बोले सहरसा : पुनर्वास में जरूरतमंदों को नए सिरे से जमीन का हो आवंटन
महिषी उत्तरी पंचायत में 150 से अधिक परिवार पुनर्वास की जमीन पर रह रहे हैं, लेकिन जमीन का रकबा कम हो गया है। परिवारों की संख्या में वृद्धि के कारण जमीन का बंटवारा हो रहा है, जिससे लोग परेशान हैं।...
महिषी उत्तरी पंचायत में तीन जगहों पर पुनर्वास की जमीन है, जिसमें करीब 150 परिवार घर बनाकर रह रहे हैं। वर्षों पूर्व पूर्वजों को जमीन दी गई थी। अब पूर्वजों द्वारा पुनर्वास में बसने के बाद उनके बाल-बच्चों की संख्या तो बढ़ती चली गई, लेकिन जमीन यथावत बनी हुई है, जिससे लोगों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। किसी ने जमीन के कागजात पर ध्यान नहीं दिया। अब जमीन का रकबा कम पड़ने लगा है। आमदनी कम होने के कारण दूसरी जगह बसना भी मुश्किल है। ऐसे में सरकार व प्रशासन से ही उम्मीद बची है। हिन्दुस्तान संवाद में पुनर्वास में रहने वाले लोगों ने अपना दर्द बयां करते नये सिरे से जमीन आवंटन की मांग की।
19 सौ 60 ई. में कोसी तटबंध के भीतर बसे लोगों को किया गया था पुनर्वासित
01 सौ 50 से अधिक परिवार महिषी के पुनर्वास में घर बनाकर रहते हैं
03 जगहों पर महिषी प्रखंड क्षेत्र में पुनर्वास विभाग की है जमीन
वर्ष 1954 में कोसी नदी के पूर्वी व पश्चिमी तटबंध बनाकर इसे नियंत्रित करने की कोशिश की गई । इसे लेकर बांध निर्माण के दौरान दोनों बांधों के बीच में बसे दर्जनों गांवों के परिवारों को नदी से बाहर बसाने की पहल हुई। कोसी पुनर्वास की स्थापना तत्कालीन सरकार द्वारा की गई थी। 1960 ई. में कोसी पूर्वी तटबंध के बाहर में सरकार द्वारा जमीन अधिगृहीत कर दर्जनों पुनर्वास गांव बनाये गए और कोसी नदी के भीतर बसे गांव के लोगों को तत्काल बसावट के आधार पर जमीन मुहैया कराई गई थी। कोसी नदी के भीतर बसे परिवार जितनी जमीन पर घर बनाकर रह रहे थे उसी अनुपात में तटबंध के बाहर पुनर्वास विभाग द्वारा जमीन निर्धारित की गई और पुनर्वास गांव बनाकर उसमें जमीन आवंटित किया गया था। सरकार द्वारा कोसी पुनर्वास गांव में नदी से विस्थापित परिवारों को बसावट के लिए गांव, सड़क सहित विद्यालय व अन्य सरकारी संस्थाओं के लिए भूखंड आवंटित किया गया था। उस समय बाढ़ की विभीषिका से त्रस्त कई परिवार अपने आवंटित जमीन पर आ गए और घर आंगन बनाकर रहने लगे। बाद में अन्य कुछ लोग जिन्हें जमीन आवंटित हुई थी, कोसी के बाढ़ से परेशान होकर बाद में घर बनाकर पुनर्वास में पुनर्वासित होते रहे। आज भी कई आवंटित जमीन खाली पड़ी हुई है। पुनर्वासित हुए लोगों ने बताया कि हमारे पूर्वजों ने हमें बताया था कि पुनर्वासित करने के समय सरकार द्वारा कई तरह की सुविधाएं देने की बात कही गई थी, जो अबतक नहीं मिलीं। वैसे लोगों ने दिए जाने वाली सुविधाओं के बारे में कोई स्पष्ट जानकारी नहीं दी। फिलहाल महिषी उत्तरी पंचायत क्षेत्र में तीन पुनर्वास टोले हैं, जिसमें महिषी उत्तरबारी भाग, महिषी टीला भाग एवं महिषी जामुनबाड़ी शामिल हैं।
