महिलाओं की सुरक्षा और अधिकार के लिए जीविका दीदियां कर रहीं सेफ्टी ऑडिट
महिलाओं की सुरक्षा और अधिकार के लिए जीविका दीदियां कर रहीं सेफ्टी ऑडिटमहिलाओं की सुरक्षा और अधिकार के लिए जीविका दीदियां कर रहीं सेफ्टी ऑडिटमहिलाओं की सुरक्षा और अधिकार के लिए जीविका दीदियां कर रहीं...

महिलाओं की सुरक्षा और अधिकार के लिए जीविका दीदियां कर रहीं सेफ्टी ऑडिट महिला हिंसा, बाल विवाह और सामाजिक भेदभाव पर रोक लगाने का प्रयास सामाजिक जागरूकता के लिए पंचायत स्तर पर किया जा रहा प्रशिक्षण महिलाओं के आर्थिक और सामाजिक सशक्तिकरण के लिए चल रही पहल घरेलू हिंसा से पीड़ित महिलाओं को दी जा रही कानूनी मदद और संरक्षण सुरक्षा के लिए असुरक्षित स्थानों को चिह्नित कर किया जा रहा समाधान फोटो : जीविका बैठक : राजगीर के दीदी अधिकार केंद्र में बैठक में शामिल जीविका दीदी व अन्य। बिहारशरीफ, हमारे संवाददाता। महिलाओं के अधिकार और सुरक्षा को लेकर जीविका दीदियों द्वारा जिले के सात प्रखंडों में सेफ्टी ऑडिट किया जा रहा है।
अभियान दीदी अधिकार केंद्र के माध्यम से संचालित किया जाता है। इस केंद्र में एक कोऑर्डिनेटर और छह सामुदायिक संसाधन व्यक्ति (सीआरपी) होते हैं, जो लगातार गांवों में जाकर महिलाओं को उनके अधिकारों और घरेलू हिंसा से बचाव के उपायों के प्रति जागरूक कर रहे हैं। राजगीर, बिहारशरीफ, नूरसराय, रहुई, सरमेरा, अस्थावां और हरनौत प्रखंड में फिलहाल महिला हिंसा का उन्मूलन, बाल विवाह की रोकथाम, लड़कियों की उच्च शिक्षा को बढ़ावा, महिलाओं को सरकारी योजनाओं से जोड़ना जैसी समस्याएं का समाधान दीदी अधिकार केंद्र कर रहा है। यहां महिलाएं बिना किसी डर अपनी समस्याएं साझा कर सकेंगी। उन्हें तुरंत सहायता उपलब्ध कराई जा रही है। इसका मुख्य उद्देश्य महिलाओं के प्रति समाज में व्याप्त लैंगिक भेदभाव को समाप्त करना और घरेलू हिंसा के मामलों में समाधान दिलाना है। जीविका से जुड़े ग्राम संगठन, स्वयं सहायता समूह और क्लस्टर लेवल फेडरेशन (सीएलएफ) की बैठक में सीआरपी जाकर जागरूकता फैलाते हैं। घरेलू हिंसा के मामलों को सुलझाने में हो रही मदद: सीआरपी महिलाओं को यह समझाते हैं कि घरेलू हिंसा सिर्फ शारीरिक हिंसा तक सीमित नहीं है, बल्कि मानसिक प्रताड़ना, गाली-गलौज, खर्च के लिए पैसे न देना या बार-बार ताने मारना भी घरेलू हिंसा के अंतर्गत आता है। महिलाओं को समझाया जाता है कि यदि उनके साथ ऐसा कुछ हो रहा है, तो वे बिना डरे दीदी अधिकार केंद्र में आकर अपनी समस्या साझा करें। यदि कोई मामला स्थानीय स्तर पर नहीं सुलझता है, तो जीविका दीदियों द्वारा महिला थाना, स्थानीय थाना या जिला विधिक सेवा प्राधिकरण (डालसा) से संपर्क कर समाधान दिलाया जाता है। पिछले साल अक्टूबर से अब तक नालंदा जिले के सात प्रखंडों में सैकड़ों मामले सामने आए हैं, जिनमें से अधिकतर का समाधान कर दिया गया