Challenges Faced by Petrol Pump Employees in Jamui District Safety Concerns and Work Conditions बोले जमुई : सुरक्षा की गारंटी मिले तो रात में भी खुल सकेंगे पेट्रोल पंप, Bhagalpur Hindi News - Hindustan
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बोले जमुई : सुरक्षा की गारंटी मिले तो रात में भी खुल सकेंगे पेट्रोल पंप

जमुई जिले में 125 पेट्रोल पंप हैं, जिनमें काम करने वाले कर्मचारियों को रात में सुरक्षा की कमी का सामना करना पड़ता है। कर्मचारियों ने प्रशासन से रात्रि सुरक्षा बढ़ाने की मांग की है, क्योंकि लूटपाट की...

Newswrap हिन्दुस्तान, भागलपुरWed, 19 March 2025 12:03 AM
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बोले जमुई : सुरक्षा की गारंटी मिले तो रात में भी खुल सकेंगे पेट्रोल पंप

जमुई जिले में लगभग 125 पेट्रोल पंप है। यह जिला चारों तरफ घने पहाड़ों एवं जंगलों से घिरा है। कई पेट्रोल पंप जंगल एवं पहाड़ों के मध्य मुख्य सड़क पर संचालित हो रहे हैं। शाम 7:00 बजे ही जंगल एवं पहाड़ों वाले इलाकों में अंधेरा छा जाता है। ऐसे कई इलाकों में दूर-दूर तक लोग नहीं बसे होते हैं। ऐसी स्थिति में पंप का संचालन 24 घंटे करना संचालकों के लिए चुनौती है। जबकि यह आवश्यक सेवा है। सड़कों से दिन-रात वाहनों की आवाजाही होती है। उन्हें डीजल-पेट्रोल की जरूरत भी होती है। जिले के पंप संचालकों ने प्रशासन से रात्रि सुरक्षा देने की मांग की। संचालकों ने कहा कि पंप के पास पुलिस की रात्रि गश्ती बढ़ाने की जरूरत है। पेट्रोल पंप पर कर्मचारियों को लंबी शिफ्ट, स्वास्थ्य जोखिम के साथ काम करना होता है। लूटपाट जैसी घटनाओं का डर भी बना रहता है।

125 के करीब हैं जमुई जिले में पेट्रोल पंप

900 के कर्मी करते हैं पेट्रोल पंप पर काम

012 महीने चौबीसों घंटे देते हैं अपनी सेवा

डीजल-पेट्रोल के बिना वाहनों का चलना मुश्किल है। ई-वाहन अभी भी लंबी दूरी तक नहीं चल रहे। ऐसे में पेट्रोल पंप के महत्व की उपेक्षा नहीं की जा सकती। पंप पर काम करने वाले कर्मचारी भी दिन-रात सेवा में लगे रहते हैं। रोज हजारों लोग पेट्रोल पंप पर ईंधन भरवाने आते हैं, जिनकी सेवा कर पेट्रोल पंप कर्मियों का जीवन यापन होता है। पेट्रोल पंप के कर्मचारियों में नोजल मैन, कैशियर, मैनेजर, सिक्योरिटी गार्ड और सफाई कर्मी शामिल होते हैं, जो अपनी कड़ी मेहनत से यह सुनिश्चित करते हैं कि हर ग्राहक को सही ढंग से ईंधन मिले, भुगतान ठीक से हो, सुरक्षा बनी रहे और पंप की पूरी व्यवस्था सुचारू रूप से चले। बिना पर्याप्त आराम के वे हर मौसम में ईंधन आपूर्ति सुनिश्चित करते हैं। उन्हें ग्राहकों की बदसलूकी, नकदी प्रबंधन की चुनौती और सुरक्षा की कमी से जूझना पड़ता है। कई बार डकैती और हमलों में उनकी जान तक चली जाती है। संवाद के दौरान कर्मियों ने सरकार, प्रशासन और पेट्रोल कंपनियों से पंपों पर सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम करने की मांग की ताकि वे सुरक्षित माहौल में काम कर सकें।

कर्मचारियों की जिंदगी में हैं कई परेशानियां :

