फुटबॉल को प्रोत्साहित करे प्रशासन, मैच को मैदान मिले
भागलपुर में सैंडिस कंपाउंड स्टेडियम में फुटबॉल खिलाड़ियों को संसाधनों और अवसरों की कमी का सामना करना पड़ रहा है। जिला फुटबॉल संघ के पदाधिकारी शिकायत कर रहे हैं कि प्रशासन फुटबॉल प्रतियोगिताओं को...
भागलपुर। खेल प्रतियोगिताओं का आयोजन करने के लिए भागलपुर में सिर्फ सैंडिस कंपाउण्ड स्टेडियम है। यहां विभिन्न खेल प्रतियोगिताओं का आयोजन होता है। सैंडिस कंपाउण्ड में खेल के अलावा अन्य बड़े-बड़े कार्यक्रम भी आयोजित किये जाते हैं। जिला फुटबॉल संघ भागलपुर के पदाधिकारियों का कहना है कि अन्य खेलों की तुलना में फुटबॉल से संबंधित प्रतियोगिताओं के लिए सैंडिस कंपाउण्ड स्टेडियम आवंटित नहीं किया जाता है। इसके चलते विभिन्न तरह की प्रतियोगिताओं का आयोजन नहीं हो पाता है। फुटबॉल खिलाड़ियों को प्रोत्साहित भी नहीं किया जाता है। अगर खेल के संसाधन मिले तो यहां के युवा फुटबॉल में बेहतर प्रदर्शन कर सकते हैं। भागलपुर में प्रतिभा की कमी नहीं है। जिला फुटबॉल संघ भागलपुर के सचिव फारुक आजम ने बताया कि पुराने खेल संघों में जिला फुटबॉल संघ भी शामिल है। भागलपुर में फुटबाल के खिलाड़ियों की कमी नहीं है। कई प्रतियोगिताओं में भागलपुर का प्रदर्शन बेहतर रहा है। पिछले दिनों अररिया में आयोजित सीमांचल गांधी तस्लीमुद्दीन ऑल इंडिया फुटबॉल टूर्नामेंट में भागलपुर की टीम उपविजेता रही थी। प्रतियोगिता का आयोजन चार से 19 जनवरी तक हुआ था। लेकिन संघ को सैंडिस कंपाउण्ड में फुटबॉल मैच कराने में परेशानी होती है। प्रशासन फुटबॉल खेल के साथ सौतेला व्यवहार करता है। आग्रह के बावजूद मैदान फुटबॉल मैचों के लिए आवंटित नहीं किया जाता है। जबकि मैदान में क्रिकेट मैच लगातार खेले जाते हैं। जून में जिला स्तरीय फुटबॉल मैच का आयोजन हुआ था। लेकिन वह अभी तक पूरा नहीं हो सका। करीब 30 मैच बचा हुआ है। इससे युवा खिलाड़ी हतोत्साहित होते हैं। सैंडिस के अलावा शहर में फुटबॉल मैच के लिए कोई दूसरा उपयुक्त मैदान नहीं है। यहां खेलने के अलावा खिलाड़ियों के रहने की भी व्यवस्था है। शहर के बीच में रहने के चलते खेलप्रेमी भी अच्छी संख्या में मैच देखने आ जाते हैं। किसी न किसी कार्यक्रम के नाम पर मैदान आवंटित नहीं किया जाता है। जबकि बिहार सरकार की नीति खेलों को बढ़ावा देने की है। फुटबॉल मैच के लिए प्रशासन सैंडिस कंपाउण्ड मैदान उपलब्ध कराये।
जिला फुटबॉल संघ भागलपुर के संयुक्त सचिव मनोज कुमार मंडल ने बताया कि मुख्यत: सैंडिस फुटबॉल एवं एथलेटिक्स का मैदान है। इन खेलों को प्राथमिकता मिलनी चाहिए। खिलाड़ियों के लिए यहां सुविधाएं भी उपलब्ध हैं। एक ही मैदान फुटबॉल मैच खेलने के लायक है। फुटबॉल मैच कम होने से युवाओं में इस खेल के प्रति रुचि कम होने लगती है। जिला प्रशासन को फुटबॉल खेल को बढ़ावा देने के लिए खिलाड़ियों को प्रोत्साहित करना