टाइप-2 डायबिटीज की चपेट में बिहार के बच्चे, CBSE की पहल पर शुगर बोर्ड बताएगा चीनी के खतरे
सभी स्कूल अपने यहां शुगर बोर्ड बनाएंगे। इसके माध्यम से बच्चों को चीनी खाने के खतरे के बारे में बताएंगे। स्थिति यह है कि 4 से 10 साल के बच्चे 13 फीसदी तो 11 से ऊपर वाले बच्चे 15 प्रतिशत अधिक कैलोरी ले रहे हैं।

बिहार के बच्चों में टाइप-2 डायबिटीज तेजी से बढ़ रहा है। इसे रोकने के लिए स्कूलों में शुगर बोर्ड बनेगा। राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के निर्देश पर सीबीएसई ने यह पहल की है। सभी स्कूल अपने यहां शुगर बोर्ड बनाएंगे। इसके माध्यम से बच्चों को चीनी खाने के खतरे के बारे में बताएंगे। स्थिति यह है कि 4 से 10 साल के बच्चे 13 फीसदी तो 11 से ऊपर वाले बच्चे 15 प्रतिशत अधिक कैलोरी ले रहे हैं। इनके लिए 5 फीसदी कैलोरी निर्धारित है। आयोग के सर्वे में यह सामने आया है और इस पर सीबीएसई ने भी अपनी रिपोर्ट जारी की है।
आयोग के सर्वे में यह भी सामने आया है कि चीनी का अधिक सेवन स्कूली बच्चे कर रहे हैं और यही वजह है टाइप 2 डायबिटीज उनमें तेजी से बढ़ रहा है। इसके पीछे एक बड़ी वजह यह भी कि स्कूलों के आसपास मीठे स्नैक्स और नुकसानदेह पेय पदार्थ धड़ल्ले से बिक रहे हैं और बच्चे उनका सेवन बेरोक टोक कर रहे हैं। सीबीएसई ने सभी स्कूलों को निर्देश दिया है कि आयोग के प्रावधान के मुताबिक बच्चों को सही खानपान से जोड़ना और गलत खानपान से दूर रखना भी स्कूल की जवाबदेही है। ऐसा नहीं करने पर कार्रवाई की जाएगी।
शुगर बोर्ड इस तरह करेगा काम
शुगर बोर्ड इस तरह स्थापित करना है, जहां छात्रों को अत्यधिक चीनी के सेवन के जोखिमों के बारे में शिक्षित करने के लिए जानकारी प्रदर्शित की जाएगी। इन बोर्डों में आवश्यक जानकारी प्रदान की जाएगी, जिसमें अनुशंसित दैनिक चीनी का सेवन, आमतौर पर खाए जानेवाले खाद्य पदार्थों में चीनी की मात्रा, उच्च चीनी खपत से जुड़े स्वास्थ्य जोखिम और स्वस्थ आहार के विकल्प शामिल हैं। इससे छात्रों को खाद्य विकल्पों के बारे में जानकारी मिलेगी और छात्रों के बीच दीर्घकालिक स्वास्थ्य लाभों को बढ़ावा मिलेगा। इसके साथ ही, जागरूकता के लिए सेमिनार व कार्यशाला भी आयोजित करेंगे। इसकी रिपोर्ट 15 जुलाई तक अपलोड करेंगे।
स्कूल के आसपास स्नैक्स की बिक्री पर लगे रोक
सीबीएसई ने कहा है कि टाइप 2 डायबिटीज एक ऐसी स्थिति है जो पहले मुख्य रूप से वयस्कों में देखी जाती थी। इस खतरनाक प्रवृत्ति का मुख्य कारण चीनी का अधिक सेवन है, जो अक्सर स्कूल के आसपास के वातावरण में मीठे स्नैक्स, पेय पदार्थों और प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों की आसानी से उपलब्धता के कारण होता है। चीनी का अत्यधिक सेवन न केवल मधुमेह के जोखिम को बढ़ाता है, बल्कि मोटापे, दंत समस्याओं और अन्य बीमारियों को जन्म देता है, जो अंततः बच्चों के दीर्घकालिक स्वास्थ्य और शैक्षणिक प्रदर्शन को प्रभावित करता है। स्कूल यह तय करेंगे कि स्कूल के आसपास ऐसी चीजें नहीं बिकें। इसमें जिला प्रशासन सहयोग करेगा।