Akshaya Tritiya A Day for Worship Prosperity and Shopping for Gold Jewelry रिवाइज : अक्षय तृतीया 30 को भगवान परशुराम की होगी आराधना, Biharsharif Hindi News - Hindustan
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रिवाइज : अक्षय तृतीया 30 को भगवान परशुराम की होगी आराधना

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Newswrap हिन्दुस्तान, बिहारशरीफFri, 18 April 2025 07:36 PM
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रिवाइज : अक्षय तृतीया 30 को भगवान परशुराम की होगी आराधना

अक्षय तृतीया 30 को भगवान परशुराम की होगी आराधना लोग स्वर्ण आभूषणों की जमकर करेंगे खरीदारी अक्षय तृतीया को ही भगवान परशुराम का हुआ था जन्म त्रेतायुग युग का आरंभ अक्षय तृतीया से ही हुआ था अक्षय तृतीया पर किए गए दान से अक्षय पुण्य की होती है प्राप्ति पावापुरी, निज संवाददाता। हिंदू पंचांग के अनुसार अक्षय तृतीया इस वर्ष 30 अप्रैल बुधवार को मनायी जाएगी। यह तिथि वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया को पड़ती है और इसे अत्यंत शुभ व फलदायी माना जाता है। इस दिन का विशेष महत्व इसलिए भी है, क्योंकि इसे किए गए कार्यों का फल 'अक्षय' यानी कभी न समाप्त होने वाला होता है। अक्षय का शाब्दिक अर्थ है जिसका कभी क्षय न हो अथवा जो सदा स्थायी रहे। अक्षय तृतीया तिथि अक्षय, अखंड और सर्वव्यापक है। चारों युगों में त्रेतायुग का आरंभ इसी तिथि को हुआ था। 30 अप्रैल से ही चारों धामों में से एक धाम बद्रीनारायण के पट खुलेंगे । पंडित सूर्यमणि पांडेय कहते हैं कि अक्षय तृतीया के दिन सोने-चांदी के आभूषण या अन्य कीमती धातुओं की खरीदारी शुभ मानी जाती है। इस दिन लोग नए आभूषण, वाहन, संपत्ति या अन्य निवेश करते हैं। ताकि उनके जीवन में समृद्धि बनी रहे। आभूषण बाजारों में खासतौर पर इस दिन ग्राहकों की भीड़ देखी जाती है और दुकानदार विशेष ऑफर भी लेकर आते हैं। दान और पुण्य का है अक्षय महत्व : आचार्य पप्पू पांडेय ने बताया कि अक्षय तृतीया पर किए गए दान को अक्षय पुण्य की प्राप्ति का माध्यम माना गया है। विशेष रूप से जल, अन्न, वस्त्र, छाता, चप्पल और गौदान जैसे दान करना इस दिन अत्यंत शुभ माना जाता है। जरूरतमंदों की मदद करने से व्यक्ति को पुण्यफल की प्राप्ति होती है। इस दिन भगवान परशुराम का जन्म भी हुआ था, इसलिए लोग इसे परशुराम जयंती के रूप में भी मनाते हैं। भगवान परशुराम का जन्म और महत्व : भगवान परशुराम विष्णु के छठे अवतार माने जाते हैं। वे ब्राह्मण कुल में जन्मे थे। लेकिन, क्षत्रिय गुणों से युक्त थे। उन्होंने अन्याय और अत्याचार के विरुद्ध युद्ध किया और धर्म की स्थापना की। वे आज भी अजर-अमर माने जाते हैं और कलियुग के अंत में भगवान कल्कि को दिव्य अस्त्र प्रदान करने के लिए उपस्थित रहेंगे, ऐसा भी माना जाता है। अक्षय तृतीया पर परशुराम जयंती का महत्व : इस दिन देशभर में परशुराम जी की पूजा-अर्चना होती है, विशेषकर ब्राह्मण समाज में यह दिन अत्यंत श्रद्धा के साथ मनाया जाता है। मंदिरों में विशेष हवन, पूजन, और शस्त्र पूजन का आयोजन किया जाता है। शुभ कार्यों के लिए अबूझ मुहूर्त : अक्षय तृतीया को अबूझ मुहूर्त कहा जाता है यानी इस दिन किसी भी शुभ कार्य के लिए पंचांग देखने की आवश्यकता नहीं होती। विवाह, गृह प्रवेश, व्यवसाय आरंभ जैसे कार्यों के लिए यह दिन अत्यंत उपयुक्त होता है। अक्षय तृतीया न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि यह दिन लोगों को दान, सेवा और निवेश के माध्यम से अपने जीवन को सुख-समृद्धि की ओर अग्रसर करने की प्रेरणा देता है।

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