चाहिए। प्रशासन के स्तर से फुटबॉल की प्रतियोगिताएं आयोजित करानी चाहिए। संघ के कोषाध्यक्ष डॉ. विवेक कुमार ने कहा कि उनके परिवार में कई फुटबॉल खिलाड़ी हुए। उनके दादा और पिता भी जिला फुटबॉल संघ के सचिव रह चुके हैं। लेकिन वर्तमान में जिला प्रशासन के रवैया को देखकर दुख होता है। फुटबॉल संघ को आर्थिक मदद नहीं मिलती है। आपस में खेलप्रेमी चंदा करके मैच का आयोजन करवाते हैं। जिला प्रशासन से किसी तरह की आर्थिक मदद नहीं मिलती है। फुटबॉल खेल को बढ़ावा देने के लिए सरकार को पहल करनी चाहिए। सैंडिस कंपाउण्ड स्टेडियम में जगह नहीं मिलने से खिलाड़ियों में नाराजगी है। इससे बेहतर मैदान ग्रामीण क्षेत्र के खिलाड़ियों को मिल रहा है।
जिला फुटबॉल संघ भागलपुर के सहायक सचिव मो. फैसल खान ने बताया कि भागलपुर में प्रतिभावान फुटबॉल खिलाड़ियों की कमी नहीं है। यहां के छह-सात खिलाड़ी संतोष ट्राफी में बिहार की तरफ से खेल चुके हैं। 2003 में संतोष ट्राफी मैच में उनके अलावा भागलपुर के बबलू यादव भी बिहार की टीम में शामिल थे। भागलपुर में फुटबॉल खिलाड़ियों की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं है। सभी खिलाड़ियों के पास खेलने के लिए ड्रेस आदि नहीं है। खिलाड़ियों के प्रशिक्षण की व्यवस्था नहीं है। वह 60 से अधिक बच्चों को नि:शुल्क प्रशिक्षण देते हैं। बच्चों को फुटबॉल खेलने के लिए जर्सी, पेंट-शर्ट, जूता आदि नि:शुल्क उपलब्ध कराते हैं। खेल को बढ़ावा देने के लिए सरकार को आगे आना चाहिए। खिलाड़ियों को आर्थिक मदद मिलनी चाहिए। संघ के मैदान सचिव अनूप घोष ने बताया कि खिलाड़ियों को सरकारी नौकरी में मौका मिलना चाहिए। करीब 20 साल से फुटबॉल के खिलाड़ियों को नौकरी नहीं मिली है। पूर्व में विभिन्न विभागों में नौकरी मिलती थी। नौकरी मिलने पर युवाओं में खेल के प्रति रूझान बढ़ेगा। मैच के लिए मैदान आवंटित कराने के लिए शुल्क मांगा जाता है। जिन खिलाड़ियों को जूता पहनने के लिए पैसा नहीं है, वह मैदान के लिए पैसा कहां से देंगे। पहले जिले में फुटबॉल की करीब 20 टीमें हुआ करती थीं। आज दो-तीन टीमें भी अच्छी स्थिति में नहीं हैं। जिला प्रशासन फुटबॉल खेल के प्रति जागरूकता पैदा करे।
बोले जिम्मेदार
किसी खेल के साथ भेदभाव नहीं किया जाता है। सभी खेलों को समान अवसर दिया जाता है। फुटबॉल मैच का आयोजन कई बार कराया गया है। पिछले जुलाई महीने में राज्य स्तरीय अंडर-15 बालक फुटबॉल प्रतियोगिता आयोजित करायी गयी थी। यह प्रतियोगिता 10 दिन चली थी। सितम्बर में राज्य स्तरीय विद्यालय खेल फुटबॉल प्रतियोगिता का आयोजन हुआ था। तीन से पांच सितम्बर तक जिला स्तरीय खेल प्रतियोगिता में दो दिन फुटबॉल मैच हुए थे। खिलाड़ियों को राज्य स्तर पर प्रशिक्षण भी दिया जाता है। अब तक 72 खिलाड़ियों को पोशाक दिया गया है। मैदान आवंटन नगर निगम द्वारा किया जाता है। लेकिन फुटबॉल मैच के लिए भी मैदान आवंटित किया जाता है।
