Severe Water Crisis in MatoKhar and PathlaFaar Only 100 Out of 700 Homes Access Clean Water मटोखर व पथलाफार में पेयजल के लिए त्राहिमाम कर रही बड़ी आबादी, Biharsharif Hindi News - Hindustan
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मटोखर व पथलाफार में पेयजल के लिए त्राहिमाम कर रही बड़ी आबादी

मटोखर व पथलाफार में पेयजल के लिए त्राहिमाम कर रही बड़ी आबादी मटोखर व पथलाफार में पेयजल के लिए त्राहिमाम कर रही बड़ी आबादी

Newswrap हिन्दुस्तान, बिहारशरीफMon, 21 April 2025 05:24 PM
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मटोखर व पथलाफार में पेयजल के लिए त्राहिमाम कर रही बड़ी आबादी

मटोखर व पथलाफार में पेयजल के लिए त्राहिमाम कर रही बड़ी आबादी दोनों मोहल्लों में 7 सौ घर, महज एक सौ घरों तक पहुंच रहा पानी दो माह पहले हुई थी मोटर चोरी, अबतक नहीं लगाया गया दूसरा फोटो पानी : मटोखर में खराब पड़ा चापाकल। शेखपुरा, हिन्दुस्तान संवाददाता। नगर परिषद क्षेत्र के वार्ड नंबर 24 के मटोखर और पथलाफार गांव पहाड़ी क्षेत्र में बसे हुए हैं। नये परिसीमन के बाद इन दोनों गांवों को कारे पंचायत से हटाकर नगर परिषद क्षेत्र में जोड़ा गया है। लेकिन, अब भी यहां रहने वाली बड़ी आबादी जल संकट से जूझ रही है। पानी के लिए भटकना पड़ रहा है। दोनों मोहल्लों की कई गलियों की स्थिति भी ठीक नहीं है। मटोखर गांव में करीब 450 तो पथलाफार में 250 घर हैं। विडंबना यह कि दोनों मोहल्ले के महज 50-50 घरों को ही सही से पानी मिल पाता है। शेष घरों के लोग पानी के लिए दिनभर इधर-उधर भटकने को मजबूर हैं। मटोखर में पहाड़ी भूखंड से मैदान क्षेत्र में बने नये मोहल्लों में पेयजल की काफी समस्या है। स्थानीय निवासी ममता देवी, चमेली देवी, तिरुपतिया देवी, साबो देवी सहित अन्य लोगों ने बताया कि उनके मोहल्ले में एक छोटी सी पानी टंकी लगायी गयी थी। टंकी के बगल में ही पुराने चापाकल में मोटर लगाकर घरों तक पानी पहुंचाया जा रहा था। लेकिन, करीब दो माह पहले शरारती तत्वों ने चापाकल में लगे मोटर को चुरा लिया। इसके बाद से परेशानी और बढ़ गई है। अब यहां के लोगों को पहाड़ी क्षेत्र की तरफ से पानी भरकर अपने घर तक करीब 500 मीटर दूरी तय करनी पड़ती है। कई बार शिकायत फिर नहीं हुआ समाधान: स्थानीय वार्ड पार्षद धीरज कुमार ने बताया कि उनके गांव में पेयजल समस्या को लेकर कई बार नगर परिषद में आवाज उठाई गई। लेकिन, अधिकारियों के ढुलमुल रवैया से समस्या लगातार बरकरार है। पानी की समस्या को लेकर रोज उनके गांव के लोग उनसे कहासुनी करते हैं। उन्होंने बताया कि उनके स्वयं के घर में भी पानी की समस्या है। उनके परिवार के लोग दूसरे मोहल्ले से पानी लाने जाते हैं। पहाड़ी पर रहने वालों को अधिक परेशानी: सबसे अधिक पहाड़ी की ऊंचाई पर बने घरों के लोगों को परेशानी होती है। उन्हें नीचे से पानी लेकर ऊपर जाना पड़ता है। नौबत ऐसी कि सुबह- शाम ग्रामीणों को सिर्फ और सिर्फ प्यास बुझाने की चिंता लगी रहती है।

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