पाकिस्तान पर एक और आफत, उद्योग-धंधे सबकुछ चौपट; फिर ले रहा अरबों का कर्ज
पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था औंधे मुंह गिर गई है। उद्योग-धंधे सबकुछ चौपट हो गए हैं। हालात ये हो गई है कि पाकिस्तान एक बार फिर दूसरों के भरोसे है और अरबों का विदेशी कर्ज ले रहा है। इसके लिए उसने चार इंटरनेशनल बैंकों के दरवाजे खटखटाए हैं।

पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था एक बार फिर गहरे संकट में फंसी नजर आ रही है। देश न केवल अपने तय किए गए आर्थिक विकास के लक्ष्यों से पिछड़ गया है, बल्कि एक बार फिर अंतरराष्ट्रीय कर्जदाताओं के दरवाजे पर हाथ फैलाने को मजबूर है। जहां एक ओर सरकार ने IMF से भारी भरकम कर्ज लिया है, वहीं अब 4.9 अरब डॉलर के वाणिज्यिक कर्ज की भी योजना बनाई जा रही है।
ARY न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान की GDP ग्रोथ दर 3.6% के अनुमान के मुकाबले सिर्फ 2.68% रही, जो आर्थिक मोर्चे पर गहराते संकट का संकेत है।
उद्योग बर्बाद, अर्थव्यवस्था चरमराई
पाकिस्तान की नेशनल अकाउंट्स कमेटी की बैठक में जो आंकड़े सामने आए, वे चौंकाने वाले हैं। इसमें औद्योगिक क्षेत्र में 1.14% की गिरावट हुई है। कृषि क्षेत्र की ग्रोथ भी सिर्फ 1.8% रही। केवल सेवाओं के क्षेत्र ने बेहतर प्रदर्शन करते हुए 39% ग्रोथ दर्ज की। देश की कुल आर्थिक आउटपुट 411 अरब डॉलर पर रही और प्रति व्यक्ति आय 1,824 डॉलर तक पहुंची है।
IMF के बाद अब और कर्ज की तैयारी
पाकिस्तान ने हाल ही में IMF से अरबों डॉलर का कर्ज लिया है, जिसकी शर्तों के तहत सरकार को राजकोषीय घाटा घटाना, कर ढांचा सख्त करना और विदेशी मुद्रा भंडार बढ़ाना जैसे कदम उठाने पड़े। IMF की शर्तों के अनुसार, पाकिस्तान को जून 2025 तक विदेशी मुद्रा भंडार को 13.9 अरब डॉलर तक ले जाना है। फिलहाल स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान के पास 14 अरब डॉलर की रिज़र्व है, जो तीन महीने के आयात के लिए ही पर्याप्त मानी जाती है।
किन बैंकों के दरवाजे खड़ा पाक
पाकिस्तान सरकार अगले वित्त वर्ष 2025-26 के लिए 4.9 अरब डॉलर का नया कर्ज ले रही है। इसमें 2.64 अरब डॉलर के शॉर्ट टर्म लोन, जिन पर 7-8% की ब्याज दर है और 2.27 अरब डॉलर के लॉन्ग टर्म लोन, जो वाणिज्यिक बैंकों से लिए जाएंगे। इन कर्जों के लिए पाकिस्तान ने चार प्रमुख अंतरराष्ट्रीय बैंकों से संपर्क किया है, जिसमें ICBC (चीन) से 1.1 अरब डॉलर, स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक और दुबई इस्लामिक बैंक से 500-500 मिलियन डॉलर और ADB (एशियन डेवलपमेंट बैंक) से 500 मिलियन डॉलर का कर्ज शामिल है।
दूसरों के भरोसे
जानकारों का कहना है कि बार-बार IMF और विदेशी बैंकों से कर्ज लेकर पाकिस्तान अपनी वास्तविक आर्थिक चुनौतियों से मुंह मोड़ रहा है। बेरोजगारी, महंगाई और गिरती औद्योगिक उत्पादकता जैसी समस्याएं अभी भी जस की तस बनी हुई हैं।
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