बोले पूर्णिया : गर्मी से सूख रहे लोगों के हलक, चौक-चौराहों पर बनाएं प्याऊ
पूर्णिया में समय से पहले गर्मी बढ़ गई है, लेकिन चौक-चौराहों पर पीने के पानी की व्यवस्था नहीं है। 50,000 लोग रोजाना इन स्थानों पर आते हैं और पानी की कमी से परेशान हैं। नगर निगम और जिला प्रशासन की...
समय से पहले गर्मी बढ़ गई है। मगर डिहाइड्रेशन से बचने के लिए चौक चौराहा पर पेयजल की सुविधा नहीं है। सुविधा संपन्न लोग तो बोतल का पानी पी लेते हैं लेकिन आमलोग प्यासे रह जाते हैं। एक सप्ताह से पूर्णिया शहर में चौक-चौराहे पर पानी के लिए लोग बिलबिला रहे हैं। खोजने पर कहीं भी प्याऊ नहीं मिलता है। मालूम हो कि पूर्णिया शहर के कम से कम 20 चौक-चौराहों पर करीब 50000 लोगों का रोजाना आवागमन होता है। अकेले आर एन शाह चौक पर 5000 से 10000 लोगों का आना-जाना होता है। पानी नहीं मिलता तो मंदिर के चापाकल पर भीड़ लगाते हैं। रोड किनारे सरकारी चापाकल अक्सर खराब ही रहता है।
20 चौक-चौराहों पर प्याऊ की उठ रही मांग
50 हजार लोगों का रोज होता है आना जाना
46 वार्ड के शहर में कहीं नहीं बना प्याऊ
12 से अधिक दफ्तरों में भी पेयजल नसीब नहीं
शहर के कम से कम 20 चौक चौराहा पर पीने के पानी के लिए लोग तरस रहे हैं। जैसे ही सुबह शुरू होती है तीखी धूप और भीषण गर्मी के कारण लोगों के हलक सूखने लगते हैं। घर से बाहर जाने अथवा मार्केटिंग के लिए निकलने वाले के लिए पानी की व्यवस्था नहीं होने पर काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। चौक चौराहा पर कई लोगों ने बताया कि अब तक पानी की व्यवस्था हो जानी चाहिए थी लेकिन इस तरफ ना तो नगर निगम का ध्यान है और ना ही किसी जनप्रतिनिधि का। जिला प्रशासन भी इस मामले को लेकर मौन है। स्वयंसेवी संस्था भी उदासीन है। हालांकि पिछले साल कई स्वयंसेवी संस्थाओं ने अपने-अपने क्षेत्र में पेयजल के लिए प्याऊ की व्यवस्था की थी। नगर निगम ने भी कम से कम 20 जगह पर ठंडा पेयजल और तीन जगह वाटर एटीएम की व्यवस्था किया था। आम लोगों को इससे बड़ी राहत मिली थी। कई लोगों ने बताया कि सिर्फ पेयजल की ही जरूरत नहीं बल्कि चौक चौराहा पर यूरिनल और शौचालय की भी निहायत जरूरत महसूस की जा रही है। नगर निगम प्रशासन इस मामले में उदासीन दिख रहा है। एक स्थानीय नागरिक ने बताया कि शहर का सबसे बड़ा और महत्वपूर्ण चौक आर एन शाह चौक पर सबसे ज्यादा भीड़ होती है। इसके बाद लाइन बाजार के अस्पताल चौक और लाइन बाजार चौक पर काफी ज्यादा भीड़ होती है जहां तुरंत पेयजल की व्यवस्था की दरकार महसूस की जा रही है। कलेक्ट्रेट परिसर और कोर्ट परिसर में भी शुद्ध पेयजल की व्यवस्था नहीं होने के कारण वहां भी लोगों को काफी परेशानी होती है। कहा जाता है कि सब लोग तो डब्बा बंद पानी पी लेते हैं लेकिन हम लोगों को खुला घड़ा में भी पानी नहीं मिलता। सबसे खराब हालत तो बस स्टैंड की है जहां प्याऊ की बात तो दूर हैंड पंप भी नहीं है। कई लोगों ने अपना दर्द सुनाते हुए कहा कि क्या प्यासे लोगों के लिए पानी की व्यवस्था करने वाला कोई नहीं है?
