शाह के दौरे से जोश में बीजेपी, अब पीएम मोदी की रैली पर फोकस; निशाने पर लालू एंड कंपनी
अमित शाह के दौरे के बाद अब एक बार फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बिहार दौरे पर आ रहे हैं। पीएम मोदी की 24 अप्रैल को मधुबनी की यात्रा प्रस्तावित है। इस दौरान वो पंचायती राज दिवस पर देश भर के पंचायती राज प्रतिनिधियों को संबोधित करेंगे।

बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर बीजेपी कितनी गंभीर है, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि दो दिन के बिहार दौरे पर आए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह
ने कई बैठकें की, गोपालगंज में रैली को संबोधित किया। बीजेपी नेता के साथ अलग बैठक की। इसके अलावा एनडीए के घटक दलों के साथ भी चुनाव को लेकर मंथन किया। जिसके बाद से बीजेपी के नेताओं और कार्यकर्ताओं का जोश हाई है। भाजपा के वरिष्ठ नेता ने बताया कि पीएम मोदी और नीतीश कुमार के नेतृत्व में किए गए विकास कार्यों को लोगों के बीच तक पहुंचना है। साथ ही 2005 से पहले राजद के शासनकाल के 'भयावह दिनों' को उजागर करना है।
बीजेपी के एक नेता बताया कि अमित शाह के दौरे के बाद अब एक बार फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बिहार दौरे पर आ रहे हैं। पीएम मोदी की 24 अप्रैल को मधुबनी की यात्रा प्रस्तावित है। इस दौरान वो पंचायती राज दिवस पर देश भर के पंचायती राज प्रतिनिधियों को संबोधित करेंगे। इसके अलावा पटना सहित विकास परियोजनाओं का उद्घाटन करेंगे। हवाई अड्डे के नए टर्मिनल भवन का उद्घाटन प्रधानमंत्री ने 24 फरवरी को भी बिहार का दौरा किया था।
उन्होंने कहा, कि अब हम अगले कार्यक्रम के लिए काम पर जुट गए हैं। आने वाले हफ्तों और महीनों में इसमें और तेजी आएगी, क्योंकि बिहार भाजपा के शीर्ष नेतृत्व का ध्यान विकास और चुनाव दोनों पर है। प्रधानमंत्री का दौरा हमेशा बिहार के लिए विकास परियोजनाएं लेकर आता है। मधुबनी इसलिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि मिथिलांचल केंद्र के फोकस में रहा है। पिछले हफ्ते केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 6282 करोड़ रुपये की कोसी-मेची अंतर-राज्यीय लिंक परियोजना को मंजूरी दी थी, जिसका उद्देश्य सिंचाई सुरक्षा को बढ़ाना और कोसी के अधिशेष जल को महानंदा बेसिन में भेजकर मिथिलांचल और सीमांचल क्षेत्रों में बाढ़ प्रबंधन सुनिश्चित करना है। इसे राष्ट्रीय राजमार्ग का दर्जा दिया गया है।
परियोजना के साथ ही मंत्रिमंडल ने पटना और सासाराम के बीच 3712 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से राष्ट्रीय राजमार्ग को भी मंजूरी दी। पिछले साल, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने भी मधुबनी का दौरा किया था। 2025 के बजट प्रस्तुति के दौरान एक मधुबनी कलाकार द्वारा उपहार में दी गई साड़ी भी पहनी थी, जिसमें मखाना बोर्ड की घोषणा की गई थी, जो किसानों को प्रशिक्षण सहायता और वित्तीय सहायता प्रदान करेगा और पश्चिमी कोसी नहर योजना, जो मिथिला क्षेत्र के किसानों की मदद के लिए 50000 हेक्टेयर में सिंचाई प्रदान करेगी। पिछले दो महीनों में पीएम मोदी और गृह मंत्री अमित शाह की दो यात्राओं से एक बात स्पष्ट है कि उन्होंने आरजेडी को उसके अतीत पर निशाना बनाने के लिए जो तरीका तय किया है, वो आलोचनात्मक है और जिसमें ‘जंगल राज’ का हवाला दिया जाता है। नीतीश कुमार भी लोगों को राजद शासन की याद दिलाकर 2005 के पहले और बाद के बिहार के बीच तुलना करके ऐसा ही करते नजर आए हैं।
जानकारी देते हुए भाजपा नेता ने बताया कि शाह के दौरे के दौरान सीट बंटवारे पर कोई बात नहीं हुई, क्योंकि इस पर उचित समय पर विचार किया जाएगा। अभी वह समय नहीं आया है। अभी हमारा ध्यान एनडीए को एकजुट करके आगे बढ़ाने और लोगों को राजद मॉडल की याद दिलाने पर है, जब बिहार में अपहरण, अराजकता और भ्रष्टाचार के कारण 'जंगल राज' था। साथ ही 243 सदस्यीय बिहार विधानसभा में 225 सीटों के लक्ष्य पर भी नजर है।
वहीं राज्यसभा सांसद और राष्ट्रीय लोक मोर्चा के सदस्य उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि सीट बंटवारे में कोई देरी नहीं है, यह सही समय पर सौहार्दपूर्ण तरीके से हो जाएगा। हमारा जोर एनडीए की एकता पर है, जो पहले से ही मजबूत है, जबकि विपक्षी खेमे में अव्यवस्था है। केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने कहा कि एनडीए शासन के तहत 2005 के बाद बिहार का परिवर्तन नंगी आंखों से देखा जा सकता है। उन्होने कहा कि जो लोग बिहार में सर्वांगीण विकास को सकारात्मक बदलाव के तौर पर नहीं देख सकते, उन्हें चुनाव में वास्तविकता देखने के लिए तैयार रहना चाहिए। जनता उन्हें वास्तविकता दिखाएगी, क्योंकि वो कभी भी भयावह दिनों को फिर से नहीं जीना चाहेंगे।
बिहार के उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने कहा कि केंद्र ने जिस तरह से बिहार के विकास पर ध्यान केंद्रित किया है, वह भविष्य के लिए अच्छा संकेत है। बिहार में नीतीश कुमार सरकार और केंद्र में नरेंद्र मोदी सरकार के दोहरे इंजन ने कई विकास परियोजनाओं के साथ लोगों की आकांक्षाओं को बढ़ाया है, और राज्य को सर्वांगीण विकास के पथ पर ले जाने के लिए अभी भी बहुत कुछ करना बाकी है। इस साल बिहार में भी चुनाव होने हैं और एनडीए को जीत का भरोसा है।
एएन सिन्हा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल स्टडीज के पूर्व निदेशक डीएम दिवाकर ने कहा कि राजद पर बढ़ते हमले, जो दो दशकों से सत्ता से बाहर रहने के बावजूद एक ताकत बने हुए हैं, एक संकेत है कि भाजपा किसको राज्य में मुख्य विपक्ष के रूप में देखती है। वक्फ बिल के साथ-साथ अन्य कारणों से ये साफ है कि मुसलमान राजद के साथ होंगे और यादव वोटों के साथ इसका एक महत्वपूर्ण आधार है, हालांकि यह दूसरों के समर्थन के बिना पर्याप्त नहीं हो सकता है। भाजपा सांस्कृतिक पहचान को बढ़ावा देकर हिंदू वोटों का ध्रुवीकरण करने की कोशिश करेगी यह भी स्पष्ट है कि मोदी-शाह नीतीश कुमार के चेहरे के साथ अभियान की अगुवाई करेंगे। जो राजद पर हमला बड़ी रणनीति का हिस्सा है। राजद 2005 के बाद के रिपोर्ट कार्ड के साथ जवाबी हमला कर रहा है।