शहर के पेट्रोल पंप कर्मचारी बताते हैं कि नोजल मैन दिनभर खड़े रहकर पेट्रोल-डीजल भरते हैं। चाहे तेज धूप हो, बारिश हो या कड़ाके की ठंड, उन्हें अपनी ड्यूटी पर बने रहना पड़ता है। पेट्रोल और डीजल के धुएं में सांस लेना उनकी मजबूरी बन चुकी है, जिससे उनकी सेहत पर बुरा असर पड़ता है। लगातार खड़े रहने से उनके पैरों में दर्द और थकान हो जाती है, लेकिन उन्हें ना तो आराम मिलता है और ना ही किसी तरह की सरकारी स्वास्थ्य सुविधाएं। कई बार ग्राहक उनके साथ गलत तरीके से बात करते हैं, बदसलूकी करते हैं, लेकिन वे कुछ नहीं कह सकते क्योंकि उन्हें अपनी नौकरी बचानी होती है। पंप पर कार्यरत कैशियर का काम भी आसान नहीं है। उन्हें दिनभर लेन-देन संभालना पड़ता है, नकदी का हिसाब रखना होता है और डिजिटल पेमेंट्स पर भी नजर रखनी होती है। उन्हें हर समय सतर्क रहना पड़ता है, क्योंकि अगर कैश में एक भी रुपया कम हो गया तो उसकी भरपाई उन्हें खुद करनी पड़ती है। कई बार ग्राहक गलतफहमी में उन्हें ही दोषी मानकर बहस करने लगते हैं। पेमेंट फेल हो जाए या पेट्रोल-डीजल की गुणवत्ता और मात्रा पर शक हो, तो झगड़ा कैशियर के सिर पर ही आता है। इनके पास ना तो कोई सुरक्षा होती है और ना ही कोई सहारा।

काम के अनुसार कम मिलता है मेहनताना :

वहीं मैनेजर को पूरे पेट्रोल पंप की देखरेख करनी होती है, लेकिन यह काम जितना आसान लगता है, उतना होता नहीं। स्टाफ की शिफ्ट तय करना, ईंधन की सप्लाई बनाए रखना, सरकारी नियमों का पालन करना और हर छोटी-बड़ी चीज की जिम्मेदारी मैनेजर पर होती है। लेकिन अगर किसी दिन कोई समस्या आ जाए, कोई शिकायत हो जाए या बिक्री में कोई दिक्कत आ जाए, तो सारा दोष मैनेजर पर ही मढ़ दिया जाता है। ऊपर से अधिकारियों द्वारा नियमों के पालन का दबाव भी लगातार बना रहता है, जिससे उनका मानसिक तनाव और बढ़ जाता है। सफाई कर्मी और सहायक कर्मचारी पेट्रोल पंप की सफाई और रखरखाव का काम करते हैं। पेट्रोल-डीजल की जगह अगर सफाई न हो, तो हादसे हो सकते हैं, इसलिए वे हमेशा मेहनत करते हैं। लेकिन उन्हें उनकी मेहनत का उचित पारिश्रमिक नहीं मिलता। कई बार लोग उनके काम को छोटा समझकर अनदेखा कर देते हैं, लेकिन बिना उनकी मेहनत के पेट्रोल पंप की व्यवस्था चल ही नहीं सकती। इन कर्मचारियों की सबसे बड़ी समस्या यह है कि उन्हें बहुत कम वेतन मिलता है, जबकि महंगाई लगातार बढ़ रही है। इसके अलावा, उनकी शिफ्ट में आराम का कोई निश्चित समय नहीं होता। उन्हें स्वास्थ्य बीमा जैसी सुविधाएं भी नहीं दी जाती, जिससे किसी भी आपात स्थिति में वे असुरक्षित रहते हैं। कर्मचारी रहते हैं कि विकसित देशों में पेट्रोल पंप कर्मचारियों को बेहतर वेतन, स्वास्थ सुविधाएं और सुरक्षा मिलती हैं। वहां कर्मचारियों के लिए रेस्ट रूम और ब्रेक टाइम का उचित प्रावधान होता है। अगर हमारे यहां भी ऐसे नियम बनाए जाएं तो उनकी स्थिति बेहतर हो सकती है। सरकार और पेट्रोल कंपनियों को चाहिए कि वे इन कर्मचारियों की समस्याओं को गंभीरता से लें।