है। खासकर राजगीर प्रखंड में इस अभियान का खासा असर देखा गया है। बाल विवाह और दहेज प्रथा के खिलाफ जागरूकता: अभियान के तहत बाल विवाह और दहेज प्रथा के खिलाफ भी विशेष जागरूकता फैलाई जा रही है। यदि किसी गांव में 18 वर्ष से कम उम्र की लड़की या 21 वर्ष से कम उम्र के लड़के की शादी की सूचना मिलती है, तो जीविका दीदियों द्वारा समय रहते इस विवाह को रुकवाने का प्रयास किया जाता है। पंचायत स्तर पर पंचायत लेवल जेंडर फोरम (पीएलजीएफ) और ब्लॉक लेवल जेंडर फोरम (बीएलजीएफ) के माध्यम से ऐसे मामलों को सुलझाया जाता है। पीएलजीएफ के अध्यक्ष मुखिया होते हैं, जिनकी मदद से पुलिस प्रशासन और अन्य संस्थाओं के सहयोग से बाल विवाह को रोका जाता है। इसके अलावा, यदि किसी महिला को घरेलू हिंसा या उत्पीड़न का सामना करना पड़ता है, तो उसकी समस्या को भी गंभीरता से लिया जाता है। असुरक्षित स्थानों की पहचान कर समाधान का प्रयास: सेफ्टी ऑडिट के माध्यम से गांवों में उन स्थानों को चिन्हित किया जा रहा है, जहां महिलाओं और लड़कियों को असुरक्षित महसूस होता है। जैसे कि सुनसान गलियां, बाजार या ऐसी जगह जहां लड़कों की भीड़ जमा होकर महिलाओं पर फब्तियां कसती है। ऐसे स्थानों पर पीएलजीएफ के माध्यम से सोलर लाइट लगाने या पुलिस गश्त बढ़ाने का प्रस्ताव रखा जाता है। इसके अलावा, यदि गांव में कोई युवक या समूह महिलाओं को परेशान करता है तो उनके अभिभावकों को बुलाकर समझाया जाता है और ग्राम संगठन के माध्यम से सामाजिक दबाव बनाया जाता है, ताकि ऐसी घटनाओं पर रोक लग सके। सरकारी योजनाओं से जोड़ने का प्रयास: दीदी अधिकार केंद्र के माध्यम से उन महिलाओं की भी मदद की जा रही है, जो सरकारी योजनाओं से वंचित हैं। जैसे कि विधवा पेंशन, वृद्धा पेंशन, राशन कार्ड, जननी सुरक्षा योजना आदि। यदि कोई महिला इन योजनाओं से वंचित है, तो जीविका दीदियों द्वारा उनका आवेदन भरवाकर संबंधित विभाग से संपर्क कर लाभ दिलाया जाता है। यदि स्थानीय स्तर पर मदद नहीं मिलती है, तो बीएलजीएफ के माध्यम से ब्लॉक स्तर पर समाधान दिलाने का प्रयास किया जाता है। अब तक 65 से अधिक मामलों का समाधान: सोशल डेवलपमेंट मैनेजर पंकज कुमार ने बताया कि अक्टूबर 2023 से अब तक केवल राजगीर प्रखंड में ही 65 से अधिक घरेलू हिंसा के मामले सामने आए थे, जिनमें से अधिकांश का समाधान किया जा चुका है। शेष मामलों को विधिक सेवा प्राधिकरण या थाने के माध्यम से समाधान दिलाने का प्रयास किया जा रहा है। इसके अलावा, अन्य प्रखंडों से भी लगभग 10 से 15 मामले सामने आ रहे हैं, जिन्हें दीदी अधिकार केंद्र के माध्यम से हल किया जा रहा है। यह अभियान महिलाओं के सशक्तिकरण और समाज में समानता लाने के लिए मील का पत्थर साबित हो रहा है। जीविका दीदियों के इस प्रयास से समाज में बदलाव देखी जा रही है।
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