Lack of Resources Hindering Chess Players in Bhagalpur Call for Government Support शतरंज खिलाड़ियों को मिले सुविधा, ट्रेनिंग की हो व्यवस्था, Bhagalpur Hindi News - Hindustan
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शतरंज खिलाड़ियों को मिले सुविधा, ट्रेनिंग की हो व्यवस्था

भागलपुर में शतरंज खिलाड़ियों की कमी नहीं है, लेकिन संसाधनों की कमी के कारण उन्हें प्रशिक्षण और प्रतियोगिताओं में कठिनाई हो रही है। भागलपुर जिला शतरंज संघ के पदाधिकारियों ने सरकार से बेहतर संसाधन और...

Newswrap हिन्दुस्तान, भागलपुरSun, 25 May 2025 09:25 PM
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शतरंज खिलाड़ियों को मिले सुविधा, ट्रेनिंग की हो व्यवस्था

भागलपुर। जिले में शतरंज के खिलाड़ियों की कमी नहीं है। राष्ट्रीय स्तर के प्रतियोगिताओं में भी यहां के खिलाड़ी भाग ले चुके हैं। लेकिन संसाधनों की कमी के चलते खिलाड़ियों को जितना मौका मिलना चाहिए, उतना नहीं मिल पा रहा है। भागलपुर जिला शतरंज संघ के पदाधिकारियों का कहना है कि सरकार और जिला प्रशासन को इस खेल के प्रोत्साहन के लिए और कदम उठाने की जरूरत है। भागलपुर जिला शतरंज संघ अखिल बिहार शतरंज संघ से संबद्ध है। संघ के पदाधिकारियों की मानें तो भागलपुर जिले में करीब पांच सौ शतरंज के खिलाड़ी हैं। लेकिन जगह की कमी के चलते उन्हें बेहतर प्रशिक्षण नहीं मिल पाता है।

जिला प्रशासन को शतरंज से संबंधित संसाधन खिलाड़ियों को उपलब्ध कराना चाहिए। स्कूल स्तर से ही बच्चों को शतरंज खेलने के लिए प्रेरित करने की जरूरत है, ताकि जिले के खिलाड़ियों को देश और विदेश स्तर पर प्रतिभा दिखाने का मौका मिल सके। भागलपुर जिला शतरंज संघ के अध्यक्ष डॉ. अजय कुमार सिंह ने बताया कि शतरंज के खिलाड़ियों के पास संसाधन नहीं है। इसके चलते खिलाड़ियों को आगे बढ़ने में परेशानी हो रही है। शतरंज खिलाड़ियों की राह में कई तरह के कांटे बिखरे पड़े हैं। जिले में चेस बोर्ड पर्याप्त नहीं है। वर्तमान में 30 चेस बोर्ड हैं। कम-से-कम 100 और चेस बोर्ड की जरूरत है। जिला प्रशासन को शतरंज को बढ़ावा देने के लिए चेस बोर्ड उपलब्ध कराना चाहिए। भागलपुर जिला शतरंज संघ से करीब चार सौ खिलाड़ी जुड़े हुए हैं। खिलाड़ियों को प्रत्साहित करने के लिए संघ आपसी सहयोग से संसाधन उपलब्ध करा रहा है। लेकिन संघ के पास किसी तरह के आय का साधन नहीं है। खिलाड़ियों की मदद के लिए वित्तीय सहायता की जरूरत है। प्रशिक्षण के लिए निजी जगहों को बुक किया जाता है। खेल भवन में प्रतियोगिता कराने पर शुल्क देना पड़ता है। प्रशिक्षण और प्रतियोगिताओं के लिए जिला प्रशासन को नि:शुल्क खेल भवन उपलब्ध कराना चाहिए। जिले में शतरंज घड़ी की कमी के चलते परेशानी हो रही है। अभी 12 शतरंज घड़ी है। कम-से-कम 50 और शतरंज घड़ी होनी चाहिए। किराया पर दूसरे जिले से शतरंज घड़ी मंगानी पड़ती