वर्षों पूर्व विभाग ने आवंटित की थी लोगों को जमीन
वर्षों पर्व विभाग द्वारा जमीन का आवंटन किया गया था। उस समय परिवार छोटा था। समय बीतने के साथ परिवार में सदस्यों की संख्या में लगातार वृद्धि होती गई। परिवार बढ़ने से आवंटित जमीन का बंटवारा होने से प्रति परिवार रकबा कम होता गया, जिससे लोगों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। इतना ही नहीं जिन जमीनों पर लोग नहीं बसे वह जमीन खाली रह गई थी, जिसपर कतिपय कारणों से कई लोग परिवार सहित आकर बस गए। अब इनकी समस्या ये है कि इनके नाम से जमीन का आवंटन नहीं रहने से इन्हें हमेशा विभाग का डर बना रहता है। वैसे इन सभी पुनर्वास टोलों में कई पक्का तो कई लोग कच्चा घर बनाकर यहां रह रहे हैं। लीज व डाक पर कृषकों को खेती करने के लिए आवंटित की जाती है।
शिकायत
1. पूर्वजों के नाम से आवंटित भूखंड का अभिलेख सभी को उपलब्ध नहीं है।
2. सदस्यों के अलग-अलग हिस्सों में बसने से बढ़ रही है परेशानी।
3. बस रहे लोगों में कई को नहीं है पुनर्वास के आवंटन का कागजात।
4. महिषी टीला भाग में बरसात के समय होता है जलजमाव।
सुझाव
1. जलजमाव वाले पुनर्वास के भूखंड में प्रशासनिक स्तर पर मिट्टी भराई जाए।
2. बसे हुए भूखंड का नये सिरे से जमीन का आवंटन किया जाए।
3. पुनर्वास टोलों की समस्याओं का स्थानीय स्तर पर हो निबटारा।
4. सरकारी स्कूल व आंगनबाड़ी केंद्र चिह्नित करने की है जरूरत।
हमारी भी सुनें
बसावट के आधार पर बसे परिवारों को पुनर्वास पदाधिकारी द्वारा पुनः जमीन का आवंटन किया जाए।
भगवान झा
पुनर्वास की जमीन की समस्या के लिए लोगों को सुपौल कार्यालय का चक्कर काटना पड़ता है। इसका निदान हो।
अमरेंद्र चौधरी
शिविर लगाकर पुनर्वासित लोगों की समस्या का निवारण हो। पुनर्वास में मिलने वाली सुविधा का विशेष ध्यान दें।
सूरज झा
पुनर्वास की जमीन की मापी करने को लेकर सरकारी स्तर से अमीन उपलब्ध करानी चाहिए जिससे उन्हें भाग दौड़ ना करनी पड़े।
प्रकाश नारायण चौधरी
पुनर्वास की जमीन पर अवैध कब्जा कर लिया गया है इसे हटाकर पुनर्वास को अतिक्रमण मुक्त करना चाहिए।
पवन चौधरी
पुनर्वास टोल की सड़कों को चिन्हित कर उसके निर्माण कार्य होने चाहिए जिससे लोगों को आवाजाही की समस्या ना हो।
गोपाल चौधरी
पुनर्वास में रहने वालों को आवाजाही के लिए सड़कों को दुरुस्त किया जाए। वहीं अन्य सुविधा का भी बहाल किया जाए।
शंकर चौधरी
कोसी पुनर्वास में रह रहे लोगों का नए सिरे से सर्वेक्षण करने के बाद वहां रह रहे लोगों को विभाग द्वारा जमीन का आवंटन किया जाए।
कैलाश तांती
स्थानीय स्तर पर पुनर्वास टोला के विवादों का निदान किया जाए जिससे टोला में रहने वालों के बीच शांति व्यवस्था बनी रहे।
सतन झा
जमीन विवाद निबटारा में तत्काल प्रभाव से कार्रवाई करने की जरूरत है वरना लोगों को परेशानी हो सकती है।
दिलीप चौधरी
पुनर्वास में बस रहे लोगों की जांच के बाद नए सिरे से जमीन आवंटन किया जाए। जिससे आवास की समस्या खत्म हो।
