बोले जमुई : बंद हो गए नीरा बिक्री केंद्र, रोजगार व ऋण दिया जाए
जमुई जिले में पासी समाज की स्थिति बेहद खराब है। ताड़ी निकालने का पारंपरिक काम अब बंद हो चुका है, जिससे लोग बेरोजगार हो गए हैं। सरकार द्वारा रोजगार का कोई विकल्प नहीं मिलने से पासी समाज के लोग पलायन...
जमुई जिले में पासी समाज की स्थिति दयनीय है। पारंपरिक रूप से ताड़ी निकालने का काम करने वाला यह समाज वर्तमान में गंभीर समस्याओं का सामना कर रहा है। समय के साथ, समाज में बदलाव और विकास की प्रक्रिया ने कई पारंपरिक कार्यों को अप्रासंगिक बना दिया है और पासी समाज को इससे गंभीर रूप से प्रभावित किया है। जिले में अधिकांश नीरा सेंटर बंद पड़े हैं, जिससे यह समाज अपनी पारंपरिक आजीविका से वंचित हो रहा है। सरकार की ओर से रोजगार का कोई वैकल्पिक साधन नहीं देने के कारण पासी समाज बिहार से पलायन को मजबूर है। जो बिहार में रह रहे हैं, परेशानी की मार झेल रहे है। हिन्दुस्तान के साथ संवाद के दौरान जिले के पासी समाज के लोगों ने अपनी परेशानी बताई।
10 हजार से अधिक पासी समाज के लोग रहते हैं जमुई जिले में
05 सौ से सात सौ तक पहले हो जाती थी कमाई, अब हुए बेरोजगार
10 प्रखंड हैं जमुई जिले में, जहां रहते हैं पासी समाज के लोग
बिहार सरकार ने शराबबंदी के बाद ताड़ी पर भी प्रतिबंध लगाकर नीरा को बढ़ावा देने की पहल की थी। यह कदम खासतौर पर पासी समाज के आर्थिक उत्थान के लिए उठाया गया था, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां कर रही है। जिलेभर में स्थापित किए गए अधिकतर नीरा काउंटर अब बंद हो चुके हैं, जिससे इस योजना का असली लाभ समुदाय तक नहीं पहुंच पा रहा है। 2016 में बिहार में पूर्ण शराबबंदी लागू होने के बाद, सरकार ने ताड़ी पर भी रोक लगा दी और इसके विकल्प के रूप में खजूर के रस से बनने वाले ‘नीरा को बढ़ावा देने का निर्णय लिया। सरकार का दावा था कि यह योजना पासी समाज के लोगों को आत्मनिर्भर बनाएगी और उन्हें एक नई आर्थिक दिशा देगी, लेकिन कुछ समय तक नीरा काउंटर संचालित रहने के बाद अब अधिकतर काउंटर या तो बंद हो गए हैं या नाममात्र की बिक्री हो रही है। इस योजना के असफल होने के पीछे कई कारण हैं। पहला, बाजार में नीरा की मांग उतनी नहीं बढ़ी जितनी सरकार को उम्मीद थी। दूसरा, नीरा को संरक्षित रखने की सही व्यवस्था नहीं होने के कारण उसकी गुणवत्ता बनी नहीं रह सकी। तीसरा, वितरण और बिक्री प्रणाली में पारदर्शिता की कमी रही, जिससे पासी समाज के लोग सीधे तौर पर लाभान्वित नहीं हो पाए। अब सवाल उठता है कि सरकार इस स्थिति को सुधारने के लिए क्या कदम उठाएगी।
पारंपरिक रूप से ताड़ी निकालकर अपनी जीविका चलाने वाले पासी समाज के लोगों के सामने रोजगार के संकट है। जमुई जिले में रहने वाले पासी समाज की स्थिति आज बेहद दयनीय हो चुकी है। पासी समाज पारंपरिक रूप से ताड़ी निकालने का काम करता रहा है। यह उनके जीवनयापन का मुख्य साधन रहा है। पहले सरकार ताड़ के पेड़ों को भी उपलब्ध कराती थी और ताड़ी बेचने का उत्पाद कार्यालय से लाइसेंस भी मिलता था। पहले ताड़ी निकालने और उसे बेचने में कहीं कोई प्रतिबंध नहीं था, लेकिन बिहार में जब से शराबबंदी कानून लागू हुआ है। तब से सरकार ने इन सुविधाओं को पूरी तरह छीन लिया है। हालांकि ताड़ी के प्रति खासकर सरकार और प्रशासन में गलत अवधारणा बना हुआ है। सरकार की ओर से कोई वैकल्पिक रोजगार नहीं मिलने के कारण पासी समाज के लोगों को अब दूसरे राज्यों में पलायन करने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। जो लोग बिहार में ही रहने को मजबूर हैं वो बेरोजगारी और गरीबी की मार झेल रहे हैं। जिले से हजारों की संख्या में पासी समाज के लोग दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, महाराष्ट्र और अन्य राज्यों की ओर पलायन कर चुके हैं।
