Mobile Shops in Jamui Struggle as Online Sales Rise बोले जमुई : ऑनलाइन खरीदारी के दौर में हमारी भी सुध ले सरकार, Bhagalpur Hindi News - Hindustan
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बोले जमुई : ऑनलाइन खरीदारी के दौर में हमारी भी सुध ले सरकार

जमुई जिले में मोबाइल दुकानों का कारोबार प्रभावित हो रहा है। इंटरनेट की बढ़ती पहुँच और ऑनलाइन खरीदारी के कारण ग्राहक कम हो रहे हैं। लगभग 2000 मोबाइल दुकानें हैं, जिनमें से कई संचालक मुनाफे में कमी की...

Newswrap हिन्दुस्तान, भागलपुरThu, 10 April 2025 12:28 AM
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बोले जमुई : ऑनलाइन खरीदारी के दौर में हमारी भी सुध ले सरकार

जमुई जिला व प्रखंड मुख्यालय से लेकर छोटे-छोटे बाजारों में मोबाइल दुकानों का संचालन हो रहा है। इंटरनेट आधारित कार्यों के बढ़ने के बाद हर चौक-चौराहे, बाजार से लेकर ग्रामीण इलाकों तक ऐसी दुकानें संचालित हो रही हैं। यहां अधिकांश मोबाइल दुकानों से इंटरनेट कैफे का काम भी होता है। अब स्थिति यह है कि इंटरनेट की पहुंच हर मोबाइल तक होने की वजह से साइबर कैफे पर कम लोग पहुंच रहे हैं। वहीं ऑनलाइन मोबाइल खरीदारी होने की वजह से भी मोबाइल दुकान पर लोग नहीं पहुंच रहे हैं। संवाद के दौरान इस कारोबार में लगे लोगों ने अपनी समस्या बताई।

02 हजार से अधिक मोबाइल दुकानें हैं जमुई में

05 हजार से अधिक लोग जुड़े हैं इस कारोबार से

05 सौ से 50 हजार तक होती है रोज की कमाई

इंटरनेट की बढ़ती उपयोगिता और ऑनलाइन कार्यों की संख्या बढ़ने की वजह से साइबर कैफे दुकानें तेजी से खुलीं। लेकिन धीरे-धीरे हर हाथ में मोबाइल पहुंचने के बाद कैफे का काम हो गया। एंड्रायड मोबाइल में इंटरनेट होने से ज्यादातर लोग छोटे स्तर के जरूरी कार्य खुद से ही निपटा लेते हैं। विभिन्न तरह के परीक्षा परिणाम जानने के लिए भी साइबर कैफे पर निर्भरता कम हो रही है। इंटरनेट आधारित काम बढ़ा लेकिन इसके साथ ही लोगों में तकनीक की समझ भी वकसित हो रही है और नतीजा साइबर कैफे संचालक काम की कमी से जूझ रहे हैं। साइबर कैफे संचालकों का कहना है कि नई संभावना भी बढ़ी है। अब जमीन के सारे काम ऑनलाइन होने और प्रिंट निकालने की मजबूरी के कारण लोग साइबर कैफे में पहुंच रहे हैं। ऐसे में साइबर कैफे संचालक भी नई चीजों को सीख रहे हैं। अब लोग मोबाइल से ही अपना आवेदन भी कर रहे हैं। इस कारण साइबर कैफे संचालक और मोबाइल दुकान संचालकों की समस्याएं बढ़ रही हैं।

ऑनलाइन खरीदारी से घटी आमदनी :

दूसरी ओर ऑनलाइन खरीदारी होने के वजह से भी मोबाइल दुकान संचालकों को समस्याएं हो रही हैं। मोबाइल दुकान संचालक विकास कुमार, अंकित कुमार, जयप्रकाश बरनवाल आदि ने बताया कि पहले किसी भी फोन में कम से कम 10 से 18 फीसदी की बचत होती थी। कभी-कभी किसी फोन में बचत इतनी ज्यादा घट जाती है कि यह पांच फीसदी से 10 फीसदी तक पहुंच जाता है। अब अधिकतर लोग ऑनलाइन मोबाइल की खरीदारी कर रहे हैं जिसके कारण मोबाइल की बिक्री दुकान से कम हो रही है। मोबाइल की बिक्री दुकान से होती है तो ढाई सौ रुपए ही एक मोबाइल पर फायदा होता है। जब ऑनलाइन मोबाइल की खरीदारी नहीं होती थी तो 10 हजार का कोई एक मोबाइल बेचते थे तो उनमें चार सौ रुपए की बचत होती थी। 20 हजार के फोन में आठ सौ से एक हजार रुपए तक की बचत होती थी लेकिन आज ऑनलाइन खरीदारी होने पर पांच फीसदी भी कमाई नहीं हो पाती है। मोबाइल दुकान संचालकों ने बताया कि अगर मोबाइल की बिक्री नहीं हो पाई तो ऐसे में मोबाइल पुराना हो जाता है और इसके कारण दुकान संचालक को ही घाटा उठाना पड़ता है। ऑनलाइन खरीदारी में ज्यादा मॉडल का विकल्प होने के कारण ग्राहक ऑनलाइन खरीदारी कर रहे हैं। हम मोबाइल दुकान में थोड़ा बहुत फायदा उनको हो रहा है जो फाइनेंस द्वारा मोबाइल खरीदारी हो रही है।