कर्मचारियों में रहती है असुरक्षा और भय की भावना :

रात के समय पेट्रोल पंप अपराधियों और लुटेरों के सबसे आसान टारगेट बन जाते हैं। अकेले या सीमित स्टाफ के साथ काम करने वाले कर्मचारी अक्सर बदमाशों और लुटेरों के हमले का शिकार बनते हैं। कई बार लूटपाट के दौरान कर्मचारियों की न केवल बेरहमी से पिटाई की जाती है, बल्कि उनकी हत्या तक कर दी जाती है। इससे उनका पूरा परिवार बर्बाद हो जाता है। पेट्रोल पंप पर कैश की मौजूदगी और कम सुरक्षा व्यवस्था अपराधियों को हमले के लिए निमंत्रण देती है, जिससे पेट्रोल पंप कर्मचारियों की जान हर समय खतरे में बनी रहती है। इस गंभीर समस्या के बावजूद पेट्रोल पंपों की सुरक्षा के लिए प्रशासन की ओर से कोई ठोस उपाय नहीं किए गए हैं, जिससे कर्मचारियों में भय और असुरक्षा की भावना बनी रहती है। रात की शिफ्ट में काम करने वाले कर्मचारियों के लिए हर दिन किसी अनहोनी की आशंका के साथ गुजरता है। पेट्रोल पंप लूट की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं, लेकिन सुरक्षा के कोई ठोस इंतजाम नहीं किए गए हैं। सबसे चिंताजनक बात यह है कि इन घटनाओं में अक्सर निर्दोष कर्मचारियों की जान चली जाती है।

शिकायतें

1. लंबी शिफ्ट में बिना पर्याप्त आराम के काम करना पड़ता है, जिससे उनकी सेहत पर बुरा असर पड़ता है।

2. लूटपाट और डकैती की घटनाओं में बढ़ोतरी के बावजूद पेट्रोल पंपों पर सुरक्षा के पर्याप्त इंतजाम नहीं किए जाते।

3. ग्राहकों की बदसलूकी और गलतफहमी की स्थिति में कर्मचारियों को दोषी ठहरा दिया जाता है।

4. कर्मचारियों को स्वास्थ्य समस्याएं होने पर चिकित्सा सुविधाएं नहीं मिलती।

5. नकदी की गड़बड़ी या पेमेंट फेल होने की स्थिति में कर्मचारियों को खुद भरपाई करनी पड़ती है।

सुझाव

1. पेट्रोल पंप कर्मचारियों के लिए शिफ्ट में नियमित ब्रेक और आराम का प्रावधान किया जाना चाहिए।

2. हर पेट्रोल पंप पर सुरक्षा गार्ड, सीसीटीवी कैमरे और अलार्म सिस्टम जैसी सुरक्षा सुविधाए अनिवार्य की जानी चाहिए।

3. ग्राहकों और कर्मचारियों के बीच बेहतर तालमेल के लिए शिकायत निवारण प्रणाली की व्यवस्था करनी चाहिए।

4. कर्मचारियों के लिए स्वास्थ्य बीमा और नियमित स्वास्थ्य जांच की सुविधा दी जानी चाहिए।

5. नकदी और डिजिटल लेन-देन में गड़बड़ी की जिम्मेदारी पूरी तरह कर्मचारियों पर नहीं थोपा जाए।

हमारी भी सुनें

रातभर पंप की सुरक्षा करना बहुत चुनौतीपूर्ण होता है। हमेशा जान-माल की हानि की आशंका बनी रहती है। पेट्रोल पंप की सुरक्षा के लिए सरकार को कोई नीति बननी चाहिए।

सुनील कुमार, मैनेजर

रात की शिफ्ट में काम करना बहुत जोखिम भरा होता है। लूटपाट की घटनाओं के दौरान हमारी जान तक जा सकती है, सुरक्षा के लिए कोई पुख्ता इंतजाम नहीं है।

तानेश्वर सिंह, मैनेजर

कई बार देखा गया है कि लोग पेट्रोल पंप कर्मचारियों से बदसलूकी करते हैं, जबकि वे अपनी ड्यूटी निभा रहे होते हैं। हमें भी उनके साथ सम्मानजनक व्यवहार करना चाहिए।