ताड़ी को शराब मान मुकदमे में फंसाने का आरोप :
बिहार में वर्ष 2016 से शराबबंदी कानून लागू है। इसका उद्देश्य समाज में शराब की लत को खत्म करना था, लेकिन इसका सबसे अधिक दुष्प्रभाव पासी समाज पर पड़ा है। ताड़ी को भी शराब के रूप में देखने की वजह से पासी समाज को लगातार पुलिस और प्रशासन के कानूनी कार्रवाई का सामना करना पड़ रहा है। समाज के लोग कहते हैं कि ताड़ी और शराब में बड़ा अंतर होता है, लेकिन कानून के तहत ताड़ी निकालने वालों को भी अपराधी माना जाने लगा है। पुलिस बिना ठोस सबूत के पासी समाज के लोगों को पकड़कर उन पर शराब से जुड़े अपराधों का आरोप लगाती है। इस वजह से समाज में डर का माहौल बन गया है और हमलोग अपने पारंपरिक व्यवसाय को छोड़ने के लिए मजबूर हो गए हैं। आज भी पासी समाज के बड़ी संख्या में लोग झूठे मुकदमों में फंसकर जेल में बंद हैं। सरकार ने नीरा को बढ़ावा दिया। लेकिन इसका भी कोई लाभ नहीं मिल रहा है। नीरा का जितना अधिक प्रचार-प्रसार होगा। उतनी ही उसकी डिमांड बढ़ेगी। इससे पासी समुदाय का उत्थान होगा और आय का स्रोत बढ़ जाएगा।
शिकायत
1. उत्पाद नीति के कारण पासी समाज को लगातार पुलिस और प्रशासन की कार्रवाई का सामना करना पड़ रहा है।
2. ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले पासी समाज के लोगों को बार-बार पुलिस की जांच-पड़ताल का सामना करना पड़ता है।
3. पासी समाज के लोग डर और असुरक्षा के माहौल में जीने को मजबूर हैं। इनके पास कोई रोजगार के भी साधन नहीं है।
4. रोजगार के अवसर खत्म होने और पुलिस के अत्याचार के चलते पासी समाज के लोग तेजी से पलायन करने को मजबूर हो रहे हैं।
5. पासी समाज के लोगों के पास न तो पर्याप्त शिक्षा है और न ही कोई नई नौकरी के लिए प्रशिक्षण है। दूसरे राज्यों में दिहाड़ी मजदूर के रूप में काम कर रहे हैं।
सुझाव
1. सरकार को पासी समाज के लोगों के लिए विशेष योजना बनाकर उनको रोजगार मुहैया कराना चाहिए। ताकि वो आर्थिक रूप से मजबूत हो सकें।
2. सिंघाड़े की खेती को बढ़ावा देने के लिए पासी समाज के लोगों को तालाब का लीज पहले की तरह होना चाहिए।
3. दूसरे प्रदेशों में पलायन कर चुके पासी समाज के लोगों को अभियान चलाकर वापस लौटाना चाहिए और उन्हें यहां रोजगार से जोड़ना चाहिए।
4. बिना किसी ठोस प्रमाण के किसी को आरोपी नहीं बनाया जाना चाहिए। ऐसे में उन्हें अनावश्यक कोर्ट-कचहरी का चक्कर नहीं लगाना पड़ेगा।
5. निर्दोष लोगों को रिहा कराने के लिए विशेष जांच समिति का सरकार या न्यायालय को गठन करना चाहिए।
हमारी भी सुनें
पहले और अब के दिनों में बहुत कुछ बदल गया है। अब ताड़ी से ज्यादा लोग नीरा को पसंद करते हैं। नीरा से बहुत तरह के मिठाइयां बनाई जा रही हैं, जो सरकार की महत्वाकांक्षी योजना में शामिल है।
-रंजीत चौधरी
बिहार सरकार नीरा को बढ़ावा देने के लिए काफी काम किया है। लेकिन वह सिर्फ कागज पर सिमट कर रह गया है। पूरे गया जिला में कहीं भी बेहतर तरीके से नीरा का स्टॉल नहीं चल पा रहा है।
राजकुमार चौधरी
पहले सिर्फ चौधरी समाज को ताड़ी बेचने का लाइसेंस मिलता था। लेकिन आज के दौर में देखिए बहुत से लोग ताड़ी बेच रहे हैं। अब सिर्फ नाम के रह गया है कि पासी समाज ही ताड़ी बेचने का काम करते हैं।
दुर्गा देवी
पासी समाज का अब उत्थान धीरे-धीरे कमते जा रहा है। गिने चुने लोगों को उत्थान हो जाने से सभी का उत्थान नहीं हो जाएगा। हमारे समाज के नेता भी आवाज नहीं उठाते हैं।