जयनारायण कुमार, जिला खेल पदाधिकारी, भागलपुर
फुटबॉल खिलाड़ियों के अभ्यास के लिए जगह नहीं
जिला फुटबॉल संघ भागलपुर के सचिव फारुक आजम ने बताया कि भागलपुर में दिन पर दिन फुटबॉल खेल की हालत बदतर होती जा रही है। इसके कारण खिलाड़ियों के साथ नए बच्चों के भविष्य पर गलत प्रभाव पड़ रहा है। खेल विभाग और जिला प्रशासन को इस पर ध्यान देने की जरूरत है। सैंडिस कंपाउण्ड मैदान में बच्चों को अभ्यास के लिए भी जगह नहीं मिल पाती है। जिसके कारण उन लोगों को हवाई अड्डा मैदान में जिला फुटबॉल संघ भागलपुर की ओर से खेल का अभ्यास कराना पड़ रहा है। मेडल लाओ नौकरी पाओ की बात बिहार राज्य खेल प्राधिकरण की ओर से कही जाती है। लेकिन जब बच्चों को नियमित अभ्यास के लिए जगह और जरूरी सामान उपलब्ध नहीं हो सकेगा तो बच्चे अपनी प्रतिभा को कैसे निखार पाएंगे।
सुविधाओं के अभाव में शहरी क्षेत्र में कम होते जा रहे फुटबॉल खिलाड़ी
जिला फुटबॉल संघ भागलपुर के कोषाध्यक्ष डॉ. विवेक कुमार ने बताया कि भागलपुर के सैंडिस कंपाउंड में काफी समय से फुटबॉल का खेल होता रहा है। लेकिन कुछ वर्षों से किसी न किसी कारण से सैंडिस कंपाउंड में मैच कराने में परेशानी हो रही है। इसके कारण फुटबॉल खेल पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है। भागलपुर शहरी क्षेत्र में फुटबॉल खिलाड़ियों की संख्या कम होती जा रही है। संघ के कुछ लोगों के आपसी सहयोग के कारण बच्चे इस खेल से जुड़े हुए हैं। इस खेल का इतिहास काफी पुराना है। सरकार से आर्थिक सहयोग नहीं मिलने से खेल और खिलाड़ियों पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है। जिला लीग कराने के लिए भी संघ के लोग आपस में चंदा करते हैं।
सुविधाओं के अभाव में फुटबॉल खिलाड़ियों की कम हो रही रुचि
जिला फुटबॉल संघ भागलपुर के मैदान सचिव अनूप घोष ने बताया कि भागलपुर फुटबॉल संघ को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। जिसका नुकसान खिलाड़ियों को उठाना पड़ रहा है। सरकार एक तरफ खेल को बढ़ावा देने की बात करती है तो दूसरी तरफ भागलपुर में फुटबॉल संघ को फुटबॉल मैच कराने के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है। जिला स्तर पर आयोजित होने वाले लीग मैच किसी न किसी प्रशासनिक कारणों से अधर में लटका हुआ है। इस वजह से फुटबॉल खेल के प्रति खिलाड़ियों की रुचि शहरी क्षेत्र में कम होती जा रही है। फुटबॉल के खिलाड़ियों को संघ द्वारा मदद की जाती है। सरकार को फुटबॉल खेल को बढ़ावा देने के लिए आर्थिक मदद करनी चाहिए।
सैंडिस में फुटबॉल खिलाड़ियों को मिले प्रशिक्षण की सुविधा
