Villagers Suffer Due to Erosion and Floods of Donk River in Pothia Block डोक नदी का कटाव 8 पंचायत के लोगों के लिए बड़ी समस्या, Kishanganj Hindi News - Hindustan
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डोक नदी का कटाव 8 पंचायत के लोगों के लिए बड़ी समस्या

डोक नदी का कटाव 8 पंचायत के लोगों के लिए बड़ी समस्या डोक नदी का कटाव 8 पंचायत के लोगों के लिए बड़ी समस्या

Newswrap हिन्दुस्तान, किशनगंजWed, 21 May 2025 05:01 AM
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डोक नदी का कटाव 8 पंचायत के लोगों के लिए बड़ी समस्या

पोठिया। निज संवाददाता पोठिया प्रखंड के आठ पंचायत के ग्रामीण डोंक नदी की कटाव से परेशान हैं। कटाव की जद में घर, खेत खलिहान, शिक्षण संस्थान, सहित किसानो का फसल डोंक नदी की धार में समा रहा है। बारिश के समय ग्रामीणों को प्रत्येक वर्ष डोंक नदी की बाढ़ का तांडव इन ग्रामीणों को झेलना पड़ता है। जिसमें मिर्जापुर पंचायत के जनताहाट, मिर्जापुर, बाघरानी,बेलगछी,शेरशाहवादी टोला, बक्सा, कोलथा, सातमेढ़ी, नन्हाकुड़ी,सिंघीमारी,मोहगर, परलाबाड़ी, हल्दागांव, फूलहारा,गोरुखल,माघुरजान, शामिल है। आदि गांवो के तकरीबन 35 हजार से अधिक की आबादी डोंक नदी के कहर से बुरी तरह प्रभावित है। पिछले 20 वर्षों से डोंक नदी की बाढ़ व कटाव का तांडव इन अबादियो को प्रत्येक वर्ष झेलना पर रहा है।

