भू-अर्जन के प्रस्ताव में मिली पांच गलतियां, विभाग ने लौटाई फाइल
केंद्रीय विश्वविद्यालय कमिश्नर के माध्यम से नहीं भेजी गई थी फाइल, विभाग हुआ नाराज

भागलपुर, वरीय संवाददाता। बिहार के पांचवें केंद्रीय विश्वविद्यालय के निर्माण में देरी होना तय है। प्रधानमंत्री की घोषणा के करीब 10 साल बाद जब योजना पर काम शुरू हुआ तो प्रशासनिक गलतियां सामने आने लगी हैं। प्रस्तावित विश्वविद्यालय के लिए 205 एकड़ 49 डिसमिल जमीन ली जाएगी। जिसमें 187 एकड़ 76 डिसमिल जमीन का अधिग्रहण किया जाना है। इसमें अंतीचक मौजा में 92.15 एकड़ और मलकपुर मौजा में 95.61 एकड़ जमीन अधिग्रहीत की जाएगी। इसको लेकर जिला प्रशासन ने एक माह पहले भू-अर्जन संबंधित प्रस्ताव भेजा था। जिसकी समीक्षा में भू-अर्जन निदेशालय ने पांच गलतियां पाईं। इसके बाद निदेशालय ने अधिसूचना के प्रकाशन की अनुमति देने से इनकार कर दिया है। राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के अपर मुख्य सचिव दीपक कुमार सिंह ने परियोजना की मूल फाइल जिला को लौटा दी है।
सरकारी जमीन किस विभाग की, इसका जिक्र ही नहीं
समीक्षा में पाया गया कि जिला से भेजे गए प्रस्ताव में परिशिष्ट-5 समाहर्ता द्वारा प्रमाणित नहीं है। अर्जित की जा रही भूमि के खतियान की प्रमाणिक प्रतियां और समाहर्ता का आदेश फलक संलग्न नहीं है। विभाग ने कहा प्राप्त प्रस्ताव में अंकित भूमि के स्वामित्व का प्रकार अनाबाद बिहार सरकार या बिहार सरकार एवं हितबद्ध व्यक्ति का नाम के कॉलम में त्रुटि है। यहां सरकारी भूमि का अर्जन किए जाने के बजाए हस्तांतरण किया जाना होना था। विभाग ने कहा कि भूमि के स्वामित्व में स्पष्ट नहीं किया गया कि अंकित जमीन का स्वामित्व किसके पास है। सरकारी जमीन है तो वह किस विभाग की है। अपर मुख्य सचिव ने कहा है कि प्राप्त प्रस्ताव प्रमंडलीय आयुक्त के माध्यम से उपलब्ध नहीं कराते हुए सीधे समाहर्ता के स्तर से ही विभाग को उपलब्ध करा दिया गया है।
कोट
विभाग की आपत्तियों का निराकरण कर संशोधित प्रस्ताव की फाइल तैयार की जा रही है। इसे उचित माध्यम से विभाग को भेजा जाएगा।
- राकेश कुमार, डीएलएओ
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