बिहार फुटबॉल संघ पटना से पंजीकृत जिला फुटबाल संघ भागलपुर के कार्यालय सचिव असर आलम (अच्छू) ने बताया कि जिला फुटबाल संघ भागलपुर का इतिहास करीब सौ साल पुराना है। शुरू से भगलपुर के सैंडिस कंपाउण्ड स्टेडियम में ही फुटबॉल खेला जा रहा है। यह बिहार फुटबॉल एण्ड एथलेटिक्स एसोसिएशन का मैदान है। जहां वर्षों से फुटबॉल और एथलेटिक्स खेल का आयोजन और अभ्यास होता रहा है। पिछले दो -तीन दशकों में क्रिकेट खेल की गतिविधियां इस मैदान में शुरू हुई। आज फुटबॉल के खिलाड़ियों और संघ को खेल के आयोजन के लिए काफी संघर्ष करना पड़ रहा है। जब से स्मार्ट सिटी परियोजना भागलपुर में आयी है, तब से सैंडिस कंपाउण्ड में फुटबॉल खेल की गतिविधियां किसी न किसी बहाने से प्रभावित हो रही हैं।
फुटबॉल बहुत पुराना खेल है। शारीरिक मजबूती के साथ कम खर्च में यह खेल खेला जाना संभव है। प्रशासनिक उदासीनता के कारण भागलपुर में फुटबॉल की हालत बिगड़ती जा रही है। इसकी बेहतरी के लिए सरकार और जिला प्रशासन को ध्यान देना चाहिए।
मनोज कुमार मंडल, संयुक्त सचिव
भागलपुर में प्रतिभाओं की कोई कमी नहीं है। फुटबॉल खेल को बढ़ावा देने के लिए सरकार द्वारा आर्थिक मदद देने की जरूरत है। जिससे खिलाड़ियों को जरूरी सामान और खेल सामग्री उपलब्ध करायी जा सके। खुद फुटबॉल में बिहार की टीम का प्रतिनिधित्व किया है।
मो. फैसल खान, (कोच) सहायक सचिव
फुटबॉल खेलने और अभ्यास करने के लिए ग्राउंड की व्यवस्था नहीं है। जिसके कारण बच्चों को हवाई अड्डा आकर अभ्यास करना पड़ता है। हवाई अड्डा का गेट बंद रहता है। जिसके कारण मोटर साइकिल और साइकिल रखने में परेशनी होती है।
गोपाल कुमार सिंह, रेफरी
भागलपुर के कई खिलाड़ी राज्य और राष्ट्रीय स्तर तक अपने बेहतर खेल का प्रदर्शन करते रहते हैं। लेकिन सरकार से आर्थिक सहयोग नहीं मिलता है। जिसके कारण काफी परेशानी होती है। कोच और एसोसिएशन की मदद से खिलाड़ियों को खेल सामग्री खरीदनी पड़ती है।
कृष्णा कुमार, रेफरी
जिला प्रशासन और राज्य स्तर से खिलाड़ियों को खेल सामग्री या किसी प्रकार की आर्थिक मदद नहीं कराई जाती है। इसके कारण खिलाड़ियों को स्थानीय या बड़े स्तर पर टूर्नामेंट की तैयारी के लिए बेहतर सुविधा नहीं मिल पाती है। सरकार को खेल को बढ़ावा देने के लिए आर्थिक मदद करनी चाहिए।
आकाश कुमार, रेफरी
फुटबॉल अन्य कई खेलों की तुलना में सस्ता खेल है। इसमें ग्राउण्ड और फुटबॉल के साथ कुछ सुरक्षा सामग्री की जरूरत होती है। इसके बावजूद प्रशासनिक स्तर पर सुविधाएं उपलब्ध नहीं करायी जाती हैं। खिलाड़ियों को अभ्यास के लिए मैदान और खेल सामग्री उपलब्ध करानी चाहिए।
इजान मजिद, सदस्य
भागलपुर का चयन जब स्मार्ट सिटी में हुआ। तब बेहतर सहयोग एवं खिलाड़ियों के भविष्य को लेकर आस जगी। लेकिन कई वर्ष बीत जाने के बाद भी प्रशासन द्वारा फुटबॉल खेल और खिलाड़ियों की बेहतरी के लिए कुछ नहीं किया गया। यह खिलाड़ी और खेलप्रेमियों के लिए दुख की बात है।
प्रियव्रत कुमार, सदस्य
फुटबॉल खिलाड़ियों को सरकार और प्रशासन की ओर से जरूरी खेल किट उपलब्ध कराना चाहिए। जिससे खिलाड़ी ठीक से अभ्यास कर सकें। संसाधन के अभाव में खिलाड़ियों को अभ्यास करने में परेशानी होती है। इसका असर खेल पर भी पड़ता है।
