्माण का स्वरूप
एक इकाई के तहत 0.50 एकड़ के दो रियरिंग तालाब एवं 0.25 एकड़ के छह नर्सरी तालाब का निर्माण किया जाएगा। निर्मित रियरिंग एवं नर्सरी तालाबों के लिए इनपुट, आठ आइस बॉक्स के बोट, एक लैंडिंग सेंटर, एक मत्स्य बीज हैचरी का निर्माण, प्रतिदिन दो टन उत्पादन क्षमता का एक फिश मील की स्थापना, 10 टन क्षमता के एक आइस प्लांट की स्थापना, एक इंसुलेटेड ट्रक या वाहन, आइस बॉक्स समेत पांच थ्री व्हीलर और ऑटो रिक्शा, छह बाइक, एक फिश की-ऑक्स, 2500 वर्गफीट में शेड, वेयरहाउस और अन्य यूटिलिटी स्पेस का निर्माण, 18 केज की स्थापना आदि किया जाएगा।
बाजार तक ताजी व सस्ती मछलियां पहुंचाने की है तैयारी
परियोजना के बारे में भागलपुर के जिला मत्स्य पदाधिकारी कृष्ण कन्हैया ने बताया कि राज्य में मछली उत्पादन में निरंतर वृद्धि हो रही है। वर्ष 2005 में 2.88 लाख टन मत्स्य उत्पादन होता था। जो 2023-24 में बढ़कर 8.73 लाख टन हो गया है। यानी उत्पादन में तीन गुनी बढ़ोतरी हुई है। मछली जल्द खराब होने वाला खाद्य पदार्थ है। इसलिए बाजार तक त्वरित गति से हाइजेनिक रूप में इसे पहुंचाने के लिए पंचायत व प्रखंड स्तर पर रिटेल आउटलेट योजना क्रियान्वित की गई है। इससे मत्स्य कृषकों या मछुआरों को मत्स्य उत्पाद को आधुनिक बाजार उपलब्ध होगा। साथ ही उपभोक्ताओं को भी उचित मूल्य पर मछली उपलब्ध हो सकेगा।
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