है। शतरंज प्रतियोगिता में जिला प्रशासन की सहभागिता जरूरी है। ताकि राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर भागलपुर जिले के खिलाड़ी अपनी पहचान बना सके। बांका जिले में बड़ी प्रतियोगिता आयोजित हो सकती है तो भागलपुर में क्यों नहीं। संसाधनों की कमी का असर खिलाड़ियों के प्रशिक्षण और खेल पर पड़ रहा है। भागलपुर जिला शतरंज संघ के संयुक्त सचिव अंकित कुमार मिश्रा ने बताया कि पिछले साल जिले के 13 खिलाड़ियों ने राष्ट्रीय स्तर पर बिहार का प्रतिनिधित्व किया था। 15 बच्चों ने अन्तर्राष्ट्रीय रेटिंग प्राप्त किया था। बिहार सरकार द्वारा चेस इन स्कूल मुहिम चलाया जा रहा है। इसमें भागलपुर जिला नहीं है। भागलपुर जिले को भी इसमें शामिल करना चाहिए। इसके तहत स्कूलों में बच्चों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है। जिला प्रशासन द्वारा कई तरह की खेल प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जाता है। इसमें शतरंज प्रतियोगिता को शामिल नहीं किया जाता है। जबकि बगल के जिले बांका में इसे शामिल किया जाता है। पिछले दो साल से भागलपुर के खिलाड़ी बेहतर प्रदर्शन कर रहे हैं। पिछले साल बिहार सरकार द्वारा चलाई गई शतरंज सपोर्ट में भागलपुर से खेलते हुए तुषार कुमार ने दूसरा स्थान प्राप्त किया था। 2024 में अखिल बिहार शतरंज संघ द्वारा बेस्ट एक्टिव जिला का अवार्ड भागलपुर को दिया गया था। इसके बावजूद वित्तीय समस्या और संसाधनों की कमी के चलते अन्तर्राष्ट्रीय प्रतियोगिता का आयोजन नहीं हो पा रहा है। भागलपुर जिला शतरंज संघ के संरक्षक डॉ. फारुक अली बताया कि शतरंज विशुद्ध भारतीय खेल है। महाभारत काल में भी इस खेल की चर्चा है। यह आमलोगों का खेल है। इसमें खर्च न के बराबर होता है। इसमें एकाग्रता होती है और विपक्षी की चाल को समझना पड़ता है। शतरंज खेल के प्रति सरकार की इच्छाशक्ति में कमी है। हाल के दिनों में कुछ प्रयास हुआ है, लेकिन वह पर्याप्त नहीं है। स्कूल स्तर पर इस खेल को बढ़ावा मिलना चाहिए। शतरंज के खिलाड़ियों को प्रशिक्षण और प्रतियोगिता के लिए एक जगह मिलनी चाहिए। देश के 13 राज्यों में स्कूली पाठ्यक्रम में शतरंज खेल को जोड़ा गया है। इससे बच्चो मानसिक रूप से मजबूत होते हैं। बच्चों में एकाग्रता बढ़ती है। बिहार में भी इस खेल को पाठ्यक्रम में शामिल करना चाहिए। सभी स्कूलों में खेल शिक्षक की बहाली होनी चाहिए। भागलपुर जिला शतरंज संघ के उपाध्यक्ष अमित कुमार झा ने कहा कि अगर खिलाड़ियों को सरकार प्रोत्साहित करे तो शतरंज में भी भागलपुर के खिलाड़ी अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा सकते हैं। जिले में बहुत अच्छे-अच्छे खिलाड़ी हैं। उन्हें प्रशिक्षण और संसाधन उपलब्ध कराने की जरूरत है। बोले जिम्मेदार शतरंज खेल के साथ किसी तरह का भेदभाव नहीं किया जाता है। शतरंज के खिलाड़ियों को जिला प्रशासन की तरफ से संसाधन