गुरुदेव को नमन कार्यक्रम में साहित्य और संस्कृति पर चर्चा
भागलपुर में कलाकेंद्र में रविंद्रनाथ टैगोर की जयंती पर 'गुरुदेव को नमन' कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में शिक्षाविदों और कलाकारों ने टैगोर की आदमकद प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित की। डॉ....

भागलपुर,हिन्दुस्तान प्रतिनिधि। कलाकेंद्र में बुधवार को रविंद्रनाथ टैगोर की जयंती पर गुरुदेव को नमन कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता साहित्यकार डॉ. योगेंद्र ने की। टैगोर कि आदमकद प्रतिमा पर शिक्षाविदों और कलाकारों ने पुष्पांजलि अर्पित कर उनको श्रद्धांजलि दी। डॉ. योगेंद्र ने कहा कि टैगोर ने मनुष्य और प्रकृति के बीच भेद को नकारते हुए दोनों को एकरूप माना। टैगोर के साहित्य में करुणा, सहयोग और वैश्विक नागरिकता की भावना रची-बसी है। संस्कृति कर्मी उदय ने कहा कि टैगोर देश की महान विभूतियों में से एक हैं। उन्होंने गीतांजलि के माध्यम से भक्ति, प्रकृति प्रेम और मानवीय भावनाओं को उजागर किया।
टैगोर पहले भारतीय थे जिन्हें साहित्य के लिए नोबेल पुरस्कार मिला। वही, कलाकेंद्र के प्राचार्य राजीव कुमार सिंह ने कहा कि टैगोर ने शांति निकेतन के माध्यम से शिक्षा को वैश्विक दृष्टिकोण दिया। कवि ललन ने कहा कि टैगोर की दृष्टि में मनुष्यता सर्वोपरि थी। डॉ. दिब्या ने टैगोर की लेखनी को सभी वर्गों के लिए प्रेरणादायक बताया। कार्यक्रम में विजय साह, स्वेता शंकर, मृदुला सिंह, सुभाष प्रसाद सहित कई लोग थे।
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