बताते चले कि किशनगंज जिले के पोठिया प्रखंड अंतर्गत आठ पंचायतों की 35 हजार से अधिक की आबादी डोंक नदी के बाढ़ से प्रभावित होते आ रहा है। सन 1990 से प्रत्येक वर्ष डोंक नदी का पानी बरसात के समय इन आठों पंचायतों के घर आंगन में प्रवेश कर जाता है। ग्रामीण गोबिंद यादव, सरपंच मो. नौशाद, मो. ताफीजुल,फूल मोहम्मद, वार्ड सदस्य जहांगीर आलम,उप मुखिया मो. नसीम,वार्ड सदस्य गौतम यादव, मो. शाहिद, विशाल सिंह, नौशाद आलम, इमामुदीन,नादिर,अलीमुद्दीन आदि दजनों ग्रामीणों ने बताया की बाढ़ का प्रकोप तो आज़ादी के बाद से ग्रामीण झेल रहे हैं। लेकिन 1988 के बाद से डोंक नदी में बाढ़ व कटाव अधिक ही बढ़ गया है। वर्ष 1990 से 2017 में बाढ़ इतना तवाही मचाया की पड़लाबाड़ी पंचायत के हल्दागांव के हाजी सुभान का पुस्तैनी घर, धार्मिक स्थल सहित किसानों का फसल सहित लहलहाते दर्जनों एकड़ जमीन डोंक नदी के तेज धार में समा गया। मसलन तत्काल यहां के 25 परिवारों को पंचायत के दूसरे वार्ड में विस्थापित होना पड़ा था। रायपुर,कोल्था, सरोगरा,मिर्जापुर एवं गोरुखल पंचायत की भी यही स्थितियों का सामना करना पड़ा था। इस दौरान इन आठ पंचायतों के दर्जनों मुख्य सड़कें, पुल पुलिया डोंक नदी की तेज धार ध्वस्त कर दिया था। इसके बाद 2017 में भी इन आबादियों को भीषण बाढ़ का तांडव झेलना पड़ा था। गोरुखाल सहित कई अन्य पंचायतों का मुख्य सड़के,पुल पुलिया ध्वस्त हो गया था। गोरुखाल पंचायत का कामतीगच्छ तथा मागुरजान गांव का संपर्क मुख्य सड़क से टूट गया था। बॉक्स के लिए डोंक नदी के बाढ़ से प्रभावित गांव मगरजा,कामतियागच्छ,बोरोगछ, जागीरगच्छ मुस्लिम टोला आदिवासी टोला,जंगल बस्ती,कदमघुटू,खेंगकाटी, नौकट्टा,मिर्जापुर,कठहाल डांगी,बाघरानी,बेलगच्छी शेरशाहवादी टोला,बेलगच्छी,शेखपूरा,बक्सा हल्दीबाड़ी,बाखोनाला,बुधरा,छतारगछ,नन्हाकुड़ी,सिग्घीमारी,फूलहारा,मोहगार, कालासिंघिया,हल्दागांव, पड़ालाबाड़ी,एबीजेड मिट फैक्टरी, धूमानिया,दफ्तरी चाय बगान,मुस्लिम टोला,महादलित टोला,बल्दिया हाट सातमेढी,बखनाला स्थित चीचुआबाड़ी रायपुर प्रधानमंत्री सड़क, गोरुखाल पंचायत के प्रधानमंत्री सड़क, मिर्जापुर से शेखपुरा तक जाने वाली नव निर्मित प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क स्थित कटहल डांगी प्रभावित होता है। बोले जम्मेदार इजहरूल हुसैन, विधायक किशनगंज ने कहा कि मेरे संज्ञान में क्षेत्र के डोंक तथा महानंदा नदी से हो रही कटाव को लेकर है। मैं मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को इस विषय को लेकर पूर्व में भी एक लिखित पत्र दे चुका हूं। इससे पहले मेरे कार्यकाल के दौरान कई स्थानों पर अस्थाई तटबंध निर्माण कराया गया था। फिलहाल डोंक तथा महानंदा नदी से हो रहे कटाव का स्थिति को लेकर बरसात से पहले बाढ़ को लेकर सुरक्षा का पुख्ता इंतजाम को लेकर तैयारी चल रही है,ओर प्रशासन से चर्चा की जाएगी। इजहारुल हुसैन, विधायक, किशनगंज मोहित राज, अंचल अधिकारी, पोठिया में बाढ़ से पूर्व जो भी प्रशासनिक तैयारी है, उसे किया जाएगा, बाढ़ के पूर्व बाढ़ प्रभावित लोगों के लिए ऊंचे स्थानों का चयन कर गांवो में बाढ़ का पानी प्रवेश होते ही इन चिन्हित स्थानों पर तत्काल स्कूल,पंचायत भवन आदि स्थानों पर लाया जाता है। लोगों को आवश्यक सामग्रियों की आपूर्ति कराई जाती है। मोहित राज, सीओ, पोठिया मो. शाहिद ने कहा कि दरअसल बिहार सरकार कटाव के नाम पर जो नदियों में बांस बंबू ब्रेकेटिंग,बोरी में मिट्टी भरकर तटबंधों के मरम्मतीकरण का निर्माण कर रही है। इससे कुछ नहीं होता, डोंक नदी का धार इतनी तेज गति से बहती हैं की उसे नदी की तेज धार निर्माणाधीन तटबंधों को ही बहा ले जाती है। मो. शाहिद नौशाद आलम ने कहा कि जिस प्रकार से डोक नदी का अनवरत हो रही कटाव से सड़क,पुल पुलिया,धार्मिक स्थल का कटाव हो रही है। काफी चिंता का विषय है। सरकार को कटाव को लेकर गंभीरता से विचार करना होगा। नहीं तो गोरूखाल