परीक्षा व अन्य आवेदनों के लिए आ रहे ग्राहक:

पहले मोबाइल दुकान में लोग रिचार्ज करने के लिए पहुंच रहे थे लेकिन अब डिजिटल पहुंच होने के कारण लोग खुद ही रिचार्ज कर रहे हैं। इन सब कारणों से भी काम सीमित हो रहा है। यह स्वरोजगार का बड़ा माध्यम था लेकिन धीरे-धीरे इसमें कमी आ रही है। साइबर कैफे में जन्म-प्रमाण पत्र सहित अन्य प्रमाण पत्र बनाने के लिए आवेदन हो रहे हैं। कंपनियों का सॉफ्टवेयर लोग इस्तेमाल करते हैं। पूर्व में दुकानदारों को इसके बदले कमीशन दिया जाता था जो अब लगभग समाप्ति की ओर है। इसके अलावा यही समस्या साइबर कैफे संचालकों को भी हो रही है। पहले लोग साइबर कैफे में आकर बिजली बिल का भुगतान करते थे, गैस का कनेक्शन लेने के लिए आवेदन करते थे लेकिन अब लोग साइबर कैफे नहीं आकर खुद अपने मोबाइल पर ही सभी कार्य कररहे हैं। जैसे-जैसे दुनिया डिजिटल के दौर में पहुंच रही है, वैसे ही मोबाइल दुकानदारों की परेशानी बढ़ती जा रही है। पहले लोग मोबाइल खरीदने या रिचार्ज कराने मोबाइल दुकानदारों के पास पहुंचते थे जिससे उन्हें लाभ होता था। अब डिजिटल जमाने में घर बैठे ही लोग ऑनलाइन खरीदारी कर रहे हैं। दुकानदारों ने कहा कि मोबाइल नंबर रिचार्ज का कार्य भी लोग घर से कर रहे हैं। कंपनियों का सॉफ्टवेयर लोग इस्तेमाल करते हैं। पूर्व में दुकानदारों को इसके बदले कमीशन दिया जाता था जो अब लगभग समाप्ति की ओर है। इसके अलावा यही समस्या साइबर कैफे संचालकों को भी हो रही है। पहले लोग साइबर कैफे में आकर बिजली बिल का भुगतान करते थे, गैस का कनेक्शन लेने के लिए आवेदन करते थे लेकिन अब लोग साइबर कैफे नहीं आकर खुद अपने मोबाइल पर ही सभी कार्य कर रहे हैं जिसके कारण साइबर कैफे संचालकों को परेशानी हो रही है।

शिकायत :

1. मोबाइल दुकान संचालकों से ही रिचार्ज करने की व्यवस्था हो ।

2. साइबर कैफे संचालकों को नहीं मिलती है कोई सुरक्षा।

3. साइबर कैफे संचालकों को बिना शर्त के न्यूनतम ब्याज दर पर लोन मिले।

4. ऑनलाइन होने वाले कार्यों के लिए दर निर्धारित नहीं होने से होता है नुकसान ।

5. पुलिस बिना किसी गलती के मोबाइल दुकानदारों को परेशान करती है और सुरक्षा का भी ध्यान नहीं रखती।

सुझाव :

1. दुकानदारों की पहुंच नई तकनीक तक आसानी से हो।

2. ऑनलाइन मोबाइल बिक्री को लेकर कुछ मापदंड निर्धारित हो।

3. सरकार द्वारा सस्ते दर पर लोन उपलब्ध कराया जाए ।

4. सरकार द्वारा जारी लिंक पर ऑनलाइन करने पर साइबर कैफे संचालकों द्वारा ही प्रमाण पत्र निर्गत हो।

5. गलत तरीके से कानूनी कार्रवाई पर रोक लगे।

सुनें हमारी बात

मोबाइल दुकानदारों द्वारा पार्ट्स लाए जाते हैं जिसमें खराबी आने के कारण उन्हें नुकसान उठाना पड़ता है। वहीं ऑनलाइन कारोबार से दुकानदारों को परेशानी होती है।