यहां है प्याऊ की खास दरकार
1. आर एन शाह चौक
2. पॉलिटेक्निक चौक
3. बस स्टैंड
4. टैक्सी स्टैंड
5. फोर्ड कंपनी चौक
6. गिरजा चौक
7. मधुबनी चौक
8. पंचमुखी मंदिर
9. आस्था मंदिर
10. लाइन बाजार चौक
11. सदर अस्पताल गेट
12. बिहार टॉकीज चौक
13. विश्वेश्वरैया चौक
14. रामबाग चौक
15. तपेश्वर मार्केट
16. केपी मार्केट
17. रजनी चौक
18. खीरु चौक
शिकायत :
1. चौक-चौराहे पर पीने के पानी की व्यवस्था नहीं है।
2. नगर निगम की जवाबदेही है पर अभी तक कुछ नहीं किया।
3. वाटर एटीएम की भी स्थिति अच्छी नहीं है।
4. चौक-चौराहा पर नल-जल की व्यवस्था नहीं है।
5. स्कूल से लौटने वाले बच्चों को भी पानी की दरकार है।
सुझाव :
1. हर साल की भांति नगर निगम को वाटर एटीएम चालू करना चाहिए।
2. हर साल की भांति नगर निगम को जगह-जगह पर प्याऊ देना चाहिए।
3. मुख्य चौराहे पर वाटर टैंकर लगना चाहिए।
4. अपने-अपने वार्ड में वार्ड आयुक्त को पानी की व्यवस्था करनी चाहिए।
5. कलेक्ट्रेट और कचहरी में भी लोगों के लिए प्याऊ की हो व्यवस्था।
हमारी भी सुनें :
1. आरएनसाह चौक पर शुद्ध पेयजल की व्यवस्था नहीं होने से राहगीरों को काफी दिक्कत का सामना करना पड़ता है। लोगों को प्यास बुझाने के लिए डब्बावाला पानी खरीदना पड़ता है।
चंदू मंडल
2. तपती धूप में विभिन्न चौक-चौराहों पर शुद्ध पेयजल की व्यवस्था नहीं होने से लोगों को प्यास बुझाने में काफी परेशानी होती है। प्यास बुझाने के लिए इधर-उधर भटकना पड़ता है।
विश्वनाथ
3. आग उगलती गर्मी में पानी पीने के लिए हर हमेशा मन करता है। लोगों की आवाजाही करने की स्थान पर शुद्ध पेयजल की व्यवस्था होनी चाहिए। या तो सुराही हो या फिर ट्यूबवेल मिले।
सतार आलम
4. आरएनसाह चौक पर हर हमेशा लोगों का जमावड़ा रहता है। ऐसे में प्यास लगने पर लोगों को काफी दिक्कत होती है। रुपए खर्च कर शुद्ध पेयजल पीना पड़ता है।
राजकिशोर सिंह
5. तपती धूप में पानी पीने का मन अधिक करता रहता है। लेकिन आरएनसाह चौक पर शुद्ध पेयजल उपलब्ध नहीं होने से लोगों को प्यासा ही रहने को मजबूर होना पड़ता है।
गुडडु कुमार
6. आग उगलती गर्मी में शुद्ध पेयजल ही राहत देती है। आरएनसाह चौक पर पेड़ के पास दर्जनों लोग खड़े रहते हैं।पानी उपलब्ध नहीं होने से लोगों को पानी पीने के लिए काफी भटकना पड़ता है।
छोटू कुमार
7. आरएन साह चौक काफी व्यस्त चौराहा होने के बाद भी शुद्ध पेयजल उपलब्ध नहीं होने से लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ता है। पानी की व्यवस्था होनी चाहिए।
मुकेश कुमार