विश्वजीत कुमार, खिलाड़ी
सरकार को समय-समय पर फुटबॉल टूर्नामेंट का आयोजन कराना चाहिए। जिससे खिलाड़ी अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन कर खुद को बेहतर बना सके। भागलपुर में अच्छे खिलाड़ियों की कमी नहीं है। अगर उन्हें संसाधन उपलब्ध कराया जाए तो राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर बेहतर प्रदर्शन कर सकते हैं।
संदीप कुमार, खिलाड़ी
राज्य स्तर की फुटबॉल प्रतियोगिता में भागलपुर के खिलाड़ियों को मौका नहीं मिल पाता है। अंडर 14 और अंडर 17 नेशनल टूर्नामेंट खेलने के बाद भी खिलाड़ियों को उचित सम्मान एवं अवसर नहीं मिल पाता है। संतोष ट्रॉफी के कैम्प में भी उन लोगों को नजरअंदाज किया जाता है।
सन्नी कुमार, खिलाड़ी
भागलपुर में बड़ी संख्या में फुटबॉल खिलाड़ी और कोच हैं। लेकिन पर्याप्त सुविधा और सरकार की ओर से सहयोग नहीं मिलने से खिलाड़ी कई बार काफी पीछे रह जाते हैं। फिलहाल कोच और जिला फुटबॉल संघ के सदस्यों की मदद से खिलाड़ी अभ्यास कर बड़ी प्रतियोगिताओं में भाग ले रहे हैं।
अदनान माजिद, खिलाड़ी
फुटबॉल खिलाड़ियों को भी सरकार को खेल कोटा से नौकरी देने की व्यवस्था करनी चाहिए। इससे युवा फुटबॉल खेल के प्रति आकर्षित होंगे। पिछले कई सालों से फुटबाल खिलाड़ियों को सरकारी नौकरी नहीं मिल रही है।
उपेन्द्र मंडल, रेफरी
समस्या
1.फ़ुटबॉल मैच कराने या खिलाड़ियों को आगे बढ़ाने के लिए सरकार द्वारा आर्थिक मदद नहीं मिलती है।
2.फुटबॉल खेलने और अभ्यास के लिए ग्राउंड की व्यवस्था नहीं है, जिसके कारण हवाई अड्डा जाकर अभ्यास करना पड़ता है।
3.भागलपुर जिला प्रशासन और राज्य स्तर से प्रोत्साहन के लिए खिलाड़ियों को खेल सामग्री तक नहीं मिलती है। इसका बुरा असर खिलाड़ियों पर पड़ता है।
4.दूसरे खेलों को बढ़ावा देने और फुटबॉल की उपेक्षा को देखते हुए युवा और छात्र फुटबॉल खेल में कम रुचि लेने लगे हैं।
5.सैंडिस कंपाउण्ड स्टेडियम में फुटबॉल मैच आयोजित करने की अनुमति नहीं मिलती है। शहरी क्षेत्र में दूसरा बेहतर मैदान नहीं है।
सुझाव
1.फुटबॉल खिलाड़ियों के भविष्य को संवारने के लिए सरकार और जिला प्रशासन पहल करे। ताकि युवाओं में इस खेल के प्रति रुचि बढ़े।
2.फुटबॉल खिलाड़ियों को सरकार और प्रशासन की ओर से जरूरी खेल किट उपलब्ध कराना चाहिए। ताकि खिलाड़ी अभ्यास कर सकें।
3.जिला प्रशासन को नियमित अभ्यास के लिए मैदान उपलब्ध कराना चाहिए। इससे बेहतर खिलाड़ी तैयार होंगे।
4.मेडल लाओ नौकरी पाओ बिहार राज्य खेल प्राधिकरण की अच्छी पहल है। लेकिन खिलाड़ियों को मैदान और सुविधाएं भी उपलब्ध करानी चाहिए।
5.भागलपुर में प्रतिभाओं की कोई कमी नहीं है। फुटबॉल खेल को बढ़ावा देने के लिए संघ और खिलाड़ियों को सरकार द्वारा आर्थिक मदद मिलनी चाहिए।
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