राजेंद्र तांती
पुनर्वास टोलों के सौंदर्यीकरण की अलग से व्यवस्था हो जिसमें बिजली सामुदायिक शौचालय व पार्किंग की व्यवस्था हो।
अमित कुमार
जमीन की समस्या के निपटारे में स्थानीय स्तर पर कार्रवाई करने की जरूरत है ताकि लोगों बीच वैमनस्यता नहीं रहे ।
प्रकाश झा
कई पीढ़ियों से रह रहे परिवार की समस्या को ध्यान में लेकर उनके रहने के लिए समुचित व्यवस्था प्रशासन करे।
विमल झा
आवंटन के बावजूद खाली पड़ी जमीनों को नए सिरे से आवंटन करना चाहिए। जिससे विस्थापितों को सुविधा मिले।
नितेश कुमार
पुनर्वासित परिवार के लोगों को सरकारी प्रावधान के अनुसार सभी सुविधाएं मुहैया कराई जाएं। जिससे परेशानी नहीं हो।
पीयूष रंजन
बोले जिम्मेदार
महिषी उत्तरी पंचायत के तीनों पुनर्वास टोलों में रह रही हमारी जनता की समस्या मेरी समस्या है। इसके निदान के लिए सम्बन्धित विभाग से पत्र के माध्यम एवं स्वयं भी मिलकर बातचीत करूंगी और उनकी समस्याओं का स्थायी समाधान कर उन्हें समस्या मुक्त करना मेरी प्राथमिकता है।
-सोनी कुमारी, मुखिया महिषी उत्तरी
पुनर्वास से जुड़ी किसी तरह की समस्या की जानकारी उन्हें लिखित या मौखिक रूप से अबतक नहीं मिली है। यदि इससे सम्बन्धित किसी भी तरह की समस्या को लेकर उनसे मिलेंगे, तो सम्बन्धित विभाग से पत्राचार कर जानकारी हासिल करूंगा और समस्या के निदान के लिए प्रयास करूंगा।
- अनिल कुमार, बीडीओ, महिषी
बोले सहरसा फॉलोअप
क्षतिग्रस्त तटबंध निर्माण लेकर हस्ताक्षर अभियान शुरू
नवहट्टा, एक संवाददाता। बोले सहरसा में पुनर्वास के लोगों की आवाज उठाई गई। अब लोगों ने कोसी के पुराने तटबंध पर नये तटबंध बनाने की मांग को लेकर आवाज उठाई है। पुनर्वास के लोगों ने हस्ताक्षर अभियान शुरू किया है। केदली पंचायत मुखिया प्रतिनिधि दिग्विजय यादव के नेतृत्व में शनिवार को असैय पुनर्वास में पुराने तटबंध जोड़ने को लेकर स्थानीय लोगों संग हस्ताक्षर अभियान चलाया गया। ठको शर्मा, दिनेश मुखिया, सुखाय मुखिया, सत्य नारायण मुखिया, बालेश्वर मुखिया, प्रयाग मुखिया, इंदल यादव, फुलेश्वर शर्मा सहित दर्जनों पुनर्वासित गांवों में बसे लोगों द्वारा क्षतिग्रस्त हो चुके कोसी पूर्वी तटबंध को जोड़ने के लिए सरकार से गुहार लगाते हुए हस्ताक्षर अभियान में शामिल हुए। वर्ष 1984 में कोसी पूर्वी तटबंध के टूटने से नदी की जद में आ चुके कोसी पुनर्वास के असैय पुनर्वास व पहाड़पुर पुनर्वास केदली पुनर्वास व त्रिखुटी पुनर्वास में बसे हजारों परिवार बीते 40 वर्षों से बाढ़ व कटाव से परेशान हो रहे हैं। वर्ष 1984 में तटबंध टूटने के बाद नये सिरे से बनाई गई कोसी पूर्वी तटबंध के भीतर पुनर्वास गांव को छोड़ देने से लगातार विस्थापित का जीवन जी रहे हजारों परिवारों को सरकार द्वारा कोई राहत नहीं मिल पा रहा है। 40 वर्षों से परेशान परिवारों का सुध लेने को न तो कोई प्रशासन ही पहुंच रहा है और न कोई जनप्रतिनिधि ही सुध ले रहे हैं।
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