Nalanda Fishermen to Achieve Self-Reliance in Fish Spawn Production with Special Training Camps पहल : मछली जीरा के उत्पादन में आत्मनिर्भर बनेंगे नालन्दा के मस्यपालक, Biharsharif Hindi News - Hindustan
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पहल : मछली जीरा के उत्पादन में आत्मनिर्भर बनेंगे नालन्दा के मस्यपालक

पहल : मछली जीरा के उत्पादन में आत्मनिर्भर बनेंगे नालन्दा के मस्यपालकपहल : मछली जीरा के उत्पादन में आत्मनिर्भर बनेंगे नालन्दा के मस्यपालकपहल : मछली जीरा के उत्पादन में आत्मनिर्भर बनेंगे नालन्दा के...

Newswrap हिन्दुस्तान, बिहारशरीफTue, 20 May 2025 11:39 PM
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पहल : मछली जीरा के उत्पादन में आत्मनिर्भर बनेंगे नालन्दा के मस्यपालक

पहल : मछली जीरा के उत्पादन में आत्मनिर्भर बनेंगे नालन्दा के मस्यपालक इस्लामपुर के सोनवां गांव में आग लगेगा विशेष प्रशिक्षण शिविर जिला व अनुमंडल स्तरीय मत्स्य पदाधिकारी जीरा उत्पादन के बताएंगे गुर फोटो तालाब : तालाब में मछलीपालन। बिहारशरीफ, कार्यालय प्रतिनिधि। नालंदा के मत्स्यपालकों को मछली जीरा (स्पॉन) उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाया जाएगा। इसके लिए अनुमंडल और प्रखंड स्तर पर विशेष प्रशिक्षण शिविर लगाया जाएगा। बुधवार से इसकी शुरुआत हो रही है। इस्लामपुर के सोनवां में पहला शिविर लगेगा। इसमें शामिल होने के लिए जिलेभर के मछलीपालकों को आमंत्रित किया गया है। जिला और अनुमंडल स्तरीय मत्स्य पदाधिकारी मछलीपालकों को मछली जीरा उत्पाद की हर बारीकियां सिखाएंगे।

इसके बाद चरणबद्ध तरीके से विशेष प्रशिक्षण शिविर का कारवां अन्य प्रखंडों में भी पहुंचेगा। जिला मत्स्य पदाधिकारी शंभु प्रसाद बताते हैं कि जिले के सरकारी और निजी तालाबों में बड़े पैमाने पर मछलियों का उत्पादन किया जाता है। पालकों की मेहनत का ही कमाल है कि नालंदा मछलीपालन में काफी बेहतर कर रहा है। खपत और उत्पादन का ग्राफ में अब कोई अंतर नहीं रह गया है। इतना ही नहीं यहां के तालाबों में पली-बढ़ीं मछलियां आसपास के जहानाबाद, गया व पटना की मंडियों में भी भेजी जाती हैं। पालकों को अब मछली जीरा उत्पदन के तरीके बताकर उन्हें आत्मनिर्भर बनाने की रणनीति तैयार की गयी है। ताकि, जीरा के लिए उन्हें हैचरी संचालकों पर आश्रित रहना कम पड़े। अच्छी तरह से प्रशिक्षण लेने के बाद मछलीपालक छोटी-छोटी हैचरी बनाकर खुद से जीरा का उत्पादन कर सकते हैं। फायदा यह कि तालाबों में मछलीपालन के लिए दूसरी जगह से जीरा लाने की नौबत कम पड़ेगी। उन्होंने बताया कि इस्लामपुर इलाके में सरकारी और निजी तालाबों की संख्या ठीकठाक है। स्थानीय स्तर पर प्रशिक्षण शिविर लगने से पालकों को सहूलियत होगी। आगे अन्य प्रखंडों में भी शिविर लगाकर पालकों को जीरा उत्पादन के गुर बताये और सिखाये जाएंगे। 10 मीलियन स्पॉन का उत्पादन : सरकारी स्तर पर जिले में एक मात्र मोहनपुर हैचरी में मछली का जीरा तैयार किया जा रहा है। संचालक शिवनंदन प्रसाद बताते हैं कि साल में आठ से दस मीलियन स्पॉन (जीरा) उनकी हैचरी में उत्पादन होता है। इसके अलावा स्पॉन को छोटे तालाबों में रखकर करीब पांच लाख ईयर (दो से तीन इंच) साइज का जीरा तैयार किया जाता है। झारखंड के भी पालक आते हैं जीरा खरीदने: मोहनपुर हैचरी से मछली का जीरा खरीदने सूबे के विभिन्न जिलों के अलावा झारखंड के रांची से भी मछलीपालक आते हैं। संचालक बताते हैं कि नालंदा के अलावा नवादा, शेखपुरा, लखीसराय, अरवल, पटना के मत्स्यपालक जीरा ले जाते हैं।

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