राहुल कुमार रजक

पंप पर काम करने वाले कर्मचारी लगातार प्रदूषण के संपर्क में रहते हैं। इससे बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। उन्हें नियमित स्वास्थ्य जांच की सुविधा मिलनी चाहिए।

सूजीत कुमार मिश्रा

हमारा काम सड़क पर होता है। पेट्रोल पंप कर्मचारियों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। सरकार को इनके लिए सुविधाएं एवं सुरक्षा अनिवार्य करनी चाहिए।

जय प्रकाश रजक

लोग पंप कर्मचारियों के महत्व को नहीं समझते, लेकिन उनकी मेहनत के बिना हमारी रोजमर्रा की जिंदगी ठप पड़ सकती है। उन्हें सम्मान मिलना जरूरी है।

रंजीत कुमार

सरकार को पेट्रोल पंप कर्मचारियों के लिए सुरक्षा नियम सख्ती से लागू करने चाहिए। लूटपाट की घटनाओं पर रोक जरूरी है। ताकि कर्मचारी सुरक्षित रहें।

मुकेश कुमार सिंह

रात के समय पेट्रोल पंपों पर पुलिस गश्त बढ़ाई जानी चाहिए। अपराधी पेट्रोल पंपों को आसान टारगेट समझते हैं, इस पर सख्त कार्रवाई होनी चाहिए।

देव कुमार

रिटायरमेंट के बाद कोई पेंशन या आर्थिक सहायता नहीं मिली। सरकार को पेट्रोल पंप कर्मचारियों के लिए एक न्यूनतम पेंशन योजना शुरू करनी चाहिए।

छोटू कुमार

कई बार पेट्रोल पंपों पर सुरक्षा के अभाव में लूट और झगड़े हो जाते हैं। पेट्रोल पंपों को पुलिस स्टेशन से जोड़ दिया जाए और इमरजेंसी बटन लगाया जाए।

अभिषेक कुमार

ग्राहक अक्सर डिजिटल पेमेंट फेल होने पर कर्मचारियों से बहस करते हैं। सरकार को पेट्रोल पंपों पर एक मजबूत पेमेंट हेल्पलाइन शुरू करनी चाहिए।

शेलेन्द्र कुमार

कई बार पेट्रोल पंप मालिक खुद भी कर्मचारियों की सुरक्षा को लेकर परेशान रहते हैं, लेकिन कंपनियां और सरकार इस दिशा में सहयोग नहीं करतीं। यह सामूहिक जिम्मेदारी होनी चाहिए।

रामप्रवेश कुमार

पंपों पर महिला कर्मचारियों की संख्या बहुत कम होती है, क्योंकि वहां सुरक्षित माहौल नहीं होता। अगर उचित सुरक्षा और सुविधाएं दी जाएं, तो महिलाएं भी इस क्षेत्र में काम कर सकती हैं।

कोले कुमार

पेट्रोल पंप कर्मचारियों को आत्मरक्षा की ट्रेनिंग दी जानी चाहिए, ताकि किसी भी विपरीत परस्थिति या हमले की स्थिति में वे खुद की रक्षा कर सकें।

सुकेश कुमार

पंप कर्मचारियों की सुरक्षा व स्वास्थ्य को लेकर एक राष्ट्रीय नीति बनानी चाहिए, जिसमें उनका वेतन, स्वास्थ्य बीमा, सुरक्षा और कार्यस्थल की परिस्थितियों पर ध्यान दिया जाए।

कामेश्वर साव

पूरे पंप का संचालन आसान नहीं होता। कर्मचारियों की समस्याओं को समझने और हल करने के लिए कंपनियों और सरकार को गंभीरता से सोचना होगा।

मंटू झा

बोले जिम्मेदार

सभी थाने की पुलिस रात में गश्त करती है। किसी प्रकार की शिकायत पर तत्काल कार्रवाई की जाती है। सुरक्षा को लेकर पुलिस संवेदनशील है। इसके अलावा 112 पर भी किसी की घटना की शिकायत की जा सकती है।

-मदन आनंद, एसपी, जमुई

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