8. आरएन साह चौक पर उतरकर लोगों को भट्टा बाजार एवं कचहरी जाना होता है। आरएनसाह चौक पर पानी पीने की इच्छा होने के बाद भी जल्दी पानी नसीब नहीं हो पाता है।
नारायण मंडल
9. ठंडा पानी की व्यवस्था करने से लोगों को भीषण गर्मी से राहत मिलेगी। तपती धूप से राहत मिलने के लिए एक गिलास पानी पीने के लिए लोग तरस जाते हैं।
मनोज कुमार साह
10. आरएन साह चौक पर पुलिस चौकी होने के बाद भी शुद्ध पेयजल की व्यवस्था नहीं होने से लोगों में मायूसी हैं। शुद्ध पेयजल की व्यवस्था तुरंत करने की मांग जायज है।
शंकर
11. आरएन साह चौक पर पिछले साल घड़ा में शुद्ध पेयजल की व्यवस्था की गई थी। इस साल गर्मी आ जाने के बाद भी अब तक शुद्ध पेयजल की व्यवस्था नहीं होने से लोगों में मायूसी व्याप्त है।
मो जसमीन
12. आरएनसाह चौक पर लोगों की जमघट हर हमेशा रहने के बाद भी शुद्ध पेयजल की व्यवस्था नहीं होने से लोगों को निराशा है। घड़ा वाले शुद्ध पेयजल की व्यवस्था होनी चाहिए।
शिवेन्द्र कुमार सिंह
13. आरएन साह चौक पर प्याऊ की व्यवस्था नहीं होने से लोगों को काफी दिक्कत का सामना करना पड़ता है। आसपास रहने वाले लोगों को भी शुद्ध पेयजल के लिए भटकना पड़ता है।
शंकर साह
14. आरएन साह चौक पर लोगों को आवाजाही लगी रहती है। पेड़ के समीप रहकर लोग राहत महसूस करते हैं। प्यास लगने पर लोगों को शुद्ध पेयजल नहीं मिलता है।
सुमन झा
बोले जिम्मेदार :
1. जल्द ही शहर की 20 जगहों पर घर वाले प्याऊ की व्यवस्था की जाएगी। शहर के किसी भी व्यक्ति अथवा आगंतुक को पानी की असुविधा नहीं होने दी जाएगी। तीन जगह वाटर एटीएम पहले से लगे हुए हैं, जो खराब हैं। उसे भी तुरंत ठीक करवाया जाएगा।
-कुमार मंगलम, नगर आयुक्त पूर्णिया
2. पूरे विधानसभा क्षेत्र में शहर से लेकर गांव तक प्याऊ की व्यवस्था करवाई जाएगी। इसके लिए संबंधित एजेंसी से बात की जा रही है। शहर में नगर निगम से इसके लिए जगह चिह्नित कर दिया जाएगा। इसकी व्यवस्था जल्द ही करवाई जाएगी।
-विजय खेमका, विधायक, पूर्णिया सदर
मेंटेनेंस के अभाव में सूखे सरकारी चापाकल
पूर्णिया। पूर्णिया को अंग्रेजों के जमाने से ही मिनी दार्जलिंग का खिताब मिला हुआ है। मगर हाल के कुछ वर्षों में बेताहाशा गर्मी के चलते इस खिताब पर सवालिया निशान लग गया है। इस साल को गर्मी ने हद ही कर दी। मार्च में ही आसमान से आग बरस रहे हैं। अप्रैल आते लोगों की हालत पस्त हो गयी। मई और जून की चिंता से ही लोग परेशान हैं। हालिया के दिनों में शहर में विकास कार्यों के चलते हरियाली भी खत्म हुई। कुछ लोग गर्मी के लिए पौधे की कटाई को भी जिम्मेदार मान रहे हैं। बहरहाल, गर्मी से लोग परेशान हैं। खास बात यह है कि घर से बाहर