पंचायत के कई गांवों के लोगो को इस वर्ष भी बाढ़ का तांडव झेलना पड़ेगा। नौशाद आलम श्याम ठाकुर, अधिवक्ता ने कहा कि डोक नदी से कटाव से लोगों का काफी नुकसान होता है। पश्चिम बंगाल बॉर्डर से महज 15 किमी की दूरी पर गोरुखाल पंचायत की पूरी आबादी है। नदी से हो रही कटाव को स्थाई रूप से रोकना आवश्यक है। कटाव के कारण ही सड़कों पुल पुलिया ध्वस्त होने से सड़क संपर्क टूट जाता है। जिससे प्रशासनिक अधिकारियों को भी दिक्कतों का सामना करना पड़ता हैं। श्याम ठाकुर सपना देवी भाजपा नेत्री ने कहा कि गांव में जैसे ही बरसात आती है,ग्रामीणों का पसीने छूटने शुरू हो जाते हैं। नदी के कटाव को देखते ही मन में भय समा जाता है। बाढ़ के भय से लोग हमेशा डरे सहमे रहते है। सरकार से मेरी फरियाद है की डोंक तथा महानंदा नदी में महानंदा बेसिन योजना के तहत कार्य शुरू हो ताकि लोगों को प्रत्येक वर्ष की बाढ़ का भय से मुक्ति मिल सके। सपना देवी नौशाद आलम ने कहा कि गोरुखाल पंचायत बरसात के समय नदी का जल स्तर बढ़ते ही लगता है खेत पर लगे फसलों तथा जमीन की कटाव का चिंता बढ़ने लगते है। हमारे नेताओ को चाहिए की हम ग्रामीणों को नदी के बाढ़ की तांडव से स्थाई बांध निर्माण कराकर ग्रामीणों को बाढ़ की तबाही व बरबादी से मुक्ति दिलाए। डोक नदी के बाढ़ का प्रकोप से प्रत्येक वर्ष ग्रामीण भारी नुकसानी उठानी परती है। नौशाद आलम बरियार मरांडी, मुखिया ग्राम पंचायत मिर्जापुर ने कहा कि नदी का कटाव से किसानो का सैकड़ों एकड़ फसल सहित जमीन नदी के बीच धार में समा गया है। कुछ किसान तो नदी के कटाव से खेती की पूरी जमीन ही नदी के बीच धार में बह गया। आज मजदूर बनकर सूबे से बाहर रोजगार के लिए भटक रहे है। बरियार मरांडी जावेद अकरम ने कहा कि प्रखंड क्षेत्र के दर्जनों गांव महानंदा तथा डोंक नदी के कटाव के कगार पर खड़ा है। दो नदियों के लगातार हो रही कटाव से बलदियाहाट स्थित मारिया विद्यालय धीरे धीरे डोंक नदी के बिल्कुल करीब आ गया है। इसी प्रकार मोहगर, पड़ालाबाड़ी हल्दागांव,धुमानियां गांव भी डोंक नदी के किनारे आ गया है। बिहार सरकार को चाहिए की महानंदा बेसिन योजना कार्य शीघ्र शुरू किया जाना चाहिए जावेद अकरम मो. शमीम अख्तर मुखिया प्रतिनिधि ने कहा कि सारोगारा पंचायत डोंक नदी की धार इतनी तेज रफ्तार से बहती की इसका कटाव बड़ी भयानक है। देखते ही देखते दर्जनों एकड़ खेत नदी के बीच धार में बह जाती है। डोंक नदी का कटाव प्रखंड के साथ पंचायतों हो रही है। मेरा पंचायत इसका भुक्तभोगी है। कई मकान 2008 के दौरान डोंक नदी में समा गया था। मो.शमीम अख्तर शब्बीर आलम ने कहा कि डोंक नदी का कटाव से लोग त्रस्त है। यदि तटबंध का निर्माण बरसात शुरू होने से नहीं कराया गई तो इस बार बरसात के समय नदी कटाव शुरू होते ही पंचायत के कई गांव धार्मिक स्थल,तथा शिक्षा संस्थान नदी के कटाव के जद में आ जायेगा। दूसरी ओर यदि जर्जर हुए सड़क का निर्माण नहीं हुई तो लोगों का संपर्क बंगाल के मुख्य बाजारों तथा प्रखंड के अन्य स्थानों से संपर्क टूटने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता है। शब्बीर आलम निखत शाहीन मुखिया पंचायत सारोगरा ने कहा कि पोठिया प्रखंड का सारोगरा पंचायत का अनवरत हो रही डोंक नदी के कटाव से पंचायत क्षेत्र के लोग त्रस्त है। इससे पंचायत की भौगोलिक स्थिति भी साल दर साल बिगड़ती जा रही है। पंचायत का एक मात्र मध्य व उत्क्रमित माध्यमिक विद्यालय बाखोंनाला एवं कब्रिस्तान नदी के कटाव के कटाव के कगार पर खड़ा है। निखत शाहीन राज कुमार पंडित ने कहा कि डोंक नदी का प्रत्येक वर्ष दर्जनों गांवों में पानी प्रवेश कर जाता है। डोंक नदी के बाढ़ का कहर इस प्रकार कहर बरपाता है कि लोगों का काफी नुकसान होता है। बाढ़ के समय हम लोगों को ऊंचे स्थानों में शरण लेना पड़ता हैं। मवेशियों के लिए भी नदी का बाढ़ आफत बनकर आता है। राज कुमार पंडित

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