उपलब्ध कराया जाता है। खेल भवन भी खिलाड़ियों को जरूरत के अनुसार उपलब्ध कराया जाता है। खेल भवन के मेंटेनेंस के लिए सरकार द्वारा शुल्क निर्धारित किया गया है। नाममात्र का शुल्क लिया जाता है। खिलाड़ियों को सभी तरह की सुविधाएं जिला प्रशासन द्वारा उपलब्ध करायी जाएंगी। संसाधन और मंगाया जा रहा है। जिला स्तर पर आयोजित खेल प्रतियोगिताओं में शतरंज को भी शामिल किया जाता है। खिलाड़ियों को किसी प्रकार की कमी नहीं होने दी जाएगी। अन्य खेलों की तरह शतरंज को भी बढ़ावा देने के लिए प्रशासन प्रयासरत है। जयनारायण, जिला खेल पदाधिकारी, भागलपुर शतरंज खिलाड़ियों को प्रशिक्षण और प्रतियोगिता के लिए जगह मिले भागलपुर जिला शतरंज संघ के अध्यक्ष डॉ. अजय कुमार सिंह ने बताया कि आर्थिक बाधाओं के कारण भागलपुर के प्रतिभावान शतरंज खिलाड़ी अपनी योग्यता और क्षमता के अनुरूप आगे नहीं बढ़ पा रहे हैं। भागलपुर में शतरंज खेल को बढ़ावा देने के लिए सबसे पहले सरकार को खिलाड़ियों की ट्रेनिंग और कार्यालय के लिए जगह उपलब्ध कराया जाना चाहिए। ताकि बिना किसी बाधा के बच्चे अभ्यास कर सके। शतरंज संघ को अपना भवन नहीं होने के कारण अभ्यास नहीं हो पाता है। शतरंज प्रतियोगिता आयोजन करने पर खेल भवन में प्रतिदिन के हिसाब से शुल्क लिया जाता है। खेल विभाग द्वारा नि:शुल्क स्थान उपलब्ध कराना चाहिए। भागलपुर जिला शतरंज संघ की स्थापना 1969 में हुई थी, लेकिन कुछ बाधाओं के कारण वर्ष 2011 में संघ निष्क्रिय हो गया। 2022 में इसे पुनर्जीवित करने के बाद कई प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जा रहा है। भागलपुर में तीन स्टेट चैम्पियनशिप, चार स्टेट टूर्नामेंट, 14 जिला स्तरीय प्रतियोगिता और छह जिला स्तरीय टूर्नामेंट का आयोजन किया गया है। एकाग्रता के साथ मानसिक रूप से मजबूत बनाता है शतरंज जिला शतरंज संघ के संरक्षक डॉ. फारुक अली ने बताया कि शतरंज भारत की विरासत से जुड़ा खेल है, जिसकी चर्चा कई पुस्तकों और कहानियों में भी देखने को मिलती है। इस खेल से एकाग्रता बढ़ती है और खासकर छात्र- छात्रा और युवाओं को मस्तिष्क शांत रखने और सामने वालों की चाल भांपने में भी काफी मदद मिलती है। शारीरिक खेल से जहां शरीर स्वस्थ होने के साथ स्फूर्ति प्रदान होता है, वहीं शतरंज मानसिक रूप से मजबूत और सक्षम बनाने के लिए सबसे बेहतर इंडोर खेल है। तमिलनाडु और केरल में शतरंज को जिस प्रकार से महत्व देकर आगे बढ़ाया गया, उसी तरह से बिहार और भागलपुर में सरकार और प्रशासनिक स्तर पर पहल कर प्रतिभावान खिलाड़ियों को आगे बढ़ाने की जरूरत है। सरकार शतरंज को पाठ्यक्रम में शामिल कर प्राथमिक विद्यालय स्तर से ही शतरंज के प्रति बच्चों को जागरूक कर जरूरी संसाधन उपलब्ध कराए। नियमित रूप से विद्यालय और महाविद्यालय स्तर पर प्रतियोगिता का आयोजन होना चाहिए। बेहतर कोचिंग और सुविधा मिलने पर युवा