निकलते ही लोगों के हलक सूख रहे हैं। मगर व्यवस्था नदारत है। सरकारी दफ्तरों में भी पेयजल नसीब नहीं। कलेक्ट्रेट से लेकर कचहरी और नगर निगम तथा जिला परिषद में आम जनों के लिए पीने के पानी की व्यवस्था नहीं रहने के कारण भीषण गर्मी में लोग परेशान हो रहे हैं। कलेक्ट्रेट में तो रोजाना हजारों लोग आते हैं उनके लिए ना तो बैठने की व्यवस्था है और ना ही पानी पीने के लिए शुद्ध पेयजल तथा यूरिनल तक की व्यवस्था नहीं है। ऐसे में आम लोगों को काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। कलेक्ट्रेट के अंदर रजिस्ट्री ऑफिस में भारी संख्या में लोगों का जमावड़ा होता है। वहां भी प्याऊ की व्यवस्था नहीं है। बड़ी संख्या में लोग कचहरी परिसर भी आते हैं वहां भी लोगों को प्यास से व्याकुल होते देखा जा रहा है। एक समय था जब खुद सरकार ने सरकारी दफ्तरों में आगंतुकों के लिए पेयजल और बैठने की व्यवस्था का फरमान जारी किया था। कुछ दिनों तक यह चला भी लेकिन बाद के दिनों में यह व्यवस्था समाप्त हो गई। कलेक्ट्रेट परिसर में पेयजल के नाम पर सिर्फ एक ट्यूबवेल है, वह भी अक्सर खराब ही रहता है। इतना ही नहीं हड़ताली चौक के नाम से चर्चित थाना चौक पर भी पानी की व्यवस्था नहीं है जिसके कारण जब किसी तरह के आंदोलन अथवा धरना प्रदर्शन होता है तो पानी के लिए लोग तरस जाते हैं। कॉलेज चौक और कॉलेज परिसर का भी वही हाल है। उधर डीआरसीसी चौक पर भी प्याऊ की दरकार है, क्योंकि बड़ी संख्या में वहां लोग आते जाते हैं। पॉलिटेक्निक चौक पर लोगों का जमावड़ा काफी ज्यादा होता है क्योंकि वहां मार्केट भी है और बगल में पॉलिटेक्निक कॉलेज और इंजीनियरिंग कॉलेज भी है। वहां भी पानी की व्यवस्था नहीं है। अस्पताल में भी चार वाटर कूलर लगे हैं। फिर भी मरीज व उनके परिजनों की प्यास नहीं बुझ रही है। शहर के आधे दर्जन से अधिक से अधिक स्थानों पर मजदूर मंडी लगती है जहां बड़ी संख्या में रोज सुबह-सुबह मजदूर जमा होते हैं। मजदूर मंडी में ना तो शेड है और ना ही बैठने की जगह। धूप में मजदूर कई घंटे तक खड़े रहते हैं। गर्मी के कारण उन्हें प्यास लगती है, तो वे लोग विलखने लगते हैं। इन लोगों को प्याऊ की बात तो दूर ट्यूबवेल का पानी भी नसीब नहीं है। बस अड्डा एवं रेलवे स्टेशन पर भी पेयजल की व्यवस्था बदतर ही है। सरकारी स्कूलों से लेकर आंगनबाड़ी केंद्रों की कहानी भी कुछ ऐसी ही है। स्कूलों में कहीं ट्यूबवेल खराब है तो कहीं पानी खराब। इसी तरह शहर में लगे दर्जनों ट्यूबवेल भी मेंटेनेंस के अभाव में खुद प्यासे हैं।
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