-श्रवण कुमार

साइबर कैफे संचालकों को कानूनी रूप से कोई सुरक्षा नहीं मिलती है। मामूली बातों पर भी उन्हें परेशान किया जाता है जिस पर रोक लगनी चाहिए।

-जयप्रकाश बरनवाल

अब ग्राहकों की संख्या कम हो रही है। किराए पर दुकान रखने में कोई बचत नहीं होती है। खुद की जगह होने पर परिवार का भरण-पोषण हो जाता है।

-अंकित कुमार

नया आधार कार्ड बनाने या उसमें सुधार करने के बाद निर्धारित समय पर कार्ड नहीं मिलता है। इससे ग्राहक परेशान होते हैं और उन पर भरोसा नहीं करते।

-सचिन कुमार

मोबाइल दुकान संचालकों के लिए योजना तैयार कर उन्हें काम दिया जाए। सारे बड़े काम बड़े पूंजीपति करते हैं उन्हें स्थानीय स्तर पर काम में प्राथमिकता नहीं मिलती है।

-विशाल कुमार

स्वरोजगार पर ही संकट मंडरा रहा है। प्रतिस्पर्धा के दौर में पूंजी नहीं होने के कारण दुकान संचालन करने में परेशानी होती है, सरकार को आधे दाम पर लोन देना चाहिए।

- शब्बीर खान

टेलीकॉम कंपनियां मुनाफा कमाती हैं लेकिन उन्हें लाभ कम मिलता है। उनका काम भी सिमट रहा है और कोई मदद नहीं मिल रही है।

-रवि कुमार दास

मोबाइल बिक्री करने के बाद उसमें खराबी होने पर कंपनी से सहयोग नहीं मिल पाता है। दुकानदारों को भी तकनीकी प्रशिक्षण दिया जाए ताकि वह छोटे स्तर की समस्या का समाधान कर सके।

-विकास कुमार

मोबाइल दुकान संचालकों को सरकार के स्तर से सस्ता ऋण मुहैया कराना चाहिए। इसके अलावा सब्सिडी की सुविधा दी जानी चाहिए। ताकि दुकानदारों को सहूलियत हो सके।

-अनिल रजक

ऑनलाइन मोबाइल का दाम कम दिखाया जाता है जबकि उन्हें ऊंची कीमतों पर मोबाइल खरीद कर दुकान में लाना पड़ता है। सरकार को चाहिए कि ऑनलाइन को बंद कर दे।

-सतेंद्र गुप्ता

ऑनलाइन कार्यों की संख्या बढ़ी है लेकिन आमदनी नहीं बढ़ रही है। सरकारी स्तर से उन्हें कोई सहायता नहीं मिलती है ।

-मुन्ना गुप्ता

साइबर कैफे में अब होने वाले बहुत से काम मोबाइल से होने लगे हैं। इससे ग्राहक वे सारा काम अब मोबाइल पर ही कर लेते हैं। आमदनी घट गई है। सरकार ध्यान दे।

-शैलेंद्र कुमार ठाकुर, कैफे संचालक

मोबाइल दुकानों में नए मॉडल का फोन आ जाने के बाद पुराने मॉडल का फोन कम बिकता है। डीलर भी मोबाइल फोन को रिटर्न करने में दिलचस्पी नहीं दिखाते।

-रितेश कुमार

ऑनलाइन खरीदारी से अब दुकान पर ग्राहक कम आते हैं। हमें ऑनलाइन से अधिक कीमत पर डीलर मोबाइल भेजते हैं। इससे ग्राहक दुकान पर कम आते हैं ।

- अनिल कुमार सिंह

मोबाइल दुकानों में अब पहले की तरह कमाई नहीं रही। दुकान भाड़ा, बिजली व कर्मियों का खर्च काटने के बाद काफी कम कमाई हो रही है। सरकार को इस पर ध्यान देने की जरूरत है ।

- ऋषिकांत रावत

ऑनलाइन युग में मोबाइल दुकान में बिक्री पहले से कम हो रही है दुकानों पर भीड़ नहीं पहुंच रही है और मुनाफा घट गया है।

-आलोक राज

बोले जिम्मेदार

मोबाइल दुकान व सर्विस सेक्टर के लिए लोन का प्रावधान है। इसमें आवेदन कर लाभ लिया जा सकता है। जिसमें मुख्यमंत्री उद्यमी योजना महिला उद्यमी योजना समेत कई प्रकार के योजनाएं केंद्र व राज्य सरकार द्वारा संचालित है। इस योजना का लाभ जिले के काफी लोग ले रहे हैं। उद्योग विभाग हर समय लोगों की मदद के लिए और सलाह देने के लिए तत्पर है।

-मितेश कुमार शांडिल्य, उद्योग विभाग पदाधिकारी, जमुई।

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