बनाएंगे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान जिला शतरंज संघ के सचिव अजय कुमार मिश्रा ने बताया कि शतरंज खिलाड़ियों की राह में कई तरह की बाधाएं आती रही हैं। इसके बावजूद जिला शतरंज संघ द्वारा खेल के प्रति बच्चों को जोड़ने के लिए समय-समय पर शतरंज प्रतियोगिता का आयोजन किया जाता है। भागलपुर में खिलाड़ियों की संख्या पहले से बढ़ी है। लेकिन पेशेवर प्रशिक्षक, संघ के स्थाई भवन, कार्यालय का अभाव, खेल से संबंधित सामग्रियों की कमी, खेलने की जगह और स्टॉक वॉच बोर्ड का अभाव खिलाड़ियों के विकास में बाधा बन रही है। खिलाड़ी बेहतर कोचिंग और सुविधा मिलने पर अंतरराष्ट्रीय पटल पर पहचान बना सकते हैं। खिलाड़ियों को संघ की ओर से कई तरह की सुविधाएं उपलब्ध कराई जाती हैं, लेकिन जरूरत के मुताबिक वह पर्याप्त नहीं है। बिहार सरकार और खेल विभाग को भागलपुर और बिहार के शतरंज खिलाड़ियों को आगे बढ़ाने के लिए पहल कर सुविधा और संसाधन उपलब्ध कराना चाहिए। शतरंज को बढ़ावा देने के साथ बच्चियों की सुरक्षा की व्यवस्था को जिला शतरंज संघ के उपाध्यक्ष अधिवक्ता अमित कुमार झा ने बताया कि भागलपुर जिला शतरंज संघ द्वारा शतरंज के विकास के लिए कार्य किया जा रहा है। जिले के स्कूल एवं कॉलेजों में चेस टूर्नामेंट कराया गया। जिससे जिले के खिलाडियों ने बाहर जाकर रेटिंग टूर्नामेंट में बेहतर प्रदर्शन किया। इसके बावजूद सरकार की ओर से पर्याप्त सहयोग नहीं मिल पाता है। शतरंज भारत में सबसे पुराने खेलों में से एक माना जाता है। खेल को आगे बढ़ने के लिए बच्चों को जरूरी संसाधन के साथ आर्थिक सहयोग की जरूरत है। इसके साथ ही भागलपुर या बाहर कहीं भी आयोजित होने वाली शतरंज प्रतियोगिता में बच्चियों की सुरक्षा सुनिश्चित होना आवश्यक है। ताकि अभिभावक को बच्चों की सुरक्षा की चिंता ना रहे। बिहार राज्य खेल प्राधिकरण का सहयोग अगर शतरंज के खिलाड़ियों को मिले तो निश्चित तौर पर भागलपुर के खिलाड़ी ग्रैंड मास्टर बनकर बड़े स्तर की प्रतियोगिता में बेहतर प्रदर्शन करेंगे। भागलपुर जिला शतरंज संघ के 2022 में फिर से अस्तित्व में आने के बाद से खिलाड़ियों को बेहतर सुविधा उपलब्ध कराने के लिए प्रयास किया जा रहा है। भागलपुर को बिहार में शतरंज के लिए बेस्ट जिला के अवार्ड से नवाजा जा चुका है। संघ और खिलाड़ियों को सरकार और जनप्रतिनिधियों से आर्थिक सहयोग की जरूरत है। हेमंत कुमार मिश्रा, सदस्य शतरंज को बढ़ावा देने के लिए स्कूलों में गर्मी की छुट्टी होने पर शतरंज के प्रशिक्षण और अभ्यास के लिए समर कैंप का आयोजन होना चाहिए। शतरंज मानसिक विकास वाला खेल है। भागलपुर में संघ के प्रयासों से खिलाड़ियों की संख्या बढ़ती जा रही है, लेकिन संसाधन और सुविधाओं के अभाव में सक्षम बच्चे भी आगे नहीं बढ़ पाते हैं। विश्वबंधु उपाध्याय, उपाध्यक्ष भागलपुर में शतरंज खेल और खिलाड़ियों को बढ़ावा देने के लिए काफी संभावनाएं हैं। बड़े