झारखंड अबकारी नीति बनाने में अहम भूमिका, अब भेजे गए जेल; कौन हैं IAS विनय कुमार चौबे
एसीबी ने झारखंड के एक आईएएस अधिकारी को गिरफ्तार किया है। गिरफ्तारी के बाद अधिकारी को जेल भेज दिया गया है। मिली जानकारी के अनुसार, झारखंड की नई अबकारी नीति बनाने में चौबे की अहम भूमिका थी।

भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) ने शराब घोटाले से जुड़े मामले में बड़ा ऐक्शन लिया है। तत्कालीन उत्पाद सचिव सह वर्तमान में पंचायती राज विभाग के सचिव विनय कुमार चौबे और संयुक्त आयुक्त गजेंद्र सिंह को गिरफ्तार कर 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में लेते हुए जेल भेज दिया है। एसीबी ने जांच के दौरान पाया कि झारखंड सरकार की शराब नीति बदलवाने में महत्वपूर्ण भूमिका थी।
कौन हैं विनय कुमार चौबे
मूल रूप से बिहार के औरंगाबाद जिले के रहने वाले आईएएस अधिकारी विनय चौबे का बचपन बोकारो में बीता है। उनकी 12वीं तक की पढ़ाई यहीं हुई। इसके बाद वे बीटेक करने के लिए बाहर चले गए। उनके पिता देवेंद्र चौबे बोकारो इस्पात संयंत्र में सीनियर अधिकारी थे।
झारखंड राज्य बनने के बाद 25 साल में यह पहला मौका है जब राज्य की एजेंसी ने एक पदेन वरीय आईएएस अधिकारी को गिरफ्तार कर जेल भेजा। इससे पूर्व मंगलवार को एसीबी की टीम ने पूछताछ के लिए विनय कुमार चौबे और गजेंद्र सिंह को कार्यालय बुलाया। लंबी पूछताछ के दौरान दोनों के खिलाफ नई प्राथमिकी(9/25) दर्ज कर एसीबी ने दोनों को गिरफ्तार किया। दोनों का मेडिकल चेकअप कराया गया। इसके बाद दोनों आरोपियों को लेकर टीम एसीबी के विशेष न्यायाधीश योगेश कुमार सिंह की अदालत में पेश किया गया। जहां से दोनों को न्यायिक हिरासत में लेते हुए तीन जून तक के लिए बिरसा मुंडा केंद्रीय कारा होटवार भेज दिया गया। अदालत ने निर्देश दिया कि अगली पेशी जेल से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से की जाएगी।
कई अहम पद संभाल चुके
● 1999 बैच के आईएएस अफसर, मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के प्रधान सचिव रह चुके
● झारखंड के मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी
● उपायुक्त हजारीबाग पलामू, रांची
● रांची नगर निगम के सीईओ
● नगर विकास सचिव, झारखंड आवास बोर्ड के एमडी
● वर्तमान में पंचायती राज विभाग के प्रधान सचिव
दर्ज प्राथमिकी में क्या
एसीबी के मुताबिक जांच के दौरान मिले साक्ष्य के आधार पर मंत्रिमंडल सचिवालय एवं निगरानी विभाग से अनुमति मिलने के बाद इस मामले में मंगलवार 20 मई को प्राथमिकी दर्ज की गई। दर्ज प्राथमिकी में कहा गया है विनय कुमार चौबे एवं गजेंद्र सिंह ने दोनों ने अपने पद का दुरुपयोग कर राज्य सरकार को राजस्व की क्षति पहुंचाई है। पद का दुरुपयोग करते हुए प्लेसमेंट एजेंसियों के चयन में निर्धारित मापदंड प्रक्रिया का पालन नहीं किया। आपराधिक साजिश रची गयी। जालसाजी कर प्लेसमेंट एजेंसी को अनैतिक फायदा पहुंचाया गया। जिससे राज्य सरकार को लगभग 38 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ। प्राथमिकी भादवि की धारा 120बी, 420, 467, 468, 471, 409, 407, 109, (बीएनएस की धारा 61(2), 318, 336, 340, 316, 45) और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 की धारा 7(सी)/12, 13 (2) सह पठित धारा 13(1)(ए) के तहत दर्ज की गई है।
पीई के बाद खुला राज
मंत्रिमंडल सचिवालय एवं निगरानी विभाग से अनुमति के बाद राज्य में शराब घोटाला मामले में एसीबी झारखंड ने प्रारंभिक जांच (पीई) दर्ज की थी। पीई में एसीबी को यह सबूत मिले कि उत्पाद विभाग में नियमों को ताक पर रखकर प्लेसमेंट एजेंसियों का चयन हुआ और उन्हें अनैतिक लाभ पहुंचाया गया। इससे झारखंड सरकार को लगभग 38 करोड़ रुपये का नुकसान पहुंचा। इसके बाद ही एसीबी ने मंत्रिमंडल सचिवालय एवं निगरानी विभाग से अनुमति लेकर 20 मई 2025 को एसीबी रांची थाना कांड संख्या 09/2025 में प्राथमिकी दर्ज की। इसमें उत्पाद एवं मद्य निषेध विभाग के तत्कालीन प्रधान सचिव सह जेएसबीसीएल के तत्कालीन प्रबंध निदेशक तथा संयुक्त आयुक्त उत्पाद गजेंद्र सिंह व अन्य को आरोपित बनाया गया है।
दो घंटे तक रहे कोर्ट में
गिरफ्तारी के बाद दोनों आरोपियों को शाम 4.45 बजे सिविल कोर्ट लाया गया। यहां गिरफ्तारी प्रक्रिया पूरी करते हुए जज के सामने पेश किया गया। लगभग दो घंटे बाद शाम 6.45 बजे कोर्ट रूम से जेल के लिए ले जाया गया। इस दौरान विनय कुमार चौबे के चेहरे पर भारी शिकन थी, जबकि गजेंद्र सिंह के चहेरे पर कुछ शिकन नजर नहीं आया। विनय चौबे की कोर्ट में पेशी के दौरान बाहर बड़ी संख्या में सुरक्षाकर्मी तैनात थे।
छत्तीसगढ़ में एसीबी के केस में कौन-कौन हैं आरोपी
1. विनय कुमार चौबे – तत्कालीन उत्पाद सचिव, झारखंड
2. गजेंद्र सिंह – संयुक्त आयुक्त, उत्पाद विभाग
3. अनिल टूटेजा – संयुक्त सचिव, वाणिज्य एवं उद्योग, छत्तीसगढ़
4. अरुणपति त्रिपाठी – एमडी, सीएसएमसीएल
5. अनवर ढेबर, अरविंद सिंह – शराब सिंडिकेट के सदस्य
6. सुमित फैसलिटीज, ईगल हंटर, ए टू जेड इंफ्रा – सप्लाई एजेंसियां
7. सिद्धार्थ सिंघानिया – बिचौलिए, मैनपावर सप्लाई
8. विधु गुप्ता – प्रिज्म होलोग्राफी एंड सिक्योरिटी प्राइवेट लिमिटेड