मुकेश चौधरी
पासी समाज के पास पर्याप्त पूंजी नहीं है कि कोई दूसरा व्यवसाय कर सके। अगर सरकार को लगता है कि ताड़ी शराब की श्रेणी में आता है तो पासी समुदाय के उत्थान के लिए रोजगार उपलब्ध कराए।
धर्मेद्र चौधरी
सरकार द्वारा नीरा से बनाई गई मिठाइयां को होटल व्यवसाय और बड़ी-बड़ी संस्थानों में उपलब्ध करा दे हमलोगों का व्यवसाय बढ़ जाएगा। मिठाइयों की मांग बढ़ेगी तो नीरा की मांग बढ़ना लाजमी है।
सुनील चौधरी
पहले सरकार हमलोगों को रोजगार मुहैया कराती और उसके बाद उत्पाद नीति के तहत ताड़ी को प्रतिबंधित करना चाहिए था। बिना रोजगार के हम अपने बच्चों को भरण-पोषण कैसे करेंगे।
विनोद चौधरी
बड़े पैमाने पर नीरा खरीद के लिए काउंटर खुलना चाहिए। ताकि सरकार की नीरा मुहिम का हमलोगों को लाभ मिल सके। मौजूदा समय में हमलोगों को काफी परेशानी है।
शिव चरण चौधरी
हमलोगों का यह व्यवसाय पुरखों से चल रहा है। ताड़ी बेचकर अपने परिवार को जीविकोपार्जन करते आ रहे हैं। लेकिन विगत दिनों ताड़ी बेचने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। जिससे अब परिवार को भरण पोषण करने में असमर्थ हो गए हैं। सरकार को नीरा को बढ़ावा देने की जरूरत है।
सुंदर राम
पासी समाज के लोगों को अभी परेशानी हो रहीं हैं लेकिन अगर सरकार कोई वैकल्पिक व्यवस्था कराकर हमलोग को रोजगार उपलब्ध करा दे तो परेशानी खत्म हो जाएगी। हमारे बच्चों को पढ़ने मे भी सहूलियत मिलेगी।
विकास चौधरी
ताड़ी पर प्रतिबंध लगाकर पासी समाज को बेरोजगार कर दिया है। लेकिन रोजगार उपलब्ध नहीं करने के कारण परेशानी हो रही है। सरकार कम दर पर बैंक से लोन देने की व्यवस्था करे। इससे हमलोग को दूसरा व्यवसाय करने में सहूलियत होगी।
दिलीप चौधरी
सदियों से पासी समाज का पारम्परिक पेशा रहा है ताड़, खजूर से ताड़ी उतार कर बेचना और अपने परिवार को भरण-पोषण करना। गरीब तबके के लोग ताड़ी बेचकर अपने बच्चों को पढ़ा लिखाकर योग्य बनाते हैं। ताड़ी को अब नीरा में बदल दिया गया है।
जय प्रकाश
सुबह में नीरा के खरीदारी करने के लिए स्थाई जगह बननी चाहिए। जहां नीरा हमलोग आसानी से बिक्री कर सकते थे। सरकार को भी फायदा होता और हमलोग की भी आय बढ़ती। परिवार के जीविकोपार्जन का एक नया जरिया बन जाता।
नरेश चौधरी
हमलोगों के घरों के अधिकांश बच्चे आज भी स्कूल तक नहीं पहुंच पाते हैं। मुहिम चलाकर बच्चों का स्कूल में नामांकन होना चाहिए। ताकि वो शिक्षित बन सकें।
मो इलियाश, पूर्व सरपंच मिर्जागंज
वर्तमान में हमलोग अलग-अलग दूसरा रोजगार कर रहे हैं। जिससे बच्चों की पढ़ाई से लेकर भरण पोषण तक कर रहे हैं। लेकिन विकट परिस्थिति के लिए ज्यादा पैसा जमा नहीं हो पाता है।
नगीना चौधरी
बाजार में नीरा की मांग उतनी नहीं है, जितनी प्रशासन को उम्मीद थी। नीरा काउंटर लगभग सभी जगह पर बंद हो चुके। इसे पुन: प्रभावी तरीके से प्रशासन को खुलवाना चाहिए।
उमेश साव
बोले जिम्मेदार
सरकार की योजनाओं का लाभ सभी वर्ग के लोगों को मिल रहा है। सरकारी योजना का लाभ लेने के लिए ऑनलाइन आवेदन करना पड़ता है। जिसमें मुख्यमंत्री उद्यमी योजना महिला उद्यमी योजना समेत कई प्रकार के योजनाएं केंद्र व राज्य सरकार के द्वारा संचालित है। इस योजना का लाभ जिले के काफी लोग ले रहे हैं। पासी समाज के युवा इनका लाभ उठा सकते हैं। उद्योग विभाग हर समय लोगों की मदद के लिए वह सलाह देने के लिए तत्पर है।
मितेश कुमार शांडिल्य, उद्योग विभाग पदाधिकारी, जमुई।
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