टूर्नामेंट में हिस्सा लेकर यहां के खिलाड़ी राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता में अपनी योग्यता साबित कर सकते हैं। इसके लिए संसाधन और आर्थिक सहयोग की जरूरत है। अंकित कुमार मिश्रा, संयुक्त सचिव भागलपुर के बच्चे बाहर खेलने जाते हैं। लेकिन भागलपुर में उन्हें पर्याप्त अभ्यास करने का मौका नहीं मिल पाता है। खिलाड़ी संघ के प्रयास से आगे तो बढ़ जाते हैं, लेकिन बड़े स्तर पर आयोजित होने वाली प्रतियोगिता में अपेक्षित सफलता नहीं मिलती है। शतरंज खिलाड़ियों के लिए चेस वॉच के साथ नियमित रूप से बोर्ड प्रैक्टिस की सुविधा मिलनी चाहिए। दीपलेखा घोष, खिलाड़ी भागलपुर शतरंज संघ के साथ प्रशासनिक स्तर पर कई बार शतरंज प्रतियोगिता का आयोजन होना चाहिए। ताकि खिलाड़ियों को अधिक अवसर मिले और वह बेहतर कर आगे बढ़ सकें। पिछले कुछ वर्षों में भागलपुर में शतरंज बेहतर हुआ है, लेकिन सरकार को इस पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है। आशी रंजन, खिलाड़ी स्कूल में शतरंज को बढ़ावा देने की जरूरत है। इससे बच्चों का मानसिक विकास होगा। भागलपुर के खिलाड़ी अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर खेलने के लिए चयनित होते हैं, लेकिन पैसा और जरूरी सुविधा की कमी से टूर्नामेंट नहीं खेल पाते हैं। सरकार को प्रशासन को इस पर ध्यान देना चाहिए। कृषा सिंघानिया, खिलाड़ी भागलपुर शतरंज संघ द्वारा खिलाड़ियों को अपने स्तर से प्रशिक्षण और अभ्यास कराया जाता है। कई खिलाड़ी बेहतर खेल का प्रदर्शन कर रहे हैं। स्थायी जगह और अभ्यास के अभाव के कारण खिलाड़ियों को परेशानी होती है। प्रशिक्षण के लिए जगह की व्यवस्था होनी चाहिए। रवि शंकर प्रसाद, खिलाड़ी प्रतियोगिता के पहले संसाधनों की कमी के कारण शतरंज खिलाड़ियों को पर्याप्त अभ्यास का अवसर नहीं मिल पाता है। स्थानीय स्तर पर खिलाड़ियों को प्रशिक्षण मिलता है, लेकिन बड़े स्तर पर खेलने के लिए पर्याप्त ट्रेनिंग नहीं मिल पाती है। आर्थिक सहयोग के साथ खेल के विकास के लिए सरकारी और निजी स्तर के सभी स्कूलों को जोड़ना होगा। सुधाकांतो दास, खिलाड़ी भागलपुर में शतरंज के बेहतर खिलाड़ी तैयार करने और बड़े टूर्नामेंट में सफल होने के लिए राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर के कोच की जरूरत है। प्रैक्टिस ठीक से नहीं मिल पाने से बाहर किसी प्रतोयोगिता में यहां के खिलाड़ी पीछे रह जाते हैं। इंटरनेशनल मास्टर और ग्रैंड मास्टर से कोचिंग मिलने के साथ खिलाड़ियों को नियमित रूप से बोर्ड प्रैक्टिस मिलनी चाहिए। दीप्रो घोष, खिलाड़ी भागलपुर में शतरंज के प्रशिक्षण और प्रैक्टिस के लिए कोई स्थाई जगह उपलब्ध नहीं होने के कारण खिलाड़ियों को कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है। यहां चेस कोच, चेस क्लब और चेस टाइमर भी नहीं है, जिसके कारण खिलाड़ियों को काफी परेशानी होती है। स्कूल स्तर पर बच्चों को शतरंज के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए। अभिजीत कुमार, खिलाड़ी टूर्नामेंट आयोजित होने वाले स्थान पर खिलाड़ियों की संख्या के अनुरूप जगह कम होती है। इसके लिए शतरंज प्रतियोगिता और प्रैक्टिस के लिए भागलपुर में एक स्थाई कार्यालय, प्रशिक्षण हॉल और भवन की व्यवस्था होनी चाहिए। समय-समय पर शतरंज के लिए कैंप आयोजित होना चाहिए। छोटी जगह पर खिलाड़ियों को दिक्कत होती है। आशना संतोष, खिलाड़ी भागलपुर के शतरंज खिलाड़यों को बेहतर बनाने के लिए अंतर्राष्ट्रीय स्तर के कोच से प्रशिक्षण मिलनी चाहिए, जिससे यहां के खिलाड़ी अच्छे खिलाड़ी बनकर आगे बढ़ें। भागलपुर और बिहार में ज्यादा से ज्यादा इंटर स्टेट और नेशनल लेवल का टूर्नामेंट होना चाहिए, जिसमें शामिल होकर उन्हें बड़े बड़े खिलाड़ियों के साथ खेलने और सीखने का मौका मिले। प्रियांश ठाकुर, खिलाड़ी समस्या 1.भागलपुर में अंतरराष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी की कमी नहीं है। लेकिन कोचिंग के अभाव में खिलाड़ी आगे नहीं बढ़ पा रहे हैं। जिससे उनका मनोबल गिरने लगा है। 2.भागलपुर शतरंज संघ को सरकार या जिला प्रशासन से पर्याप्त संसाधन या आर्थिक सहयोग नहीं मिलने से शतरंज खिलाड़ी कई प्रकार की परेशानियां का सामना कर रहे हैं। 3.शतरंज भारत में सबसे पुराना खेल माना जाता है। भागलपुर में प्रतिभावान खिलाड़ियों की कमी नहीं है, लेकिन सुविधाओं के अभाव में नए और योग्य खिलाड़ियों का मोह भंग होने लगा है। 4.भागलपुर में शतरंज के प्रशिक्षण और अभ्यास के लिए कोई स्थाई जगह उपलब्ध नहीं होने के कारण खिलाड़ियों को कई तरह से परेशानियों का सामना करना पड़ता है। 5.भागलपुर जिला शतरंज संघ के पास अपना भवन या सरकार की ओर से स्थाई जगह उपलब्ध नहीं होने के कारण किराए पर टूर्नामेंट का आयोजन कराना पड़ता है। इससे आर्थिक परेशानी होती है। सुझाव 1.भागलपुर शतरंज संघ के साथ प्रशासनिक स्तर पर शतरंज टूर्नामेंट का आयोजन होना चाहिए। ताकि खिलाड़ियों को अधिक अवसर मिले और वह बेहतर कर आगे बढ़ सके। 2.भागलपुर जिला शतरंज संघ द्वारा खिलाड़ियों को बेहतर सुविधा उपलब्ध कराया जा रहा है। इसमें जनप्रतिनिधियों और प्रशासन का सहयोग मिलना चाहिए। 3.भागलपुर के शतरंज खिलाड़यों को बेहतर बनाने के लिए अंतर्राष्ट्रीय स्तर के कोच से प्रशिक्षण मिलनी चाहिए। ताकि यहां के खिलाड़ी भी आगे बढ़कर ग्रैंड मास्टर बन सकें। 4.शतरंज प्रतियोगिता और प्रैक्टिस के लिए भागलपुर में एक स्थाई कार्यालय, प्रशिक्षण हॉल और भवन की व्यवस्था होनी चाहिए। समय-समय पर शतरंज के लिए कैंप आयोजित होना चाहिए। 5.स्कूल और कॉलेजों में शतरंज को बढ़ावा देने की जरूरत है। खिलाड़ियों को सरकार एवं विद्यालय प्रबंधन का सहयोग मिले तो जरूरी सुविधा प्राप्त कर स्कूल स्तर से ही आगे बढ़ सकेंगे।

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